Word Power vs World for People! कर्नाटक में सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार पावर टसल तेज, X पोस्ट्स ने बढ़ाया सियासी तापमान

कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार के बीच कथित पावर-शेयरिंग समझौते को लेकर सियासी हलचल फिर तेज हो गई है. दोनों नेताओं ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर संकेतों भरे पोस्ट साझा किए, जिन्हें सत्ता संघर्ष का इशारा माना जा रहा है. सिद्धारमैया ने पांच साल के पूरे कार्यकाल के जनादेश की बात कही, जबकि शिवकुमार ने ‘वादे निभाने’ की ताकत पर जोर दिया. कांग्रेस हाईकमान अब इस विवाद पर जल्द बैठक बुलाने की तैयारी में है.;

( Image Source:  ANI )

Karnataka politics, Siddaramaiah vs Shivakumar: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच सत्ता-साझेदारी को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान एक बार फिर सुर्खियों में है. दोनों नेताओं द्वारा गुरुवार को किए गए क्रिप्टिक सोशल मीडिया पोस्ट्स ने कांग्रेस सरकार के भीतर तनाव को और हवा दे दी है.

गुरुवार सुबह डी.के. शिवकुमार ने X पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “Keeping one’s word is the greatest strength in the world.” इसके साथ उन्होंने अपनी एक ब्लैक-एंड-व्हाइट तस्वीर साझा की, जिस पर लिखा था, “Word power is world power… Be it a judge, president or anyone else, including myself, everyone has to walk the talk.” राजनीतिक गलियारों में इसे सीधे तौर पर सत्ता हस्तांतरण समझौते, यानी दो ढाई साल बाद मुख्यमंत्री पद सौंपे जाने, का संकेत माना गया.



सिद्धारमैया का पलटवार

शिवकुमार की पोस्ट के कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जवाब देते हुए लिखा, “A Word is not power unless it betters the World for the people.” उन्होंने आगे अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए दावा किया कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में 95% चुनावी वादे पूरे किए थे. वहीं मौजूदा कार्यकाल में भी दो साल छह महीने के भीतर 593 में से 243 वादे पूरे कर चुके हैं.



सिद्धारमैया ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, “जनता का जनादेश पांच साल के लिए होता है, कोई क्षणिक समझौता नहीं. कांग्रेस पार्टी पूरे पांच साल जिम्मेदारी निभाएगी.” इसे राजनीतिक विश्लेषक उनके पूरे कार्यकाल तक CM बने रहने के दावे के रूप में देख रहे हैं.

क्या है पावर-शेयरिंग एग्रीमेंट का विवाद?

कांग्रेस में यह चर्चा लंबे समय से चल रही है कि मई 2023 में सरकार गठन के समय एक ‘अनौपचारिक समझौता’ हुआ था, जिसके तहत ढाई साल बाद सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद शिवकुमार के लिए छोड़ना था. हालांकि, सिद्धारमैया कई बार यह कह चुके हैं कि वे पूरे पांच साल के लिए चुने गए CM हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान पर डालते हुए कहा कि वही इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेगा.



शिवकुमार ने भी कुछ दिन पहले संकेत दिया था कि कोई 'सीक्रेट एग्रीमेंट' जरूर हुआ था. उन्होंने कहा, “यह पांच-छह लोगों के बीच का रहस्य है, जिसे मैं सार्वजनिक नहीं करना चाहता.”

ढाई साल पूरे होते ही अटकलें तेज़

इस महीने सिद्धारमैया के ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही सत्ता हस्तांतरण को लेकर कयास और तेज हो गए हैं. शिवकुमार समर्थक कई विधायकों का दिल्ली जाकर हाईकमान से मुलाकात करना इसी खेमेबाज़ी की ओर इशारा करता है. मामला और पेचीदा तब हो गया जब शिवकुमार ने मंगलवार देर रात PWD मंत्री और सिद्धारमैया के करीबी नेता सतीश जारकीहोली से मुलाकात की. हालांकि, जारकीहोली ने बाद में दावा किया, “सिद्धारमैया ही हमारा नेता है”, लेकिन इस मीटिंग ने राजनीति में हलचल बढ़ा दी.


हाईकमान हरकत में, जल्द होगी बैठक

स्थिति बिगड़ते देख कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि वे राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ मिलकर सिद्धारमैया और शिवकुमार की बैठक बुलाएंगे, ताकि इस विवाद का समाधान निकाला जा सके. दोनों नेता भी साफ कर चुके हैं कि वे हाईकमान के बुलावे पर तुरंत दिल्ली पहुंचेंगे.


कुल मिलाकर… कर्नाटक कांग्रेस सरकार एक बार फिर नेतृत्व संकट के मुहाने पर खड़ी दिख रही है. सोशल मीडिया पर छिड़ा यह ‘वर्ड पावर’ युद्ध भविष्य की राजनीति की बड़ी झलक दे रहा है... और संकेत यही कहते हैं कि सत्ता-संतुलन की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.

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