सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार: 'सीक्रेट डील' के खुलासे से कर्नाटक में भूचाल, क्या होने वाला है खेला?
कर्नाटक की राजनीति में सीक्रेट डील की खबर का खुलासा होने के बाद से भूचाल की स्थिति है. अब सिद्धारमैया और DK शिवकुमार के बीच CM पद को लेकर खींचतान ने नया मोड़ ले लिया है. प्रदेश कांग्रेस के भीतर सत्ता संघर्ष तेज हो गया है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नेतृत्व में बदलाव के मसले पर अंतिम फैसला राहुल गांधी लेंगे.
कर्नाटक की राजनीति में सीएम पद को लेकर एक बार फिर हलचल मची है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम DK शिवकुमार के बीच सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब एक ‘सीक्रेट डील’ के दावे ने पूरे समीकरण को हिलाकर रख दिया है. कांग्रेस के भीतर यह पुराना विवाद दोबारा सुर्खियों में आ गया है. सवाल उठ रहा है कि क्या कर्नाटक में फिर ‘खेला’ होने वाला है?
दरअसल, कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर सियासी जंग उस समय तेज हो गई जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पार्टी हाईकमान से खुलेआम 'कन्फ्यूजन को पूरी तरह खत्म करने' की अपील की. इस बीच डिप्टी चीफ मिनिस्टर डीके शिवकुमार ने पावर-शेयरिंग पर 'पांच-छह' सीनियर नेताओं के बीच 'सीक्रेट डील' होने का दावा किया. हालांकि, उन्होंने इस डील के बारे में कुछ भी खुलासा करने से इनकार कर दिया है. वहीं, कांग्रेस प्रेसिडेंट मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि यह मामला अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बातचीत के बाद ही सुलझेगा.
सीक्रेट डील क्या है?
कर्नाटक कांग्रेस सूत्रों के दावे के मुताबिक सरकार बनने से पहले रोटेशन फॉर्मूला पर समझौता हुआ था. फार्मूले के तहत सिद्धारमैया 2.5 साल CM, उसके बाद DK शिवकुमार को सीएम रहेंगे. इस हिसाब से सीएम सिद्धारमैया का टर्म पूरा होने वाला है. यही वजह है कि डील के मुताबिक शिवकुमार नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं.
DK शिवकुमार समर्थकों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि हमें हमारा वादा पूरा चाहिए. इस बयान के बाद कांग्रेस हाईकमान पर भी दबाव बढ़ गया है. सिद्धारमैया कैंप उसे नकारता है और कह रहा है कि कोई रोटेशनल डील नहीं हुई थी.
क्या ‘खेला’ होने वाला है?
दूसरी तरफ बीजेपी कर्नाटक में अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है. ऐसे समय में कांग्रेस खुले विवाद नहीं चाहती, लेकिन दोनों नेताओं की महत्वाकांक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो गया है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के तीन विकल्प हैं.
1. सिद्धारमैया पद पर बने रहें और हाईकमान स्थिरता को प्राथमिकता दे.
2. DK शिवकुमार को कहीं और एडजस्ट किया जाए. अगले 1–1.5 साल में कुर्सी बदली जाए.
3. इन दोनों विकल्पों के अलावे एक रास्ता यह है कि शक्तियों का बंटवारा और CM के ऊपर कुछ ‘कोऑर्डिनेशन कमेटी’ या समानांतर ढांचा बनाने की हे.
पार्टी को शर्मिंदा नहीं करना चाहता - डी शिवकुमार
डिप्टी सीएम शिवकुमार ने ‘सीक्रेट डील’ मानी, लेकिन डिटेल्स देने से मना किया. कनकपुरा का दौरा करते हुए शिवकुमार ने माना कि CM पोस्ट पर पांच से छह लोगों के बीच सीक्रेट डील हुई थी, लेकिन कहा कि वह पब्लिकली कुछ नहीं बोलूंगा. वह पार्टी को शर्मिंदा या कमजोर नहीं करना चाहते.
स्थिति स्पष्ट करे आलाकमान - सिद्धारमैया
सीएम सिद्धारमैया ने हाईकमान से इस मसले पर अंतिम फैसला लेने की अपील की है. सीएम ने बेंगलुरु में सिर्फ सेंट्रल लीडरशिप ही चल रही अटकलों को खत्म कर सकती है. क्योंकि इस मसले में अंत में हाईकमान को ही फैसला लेना है.
खड़गे ने क्या कहा?
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि फैसला शीर्ष स्तर पर लिया जाएगा. मल्लिकार्जुन खड़गे ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा पब्लिक में चर्चा करने का विषय नहीं है. आखिरी फैसला वह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सलाह-मशविरे के बाद लेंगे.
मई 2023 में किस फार्मूले पर बनी थी सहमति?
मई 2023 में खड़गे के घर पर पावर-शेयरिंग का समझौता हुआ था, जिसमें सिद्धारमैया को पहले 2.5 साल और शिवकुमार को बाकी समय मिला था. सिद्धारमैया ने उस समय कहा था कि "मैं 2.5 साल पूरे होने से एक सप्ताह पहले इस्तीफा दे दूंगा. उसी को लेकर पार्टी में गुटबाजी अब चरम पर है.
पूरे 5 साल चलेगी सरकार
- सीएम सिद्धारमैया शुरू से कहते आए हैं कि उनकी सरकार पांच साल पूरे करेगी. बाद में कहा कि वह पूरे टर्म के लिए CM बने रहेंगे. खड़गे के साथ 22 नवंबर की मीटिंग के बाद ही उनका सुर नरम हुआ, जिसके बाद उन्होंने कहना शुरू किया कि हाईकमान तय करेगा.
- नेतृत्व परिवर्तन के मसले पर शिवकुमार कैंप ने क्लैरिटी की मांग की है. साथ ही लॉयल्टी पर भी जोर दिया है. शिवकुमार के करीबी नेता जोर देकर कहा है कि वह टकराव नहीं चाहते और बगावत नहीं करेंगे, लेकिन उनका तर्क है कि समझ का सम्मान किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि इसे नजरअंदाज करने से कांग्रेस की क्रेडिबिलिटी और शिवकुमार जैसे ऑर्गेनाइजेशन लीडर की लॉयल्टी को नुकसान होगा.
- कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया कैंप ने समझौते की बात को खारिज करते हुए कहा कि 2023 में CLP लीडर के तौर पर उनका चुनाव बहुमत से हुआ था. रिप्लेसमेंट पर तब तक चर्चा नहीं होनी चाहिए, जब तक कि विधायक दल के अंदर औपचारिक रूप से इसे उठाया न जाए.
सिद्धारमैया पार्टी के लिए बिग एसेट
शिवकुमार ने सिद्धारमैया को एक सीनियर लीडर और पार्टी के लिए एक एसेट कहा है. अगला बजट पेश करने की उनकी योजना का समर्थन किया और कहा कि फोकस 2028 और 2029 के चुनावों पर होना चाहिए. सिद्धारमैया ने कहा कि MLA दिल्ली आने के लिए आजाद हैं लेकिन आखिर में उन्हें हाईकमान के फैसले का पालन करना होगा.
शिव के समर्थकों ने दिल्ली में डाला डेरा
इन सबके बीच शिवकुमार का समर्थन करने वाले कई MLA दिल्ली में लॉबिंग करने में जुटे हैं. इस पर सिद्धारमैया ने कहा कि उन्हें आलाकमान से मिलने दो. देखते हैं वे क्या राय देते हैं. डिप्टी CM चाहते हैं कि कैबिनेट में किसी भी फेरबदल से पहले लीडरशिप का मुद्दा सुलझा लिया जाए.
BJP के प्रदेश अध्यक्ष BY विजयेंद्र ने कहा कि कर्नाटक एक एक्टिंग या जाने वाला CM नहीं चाहता. कांग्रेस से बेलगावी में विंटर सेशन से पहले अपने लीडरशिप संकट को सुलझाने की अपील की.





