SIR: अब तक 25 BLO की मौत! MP में सबसे ज्यादा 9, गाजियाबाद में 21 BLO पर एकसाथ FIR
चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के सत्यापन और संशोधन की प्रक्रिया यानी SIR (Special Summary Revision) इस बार विवादों के केंद्र में है. फील्ड में कार्यरत BLO पर काम का बढ़ता दबाव, लगातार दौरे और समय पर लक्ष्य पूरा न कर पाने का तनाव कई राज्यों में उनकी जान पर भारी पड़ रहा है. अब तक 25 BLO की मौत हो चुकी है.
देशभर में चल रही Special Summary Revision (SIR) प्रक्रिया पर लगातार विवाद बढ़ रहा है. अब तक इस प्रक्रिया में फील्ड में काम करने वाले 25 BLO (Booth Level Officer) अपनी जान गंवा चुके हैं. सबसे ज्यादा मौतें मध्य प्रदेश से सामने आई हैं. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है और गैर नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता. अदालत ने कहा कि "आधार होना अपने-आप में मतदान के अधिकार की गारंटी नहीं देता."
मतदाता सूची के सत्यापन और संशोधन की प्रक्रिया यानी SIR (Special Summary Revision) इस बार विवादों के केंद्र में है. फील्ड में कार्यरत BLO पर काम का बढ़ता दबाव, लगातार दौरे और समय पर लक्ष्य पूरा न कर पाने का तनाव कई राज्यों में उनकी जान पर भारी पड़ रहा है. अब तक 25 BLO की मौत हो चुकी है. इनमें सबसे ज्यादा 9 मौतें मध्य प्रदेश में लोगों की मौत हुई हैं. उत्तर प्रदेश और गुजरात में चार-चार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में तीन-तीन, केरल और तमिलनाडु में एक-एक लोगों की मौत हुई है. कई मौतों का कारण हार्ट अटैक और स्ट्रेस बताया जा रहा है.
बंगाल में अब तक 34 की मौत - TMC का दावा
तृणमूल कांग्रेस ने केवल पश्चिम बंगाल में 34 लोगों की मौत का दावा किया. इन मौतों पर बंगाल, एमपी, राजस्थान, यूपी में राजनीति चरम पर है. दूसरी ओर निर्वाचन आयोग जिला और राज्यों की रिपोर्ट के इंतजार में है. आयोग के सूत्रों का कहना है कि अब तक किसी काम के दबाव से किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई है. पश्चिम बंगाल के मंत्री अरूप बिस्वास ने कहा है कि SIR के चलते राज्य में 34 लोगों ने जान दी. सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि इसका उद्देश्य 'पीछे के दरवाजे से एनआरसी लागू करना' और डर पैदा करना है.
गाजियाबाद में 21 BLO पर एक साथ FIR
SIR प्रक्रिया के दौरान पिछले 22 दिनों में 7 राज्यों में 25 BLO की मौत हो गई! सबसे ज्यादा MP में 9 और यूपी-गुजरात में 4-4 मौतें हुई हैं.
अफसर डाल रहे बीएलओ पर दबाव
BLO संघों का आरोप है कि, “SIR प्रक्रिया में अधिकारियों द्वारा अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है और फील्ड वर्क का कोई सुरक्षित सिस्टम नहीं है.”
सुप्रीम कोर्ट: 'आधार' का मतलब नागरिकता नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर के खिलाफ बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि आधार को केवल पहचान प्रमाण के रूप में देखा जाए. आधार कार्ड नागरिकता या फिर मतदान का अधिकार का प्रमाण नहीं हो सकता है. किसी भी गैर नागरिक को केवल आधार आधार पर मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को उचित जांच सुनिश्चित करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, 'आधार धारक सभी व्यक्ति नागरिक नहीं होते. इसलिए, आधार के आधार पर वोटर लिस्ट में नाम जोड़ना असंवैधानिक होगा.”
BLO संघ की मांग क्या है?
विपक्षी दलों और शिक्षकों-कर्मचारियों के संगठनों ने प्रश्न उठाया है कि BLO को पर्याप्त सुरक्षा, स्वास्थ्य कवरेज और तकनीकी सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई. कई राज्यों में BLO संघ ने मांग उठाई है कि बीएलओ को फील्ड वर्क के लिए पर्याप्त समय, स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा और भत्ता बढ़ाने की मांग की है.
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने इस मसले पर कहा कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान BLO की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. राज्यों को निर्देश जारी किए गए हैं कि फील्ड स्टाफ पर अनावश्यक दबाव न डाला जाए. हालांकि, उनके परिवारों को मुआवजे और सुरक्षा मानकों को लेकर अभी स्पष्ट दिशा नहीं आई है.
बिहार में हुई एसआईआर प्रक्रिया के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मतदाता को पहचान सत्यापन के लिए आधार समेत 13 में से कोई एक दस्तावेज देना होगा. इनमें से एक भी उपलब्ध होने पर एसआईआर की प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी. यूपी प्रशासन ने भी पिछले दिनों लोगों का भम्र दूर करने के लिए आधार को एसआईआर के लिए एक वैध दस्तावेज बताया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि आधार नागरिकता का सबूत नहीं हो सकता.
7 फरवरी को खत्म होगी SIR प्रक्रिया
4 नवंबर से 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर वोटर लिस्ट अपडेट कर रहे हैं. BLO की ट्रेनिंग 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक हुई थी. पूरी SIR प्रक्रिया 7 फरवरी तक चलेगी. यह प्रक्रिया अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, यूपी और बंगाल में चल रही है. इन राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर हैं. इसमें 5.33 लाख BLO और 7 लाख से ज्यादा राजनीतिक दलों के BLA इस काम में लगे हैं.
एसआईआर का मकसद
SIR प्रक्रिया में नए नाम जोड़ना, गलतियां ठीक करना और डुप्लीकेट हटाना शामिल है. BLO फॉर्म देंगे, जिसमें वोटर अपनी जानकारी मिलाएगा. नाम दो जगह हो तो एक जगह से हटाना होगा और नाम न हो तो फॉर्म व दस्तावेज देकर जोड़ना होगा. बता दें कि 12 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्र के 51 करोड़ से अधिक मतदाताओं के घर बीएलओ दस्तक दे रहे हैं. 5.32 लाख से अधिक बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) पर काम के दबाव का आरोप लग रहा है.





