पेट्रोल पंप, खाद दुकानें और ... स्टिंग ऑपरेशन ने खोली पोल, दिल्ली-NCR में अब भी खुलेआम बिक रहा बम बनाने का सामान
दिल्ली के लाल किले के कार ब्लास्ट की जांच में खुलासा हुआ कि हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कट्टरपंथी डॉक्टरों का नेटवर्क दिल्ली-NCR में आसानी से खाद, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और क्वारी विस्फोटक जुटा रहा था. इंडिया टुडे के अंडरकवर ऑपरेशन ने साबित किया कि NPK, DAP, यूरिया, ढीला पेट्रोल और विस्फोटक पाउडर आज भी बिना पहचान-पत्र और बिना पूछताछ के खुलेआम मिल जाते हैं. दुकानदार रिकॉर्ड में मनमर्जी से हेरफेर करके किसी भी नाम पर बिल बना देते हैं. यह खामियां बताती हैं कि बिना कड़े नियमन के इस तरह के हमले दोबारा होना बेहद आसान है.
Delhi Red Fort Blast, NCR Terror Network, Sting Operation: दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट की जांच अब ऐसे खतरनाक तथ्यों तक पहुंच रही है, जो देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि इस मामले में हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित डॉक्टरों का एक नेटवर्क शामिल था. यह मॉड्यूल न सिर्फ दिल्ली, बल्कि कई बड़े भारतीय शहरों में सीरियल ब्लास्ट की योजना बना रहा था.
चौंकाने वाली बात यह है कि इस गिरोह ने IED और कार बम के लिए आवश्यक विस्फोटक सामग्री दिल्ली-NCR के साधारण कृषि दुकानें और स्थानीय नेटवर्क से बिना किसी रोक-टोक के जुटा ली. इंडिया टुडे की अंडरकवर टीम ने दो हफ्ते तक इस नेटवर्क के रास्तों को दोबारा ट्रेस किया और पाया कि आज भी दिल्ली-NCR से वही सामग्री उतनी ही आसानी से खरीदी जा सकती है, जितनी ब्लास्ट से पहले..
NCR में खतरनाक स्टॉकपाइल: 2600 किलो खाद और 1000 किलो अमोनियम नाइट्रेट
जांच में सामने आया कि आरोपियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के आसपास के गांवों से करीब 2,600 किलो NPK फर्टिलाइजर और 1,000 किलो से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट खरीदा. नूंह, सोहना और फरीदाबाद के कई दुकानों का रिकॉर्ड अब एजेंसियों ने जब्त कर लिया है. हालांकि कई तरह के केमिकल फर्टिलाइज़र की खुली बिक्री पर प्रतिबंध है, लेकिन कई दुकानदार रिकॉर्ड में हेरफेर कर स्थानीय किसानों के नाम पर बड़ी मात्रा में बिक्री दिखाकर माल दे रहे थे. जांचकर्ताओं का मानना है कि ज्यादातर दुकानदारों को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं कि इन खादों से बम बनाया जा सकता है.
अंडरकवर जांच: बिना आईडी, बिना पूछताछ- सब समान आसानी से मिला
ब्लास्ट के बाद इंडिया टुडे के रिपोर्टर्स ने खरीदार बनकर दिल्ली-NCR और हरियाणा के कई दुकानों पर जाकर स्थिति की हकीकत देखी.
1) खाद की दुकानों पर खुलेआम बिक्री
- अकबरपुर भरोता (हरियाणा): Suresh Fertiliser Store- रिपोर्टर ने जब DAP और NPK मांगा तो दुकानदार ने तुरंत रेट बताया- ₹1450 प्रति बैग... और उनका स्टॉक दिखा दिया. खरीदार के दिल्ली से होने, आधार कार्ड न होने और सामान दिल्ली ले जाने की जानकारी देने के बाद भी उसने भरोसा दिलाया कि वह अपने खेतों के दस्तावेज़ पर बिल 'एडजस्ट' कर देगा.
- कुंडली (सोनीपत): Shiv Agriculture Store: DAP, NPK और यूरिया पूछने पर दुकानदार ने बिना किसी पहचान-पत्र के रेट बता दिए और कहा कि 10–10 बैग तुरंत उपलब्ध करा सकता है. उसने यह भी भरोसा दिया कि यूरिया से जुड़े और भी 'सामान' अरेंज कर सकता है. पूरी बातचीत में कहीं भी खरीदार की पहचान या अंतिम उपयोग के बारे में कोई जांच नहीं हुई.
2) विस्फोटक पाउडर और फ्यूज़- गांव में आसानी से उपलब्ध
इसके बाद जांच टीम हरियाणा के नूंह जिले के बसई गांव पहुंची, वही क्षेत्र जहां से आरोपी डॉक्टर मोहम्मद उमर ने विस्फोटक सामग्री जुटाई थी. यहां टीम की मुलाकात 'पप्पू' नामक एक blasting expert से हुई. रिपोर्टर ने जब 5 किलो विस्फोटक पाउडर मांगा तो पप्पू ने तुरंत कहा कि पास के गांव के ठेकेदार से यह व्यवस्था हो जाएगी. उसने बताया कि यह सफेद पाउडर होता है, यूरिया जैसा दिखता है, और पत्थर तोड़ने के लिए इस्तेमाल होता है. फ्यूज़ (बत्ती) भी समय पर मिल जाएगी. भुगतान गूगल पे से कर देना.
3) ढीला पेट्रोल- बिना सवाल-जवाब
बसई के पास एक पेट्रोल पंप पर रिपोर्टर ने 5 लीटर 'लूज़ पेट्रोल' मांगा... पंप कर्मचारियों ने बिना किसी हिचक के तुरंत देने को तैयार हो गए- सिर्फ एक कंटेनर लाने की शर्त थी.
कितना आसान है एक बम बनाना?
इस स्टिंग ऑपरेशन ने साफ कर दिया कि Urea, NPK / DAP, Ammonium Nitrate, Fuel Oil (पेट्रोल), Quarry Explosives और Fuse जैसी सामग्रियां आज भी दिल्ली-NCR में आसानी से मिल जाती हैं- वह भी नकद में, बिना किसी पहचान और बिना अंतिम उपयोग की जानकारी के.. इनमें से ज्यादातर वही सामग्री है जिसका इस्तेमाल 10 नवंबर के लाल किला कार बम में हुआ था.
जांच एजेंसियों की चिंता: बिना कंट्रोल के बाजार-सुरक्षा के लिए खतरा
अंडरकवर जांच से यह साफ है कि खाद की दुकानों पर कोई निगरानी नहीं है, रिकॉर्डिंग में भारी गड़बड़ी है, विस्फोटक सामग्री का लोकल नेटवर्क सक्रिय है और पेट्रोल जैसी सामग्री भी गलत हाथों में जा सकती है... अगर इस तरह मैंटेन्ड या रेगुलेटेड बाजार ही नहीं होंगे, तो भविष्य में इसी तरह के हमलों की संभावना बनी रहेगी... यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियां अब फर्टिलाइज़र दुकानों और विस्फोटक सामग्री की सप्लाई पर सख्ती बढ़ाने की तैयारी में हैं.





