जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा...अगर डीके शिवकुमार बन गए मुख्यमंत्री तो क्या करेंगे सिद्दारमैया?
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सत्ता संघर्ष के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक संकेतों से भरा बयान देकर सियासी तापमान और बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा, “शब्द की ताकत ही दुनिया की असली ताकत है, और वादा निभाना सबसे बड़ी शक्ति.” उनके इस बयान को सिद्दारमैया के बाद नेतृत्व परिवर्तन की मांग और पार्टी हाईकमान पर बढ़ते राजनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है. शिवकुमार का यह इशारा साफ बताता है कि वह ‘हाफ-टर्म CM’ समझौते की याद एक बार फिर ताज़ा कर रहे हैं.
कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर जारी खींचतान अब खुलकर सामने आ चुकी है. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार (DKS) के बीच सत्ता का संघर्ष चरम पर है. NDTV में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में हाईकमान की बैठकों के बीच दोनों खेमे अपनी-अपनी रणनीति को तेज कर चुके हैं. सवाल यह है कि अगर हाईकमान आखिरकार डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बना देता है, तो सिद्दारमैया की अगली चाल क्या होगी?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस पूरे विवाद पर अंतिम फैसला लेने वाले हैं. लेकिन दोनों नेताओं के समर्थकों की गतिविधियां बता रही हैं कि कर्नाटक में राजस्थान वाला ‘गहलोत-पायलट मॉडल’ दोहराया जा सकता है. ऐसे में सिद्दारमैया किस दिशा में जाएंगे, यह सबसे बड़ा राजनीतिक सवाल बन चुका है.
वादा निभाना सबसे बड़ी शक्ति; डीके शिवकुमार
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सत्ता संघर्ष के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक संकेतों से भरा बयान देकर सियासी तापमान और बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा, “शब्द की ताकत ही दुनिया की असली ताकत है, और वादा निभाना सबसे बड़ी शक्ति.” उनके इस बयान को सिद्दारमैया के बाद नेतृत्व परिवर्तन की मांग और पार्टी हाईकमान पर बढ़ते राजनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है. शिवकुमार का यह इशारा साफ बताता है कि वह ‘हाफ-टर्म CM’ समझौते की याद एक बार फिर ताज़ा कर रहे हैं.
सिद्दारमैया कैंप सतर्क, दिल्ली की तरफ बढ़ने की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक सिद्दारमैया गुट हाईकमान से किसी भी संकेत के बाद तत्काल दिल्ली पहुंचने की तैयारी में है. उनके समर्थक यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सत्ता परिवर्तन का कोई भी फैसला उन्हें हटाकर न लिया जाए. खुद सिद्दारमैया ने हाल में कहा था कि पार्टी को “इस भ्रम को खत्म करना चाहिए.” अगर डीके शिवकुमार को मिली CM कुर्सी, तो सिद्दारमैया क्या करेंगे?
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक तीन संभावनाएं सबसे मजबूत मानी जा रही हैं-
1. इस्तीफा देकर हाईकमान पर दबाव बढ़ाना
अगर DKS को सीएम बनाया जाता है, तो सिद्दारमैया अपनी राजनीतिक पूंजी बचाने के लिए इस्तीफा देकर हाईकमान को संदेश दे सकते हैं कि पार्टी में उन्हें किनारे करना आसान नहीं है. उनके पास बड़ा विधायकों का समर्थन है- यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है.
2. नया विकल्प देने की रणनीति
सिद्दारमैया गुट पहले ही संकेत दे चुका है कि अगर CM बदलना ही है, तो पार्टी को केवल DKS पर निर्भर नहीं होना चाहिए. गृह मंत्री परमेश्वर जैसे नामों को आगे बढ़ाना इसी रणनीति का हिस्सा है. परमेश्वर ने भी खुलकर कहा कि 'मैं हमेशा से रेस में रहा हूं.”
3. बजट के बाद फैसला टालने का दबाव
सिद्दारमैया यह चाहते हैं कि कोई भी बदलाव बजट पेश होने तक टाल दिया जाए. यह उनके लिए समय जीतने और सत्ता में बने रहने की सबसे अहम चाल है. सूत्रों का कहना है कि वह राहुल गांधी से यह संदेश दोबारा दिलवाना चाहते हैं कि उन्हें अभी नहीं हटाया जाएगा.
DKS की तरफ से ‘धैर्य सीमित’ होने का संकेत
डीके शिवकुमार भले ही शांत दिखाई दे रहे हों, लेकिन उनके बयान साफ संकेत देते हैं कि वह ‘वादा निभाने’ की बात हाईकमान को याद दिला रहे हैं. उनके समर्थक भी खुलकर बोल रहे हैं कि “मिड-टर्म पावर ट्रांजिशन” पर पिछले साल सहमति बनी थी.
क्या खड़गे बन सकते हैं ‘कंप्रोमाइज CM’?
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार खड़गे का नाम भी संभावित चेहरा हो सकता है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष पद खाली करना पार्टी के लिए बड़ा संकट खड़ा कर देगा. इसलिए यह विकल्प बेहद कमजोर माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस जल्द ही दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाएगी. खड़गे, राहुल और सोनिया गांधी बैठक के बाद सिद्दारमैया और शिवकुमार को दिल्ली बुलाने वाले हैं. यही मुलाकात तय करेगी कि कर्नाटक की कमान किसके हाथ में जाएगी और कौन झुकने को तैयार है.
अंतिम सवाल: झुकेगा कौन?
अगर DKS को CM बनाया जाता है तो सिद्दारमैया अपनी राजनीतिक विरासत बचाने के लिए आसान रास्ता नहीं अपनाएंगे. उनका लक्ष्य देवराज अरस को पीछे छोड़कर कर्नाटक के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाना है. इसलिए वह बिना लड़े सत्ता नहीं छोड़ेंगे- यह लगभग तय है.





