RJD का दांव - बिहार में ‘सियासत के नए शहाबुद्दीन’? ओसामा शाहाब की एंट्री से हॉट सीट बनी रघुनाथपुर, क्या जीत की लगा पाएंगे हैट्रिक
राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए बड़ा दांव खेला है. पार्टी ने बाहुबली नेता रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को रघुनाथपुर सीट से टिकट दिया है. यह फैसला न केवल सियासी संदेश देता है बल्कि सीमांचल और मुस्लिम वोट बैंक को साधने की रणनीति के रूप में इसे देखा जा रहा है. अब देखना यह है कि इस रणनीति से राजद को कितना लाभ मिलेगा.

बिहार में आरजेडी ने एक बार फिर पुराने गढ़ को मजबूत करने की कोशिश की है. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को मैदान में उतारना तेजस्वी यादव की रणनीति का हिस्सा है, जिससे पार्टी मुस्लिम-यादव समीकरण को और धार देना चाहती है. क्या ओसामा शाहाब को इस बार रघुनाथपुर से टिकट देकर लालू यादव की पार्टी जीत का हैट्रिक लगा पाएगी.
बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर आरजेडी ने बड़ा दांव चला है. दिवंगत शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को रघुनाथपुर से उम्मीदवार बनाया गया है. आरजेडी के इस कदम को सियासी गलियारों में ‘इमोशनल कनेक्ट’ और ‘मुस्लिम वोट बैंक’ को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
1. शहाबुद्दीन की विरासत, राजनीति में ओसामा की एंट्री
सिवान के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन आरजेडी के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम चेहरे रहे हैं. उनकी मौत के बाद पार्टी उस क्षेत्र में लगातार कमजोर होती जा रही थी। अब ओसामा शहाब को टिकट देकर पार्टी ने पुराने जनाधार को फिर से सक्रिय करने की कोशिश की है.
2. रघुनाथपुर का सियासी समीकरण
रघुनाथपुर सीट पर पिछली बार जेडीयू और बीजेपी गठबंधन को बढ़त मिली थी, लेकिन मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या यहां निर्णायक मानी जाती है. ओसामा की उम्मीदवारी से आरजेडी को उम्मीद है कि यह सीट पार्टी के खाते में लौट सकती है.
3. तेजस्वी का दांव
तेजस्वी यादव लगातार युवाओं और नए चेहरों को मौका देने की बात कर रहे हैं. ओसामा शहाब को बताना इस बात का संकेत है कि आरजेडी अब अपनी परंपरागत राजनीति में नई ऊर्जा भरने की कोशिश कर रही है.
4. रघुनाथपुर: ओसामा के आने से एनडीए में हलचल
जेडीयू और बीजेपी खेमे में ओसामा की एंट्री को लेकर हलचल तेज है. विपक्ष इसे भावनात्मक राजनीति बताकर निशाना साध रहा है, जबकि आरजेडी समर्थक इसे “न्याय और विरासत की वापसी” कह रहे हैं.
5. समीकरण और ओसामा की चुनौती
हालांकि ओसामा राजनीति में नए हैं, लेकिन सीवान और आसपास के क्षेत्रों में शहाबुद्दीन परिवार का असर अब भी कायम है. उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. पिता की छवि से अलग अपनी पहचान बनाना. रघुनाथपुर सीट पर मुस्लिम और यादव मतदाता मिलकर कुल वोटों का 55-60 प्रतिशत तक है जो स्वाभाविक रूप से राजद के पक्ष में एक मजबूत सामाजिक आधार तैयार करता है. इतना ही नहीं, इस इलाके में मोहम्मद शहाबुद्दीन के परिवार का रसूख अभी बाकी है.
6. हैट्रिक लगा पाएगी राजद
रघुनाथपुर विधानसभा सीट सीवान संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. एक दौर में इस सीट पर बाहुबली शहाबुद्दीन का एकछत्र राज था. रघुनाथपुर उन सीटों में से है जहां जातीय समीकरण और स्थानीय नेतृत्व दोनों ही बराबर असर रखते हैं. परंपरागत रूप से सीवान कांग्रेस से लेकर राजद तक की सियासी यात्रा का गवाह रही है. 1951 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के राम नंदन यादव ने यहां जीत दर्ज की थी. जबकि 2020 में इस सीट पर राजद के हरिशंकर यादव ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर अपनी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत किया.
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में हरिशंकर यादव ने लोजपा के मनोज कुमार सिंह को 17,965 वोटों के अंतर से हराया. हरिशंकर को 67,757 वोट मिले जबकि मनोज कुमार सिंह को 49,792 वोट हासिल हुए. इस जीत के साथ राजद ने यह साबित कर दिया कि रघुनाथपुर में उसका जनाधार अब भी अडिग है.
रघुनाथपुर में यादव, राजपूत, भूमिहार और मुसलमान मतदाता प्रभावशाली वर्ग में काउंट किए जाते हैं. साल 2015 में पहली बार हरिशंकर यादव ने यह सीट जीती थी और तब से उन्होंने स्थानीय स्तर पर लगातार संगठन को मजबूत किया है. सड़कों, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर सक्रियता ने उन्हें जनता के बीच एक भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित किया है. इस बार रघुनाथपुर में चुनाव दिलचस्प रहेगा. आरजेडी जहां अपनी तीसरी जीत की कोशिश में है. वहीं एनडीए के घटक दल इस सीट पर नया समीकरण बनाकर मुकाबला कड़ा करने की तैयारी में हैं.