Trump Tariff War: भारत क्यों नहीं कर रहा है सीधा पलटवार? 9 बड़ी वजह

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों पर भारत ने अब तक वैसा पलटवार नहीं किया है. जबकि दुनिया के कई अन्य देशों ने अमेरिका को इसका जवाब दिया है. सवाल यह उठता है कि आखिर भारत ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीति का सामना उसी अंदाज में क्यों नहीं कर रहा? इसके पीछे कई कूटनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण हैं, जिससे समझना जरूरी है.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 1 Sept 2025 5:48 AM IST

भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ वार पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी के तहत कई देशों पर भारी शुल्क लगाए थे, जिनमें भारत भी शामिल था, लेकिन भारत ने हर बार सीधे-सीधे उसी अंदाज में पलटवार नहीं किया. मोदी सरकार ने ऐसा क्यों किया. क्या भारत ट्रंप के अंदाज में इसका जवाब नहीं दे सकता. इसका जवाब ये है कि भारत वैश्विक मामलों में कभी भी पलटवार नहीं करता. इसके पीछे कई वजह हैं, जिसे जानना जरूरी है.

 

1. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार

अमेरिका भारत के सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर्स में से एक है. भारत का निर्यात अमेरिका पर काफी हद तक निर्भर करता है. आईटी सेवाएं, फार्मा, हीरे-गहने और कपड़ा आदि के लिए भारत उसी पर निर्भर है. अगर भारत कड़ा पलटवार करता तो अमेरिकी बाजार खोने का खतरा था, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता था.

2. रणनीतिक रिश्तों की अहमियत

अमेरिका और भारत सिर्फ व्यापारिक पार्टनर नहीं, बल्कि रणनीतिक सहयोग भी हैं. रक्षा सौदे, इंडो–पैसिफिक में चीन को बैलेंस करना और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे मुद्दों पर अमेरिका अहम साझेदार है. टैरिफ पर आक्रामक जवाब देने से दोनों देशों के रक्षा और रणनीतिक रिश्ते बिगड़ सकते थे.

3. भारत की घरेलू आर्थिक मजबूरी

भारत के कई सेक्टर जैसे-कृषि और छोटे उद्योग पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रहे थे. अमेरिका पर टैरिफ लगाने से वहां से आयात महंगा हो जाता, जिससे भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुंच सकता था. भारत 'विन-विन' रणनीति अपनाना चाहता था. ताकि घरेलू महंगाई और उद्योगों पर दबाव न बढ़े.

4. विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय छवि

भारत ने हमेशा "रूल-बेस्ड ट्रेड" यानी WTO (विश्व व्यापार संगठन) के नियमों का समर्थन किया है. ट्रंप का रवैया कई बार 'एकतरफा' माना गया है. जबकि भारत ने खुद को एक जिम्मेदार ट्रेड पार्टनर के तौर पर पेश किया है. पलटवार न करना भारत की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है. ताकि वह दुनिया में 'संतुलित खिलाड़ी' दिख सके.

5. बातचीत और समझौते की रणनीति

भारत सरकार ने टकराव के बजाय बातचीत पर ज्यादा जोर दिया है. कई बार भारत ने आंशिक जवाबी टैरिफ लगाए, लेकिन पूरी तरह ट्रंप के अंदाज में पलटवार नहीं किया. भारत चाहता था कि अमेरिका बातचीत से समझौते पर आए, जिससे दोनों देशों के रिश्ते लंबे समय तक स्थिर रहें.

6. टेक्नोलॉजी में और निवेश की जरूरत

भारत आईटी, रक्षा, स्टार्टअप और ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिकी निवेश और तकनीक पर काफी निर्भर है. टैरिफ वॉर से यह सहयोग प्रभावित हो सकता है. ऐसे में भारत का जवाबी टैरिफ लगाना सही होगा क्योंकि हमारा आईटी निर्यात लगभग 140 अरब डॉलर का है. अगर अमेरिका प्रतिक्रिया देता है तो हम बहुत कठिनाई में पड़ जाएंगे. साल 2023-24 में भारत की कुल सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं का निर्यात लगभग 200 अरब डॉलर था. इनमें से 54.7 प्रतिशत यानी 109.4 अरब डॉलर अमेरिका को निर्यात किए गए, जो इस सेक्टर में अमेरिका का हिस्सा सबसे बड़ा है. साल 2024-25 में भारतीय आईटी सेक्टर का निर्यात 224.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें अमेरिका प्रमुख बाजार रहा.

7. चीन फैक्टर और रणनीतिक साझेदारी

भारत-चीन तनाव के बीच अमेरिका, भारत के लिए रणनीतिक सहयोग की भूमिका निभा रहा है. भारत नहीं चाहता कि व्यापारिक विवाद इस साझेदारी को कमजोर करे।

8. जवाबी कार्रवाई से भारत को नुकसान

इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से बीबीसी ने लिखा है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत के राजदूत रहे जयंत दास गुप्ता का कहना है कि भारत के लिए अमेरिका पर टैरिफ लगाने की राह आसान नहीं है? भारत के बड़े आयात अमेरिका से खनिज ईंधन और तेल, कटे और बिना घिसे हीरे, मशीनरी, ऑर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक और फल-सूखे मेवे हैं. इनमें से अधिकांश उत्पाद कच्चे माल या इंटरमीडिएट स्तर के होते हैं. अमेरिका पर टैरिफ लगाकर जवाबी कार्रवाई करने से भारत की घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों को ही नुकसान होगा. ऐसा करने से सर्विस सेक्टर में भी नुकसान हो सकता है, जिसे टालना जरूरी है. यह हो सकता है कि अमेरिका में नवंबर 2026 के मध्यावधि चुनावों से पहले बढ़ती महंगाई, नौकरियों का नुकसान और ट्रंप समर्थकों की नाराजगी अमेरिका की नीतियों को थोड़ा नरम कर दे.

9. रेयर अर्थ मिनरल्स की कमी

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक मामलों के जानकारों का कहना है कि चीन की तरह अमेरिका पर टैरिफ लगाना भारत के लिए आर्थिक नजरिए से फायदेमंद नहीं होगा. भारत के लिए सही रास्ता है कूटनीति, घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करना होगा. दूसरे देशों के साथ व्यापार समझौते करना. ताकि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के असर को कम किया जा सके.

इसी तरह भूटान के अखबार 'द भूटनीज' के संपादक तेनजिंग लामसांग का कहना है कि भारत ने चीन की तरह रास्ता नहीं चुना और इसकी ठोस वजहें हैं. भारत की कठिनाई यह है कि चीन की तरह उसके पास रेयर अर्थ मिनरल्स जैसा कोई अहम हथियार नहीं है, जिससे अमेरिकी टेक्नोलॉजी और डिफेंस सेक्टर को बड़ा झटका दिया जा सके. भारत के निर्यात भी ऐसे नहीं हैं, जिन्हें बदला न जा सके.

यही वजह है कि भारत ने ट्रंप के टैरिफ युद्ध का सीधा जवाब न देकर रणनीतिक धैर्य दिखाया है. उसकी प्राथमिकता आर्थिक स्थिरता, रणनीतिक साझेदारी और अंतरराष्ट्रीय छवि है. यही वजह है कि भारत ने ट्रंप की 'आक्रामक टैरिफ पॉलिसी' का पलटवार उसी अंदाज में नहीं किया बल्कि एक संतुलित रास्ता अपनाया.

Similar News