चीन की दबंगई या सरकार की कमज़ोरी? 7 साल बाद मोदी और जिनपिंग साथ- साथ तो कांग्रेस ने उठाए ये सवाल
सात साल बाद पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया. पार्टी ने सवाल उठाया कि क्या अब "नया सामान्य" चीन की दबंगई और सरकार की कमज़ोरी के आधार पर तय किया जाएगा. कांग्रेस ने गलवान घाटी में चीनी हमले, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के प्रति चीन के समर्थन और भारत-चीन सीमा विवाद में सरकार की नाकामी पर भी चिंता जताई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच SCO नेताओं के शिखर सम्मेलन के अवसर पर हुई द्विपक्षीय बैठक के बीच, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर कड़ा हमला बोला है. पार्टी ने सवाल उठाया है कि क्या अब ‘नया सामान्य’ चीन की आक्रामकता और हमारी सरकार की 'बिना साहस' नीति से तय किया जाएगा.
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि पीएम मोदी और शी जिनपिंग की बैठक को 2020 के गालवां घाटी हमले के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें 20 भारतीय जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. रमेश ने केंद्र सरकार की चीन के प्रति नरम रुख को लेकर भी सवाल खड़े किए.
गालवां और चीन की आक्रामकता
जयराम रमेश ने कहा, '19 जून 2020 को चीन ने हमला किया और हमारे बहादुर जवानों की जान गई. इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने चीन को सफाई दी. सेना प्रमुख ने लद्दाख में सीमा की पूरी बहाली की मांग की, लेकिन मोदी सरकार ने इसे अनदेखा कर चीन के साथ मेलजोल को बढ़ावा दिया.'
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान समर्थन
रमेश ने आगे कहा, '4 जुलाई 2025 को डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर में चीन-पाकिस्तान की संगति पर कड़ा बयान दिया. मोदी सरकार ने इस असामाजिक गठजोड़ का जवाब देने के बजाय इसे स्वीकार कर लिया और अब चीन को राजकीय दौरे दे रही है.'
यारलुंग त्सांगपो परियोजना और व्यापार असंतुलन
कांग्रेस नेता ने कहा, 'चीन ने यारलुंग त्सांगपो पर विशाल जलविद्युत परियोजना की घोषणा की, जिसका हमारे उत्तर-पूर्व पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. मोदी सरकार ने इस पर कोई बात नहीं की. चीन से आयात का अवैध दबाव MSMEs को नुकसान पहुंचा रहा है.'
पीएम मोदी का चीन रुख
वहीं, पीएम मोदी ने शी जिनपिंग के साथ बैठक में कहा कि दोनों देशों की जनता के हितों के लिए आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाना आवश्यक है. उन्होंने सीमा प्रबंधन पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते, कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीधे विमान कनेक्टिविटी को भी सराहा.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'पिछले साल कज़ान में हमारी चर्चाएँ बहुत फलदायक रही. सीमा पर disengagement के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना. हमारी कोशिश है कि 28 करोड़ लोगों के हित जुड़े रहें और मानवता के कल्याण के लिए भी यह मार्ग प्रशस्त हो. प्रधानमंत्री ने चीन की SCO अध्यक्षता की सराहना की और शी जिनपिंग को आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया. यह पीएम मोदी का सात वर्षों में चीन का पहला दौरा है.