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पेंटागन रिपोर्ट पर तिलमिलाया 'ड्रैगन', कहा- भारत और चीन के रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश कर रहा अमेरिका, दावे झूठे और भ्रामक

चीन ने पेंटागन की 2025 की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया है. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन भारत के साथ सीमा तनाव कम कर अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर करना चाहता है. बीजिंग ने स्पष्ट किया कि भारत-चीन सीमा मुद्दा द्विपक्षीय है और वर्तमान हालात स्थिर हैं. साथ ही चीन ने पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग और संभावित सैन्य अड्डे को लेकर भी अमेरिकी दावों को निराधार बताया. चीन ने भारत के साथ दीर्घकालिक, स्थिर और रणनीतिक रिश्ते मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई.

पेंटागन रिपोर्ट पर तिलमिलाया ड्रैगन, कहा- भारत और चीन के रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश कर रहा अमेरिका, दावे झूठे और भ्रामक
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( Image Source:  Sora_ AI )

China on Pentagon report over India China relations: चीन ने गुरुवार को पेंटागन की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बीजिंग भारत के साथ सीमा पर तनाव कम करके अमेरिका-भारत रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है. चीन ने इन दावों को पूरी तरह झूठा बताते हुए कहा कि यह रिपोर्ट देशों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश है."

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बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “पेंटागन की यह रिपोर्ट चीन की रक्षा नीति को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है, चीन और अन्य देशों के बीच अविश्वास फैलाती है और अमेरिका के सैन्य प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए बहाने गढ़ती है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है.”


LAC पर चीन का बयान

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर पूछे गए सवाल पर लिन जियान ने स्पष्ट किया कि सीमा विवाद पूरी तरह भारत और चीन के बीच का मामला है. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात स्थिर हैं और दोनों देशों के बीच संवाद के चैनल सुचारु रूप से काम कर रहे हैं. लिन जियान ने कहा, “सीमा प्रश्न चीन और भारत के बीच का विषय है. वर्तमान सीमा स्थिति सामान्य रूप से स्थिर है और संवाद के चैनल खुले हुए हैं.”


पेंटागन रिपोर्ट में क्या कहा गया?

अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने कांग्रेस को सौंपी अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘Military and Security Developments Involving the People’s Republic of China 2025’ में दावा किया है कि चीन LAC पर तनाव कम कर भारत के साथ रिश्तों को स्थिर करना चाहता है, ताकि अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती रणनीतिक नजदीकी को रोका जा सके. रिपोर्ट में अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात का भी जिक्र किया गया है.


‘कोर इंटरेस्ट’ और पाकिस्तान का संदर्भ

पेंटागन रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपने 'कोर इंटरेस्ट' की परिभाषा का विस्तार करते हुए ताइवान के साथ-साथ दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप समूह और अरुणाचल प्रदेश को भी इसमें शामिल किया है. इसके अलावा रिपोर्ट में चीन-पाकिस्तान के बीच रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग को रेखांकित करते हुए यह भी कहा गया है कि बीजिंग ने पाकिस्तान में संभावित सैन्य अड्डा स्थापित करने पर विचार किया हो सकता है.”


चीनी रक्षा मंत्रालय की तीखी प्रतिक्रिया

चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने भी रिपोर्ट के निष्कर्षों को खारिज करते हुए इसे पक्षपातपूर्ण करार दिया. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट तथाकथित 'चीनी सैन्य खतरे' को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करती है. झांग ने अमेरिका से अपील की कि वह झूठे नैरेटिव फैलाने और टकराव को बढ़ावा देने से बाज आए.


भारत-चीन संबंधों पर बीजिंग का रुख

भारत-चीन संबंधों पर रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए लिन जियान ने कहा कि चीन भारत के साथ अपने रिश्तों को दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से देखता है. उन्होंने कहा, “चीन भारत के साथ संवाद मजबूत करने, आपसी विश्वास बढ़ाने, सहयोग को आगे बढ़ाने और मतभेदों को जिम्मेदारी से संभालने के लिए तैयार है. हमारा लक्ष्य एक स्वस्थ और स्थिर द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाना है.” पेंटागन रिपोर्ट को लेकर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद एक बार फिर अमेरिका-चीन-भारत त्रिकोणीय समीकरण और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की रणनीतिक राजनीति चर्चा के केंद्र में आ गई है.

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