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ड्रैगन का दगाबाजी वाला वार! अमेरिकी रिपोर्ट में दावा, भारत की संप्रभुता को चुनौती; अरुणाचल को ताइवान जैसा बताया

अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने एक बार फिर भारत की संप्रभुता को चुनौती दी है. अरुणाचल प्रदेश को ताइवान के समान बताकर ड्रैगन ने उसे अपना हिस्सा मानता है, जिसे वो पाकिस्तान को मजबूत कर हासिल करने की दीर्घावधि योजना पर काम कर रहा है. वह भारत को ताइवान और दक्षिण चीन सागर को एक ही फ्रेम में रखकर, अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना चाहता है.

ड्रैगन का दगाबाजी वाला वार! अमेरिकी रिपोर्ट में दावा, भारत की संप्रभुता को चुनौती; अरुणाचल को ताइवान जैसा बताया
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( Image Source:  Sora AI )

चीन ने एक बार फिर वही किया है, जिसकी उसे आदत पड़ चुकी है. यानी उसने एक बार भारत के साथ दगाबाजी और विस्तारवाद का परिचय देने से बाज नहीं आया. एक नई अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ड्रैगन ने भारत की संप्रभुता को खुली चुनौती देते हुए अरुणाचल प्रदेश को ताइवान की तरह 'विवादित क्षेत्र' के रूप में पेश किया. यह कदम न सिर्फ भारत के क्षेत्रीय अखंडता पर सीधा हमला है, बल्कि यह चीन की उस खतरनाक रणनीति को भी उजागर करता है, जिसके तहत वह ताइवान, दक्षिण चीन सागर और अब भारतीय सीमा क्षेत्रों को एक ही फ्रेम में रखकर, अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना चाहता है.

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क्या है चीन की महान पुनरुत्थान योजना?

अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक अरुणाचल को ताइवान के साथ जोड़ना महज बयानबाजी नहीं, बल्कि भविष्य की आक्रामक भू-राजनीतिक चाल का संकेत है. इससे यह भी साफ होता है कि चीन, भारत के साथ सीमा पर शांति की बात करते हुए, बैकडोर से संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.

अमेरिकी पेंटागन की रिपोर्ट में बताया गया है कि अरुणाचल प्रदेश, ताइवान और दक्षिण चीन सागर में अन्य क्षेत्रीय और समुद्री दावों पर चीन का दावा 2049 तक 'महान पुनरुत्थान' करने की योजना है.

चीन-भारत संबंधों में टकराव

यह रिपोर्ट उस समय आई है, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर सालों पुराना सीमा विवाद भले ही समाप्त समझा मान लिया है. अब इस रिपोर्ट के आने से एक और विवाद शुरू हो सकता है. चीन की दगाबाजी वाला यह प्लान पूर्वोत्तर राज्य नई दिल्ली-बीजिंग संबंधों में बड़ा टकराव पैदा कर सकता है. ऐसा इसलिए कि 'महान पुनरुत्थान' योजना के तहत, चीन का लक्ष्य उच्च वैश्विक स्तर पर काम करना और 'लड़ने और जीतने' में सक्षम 'विश्व स्तरीय सेना' तैयार करना है.

हमेशा भारत का था, और रहेगा

भारत ने इस मसले पर हमेशा यह बनाए रखा है कि अरुणाचल "हमारा था, है और हमेशा" देश का अभिन्न अंग रहेगा. पिछले साल, भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में LAC पर सैनिकों की वापसी के उद्देश्य से एक समझौते पर पहुंचे थे. हालांकि, महीनों की शांति के बाद हाल ही में अरुणाचल प्रदेश को लेकर तनाव फिर से बढ़ गया है.

प्रेमा थोंगडोक को 18 घंटे रखा था हिरासत में

पिछले महीने लंदन से जापान जा रही एक भारतीय नागरिक प्रेमा थोंगडोक को शंघाई में लेओवर के दौरान 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया था. थोंगडोक ने बताया कि चीनी अधिकारियों ने दावा किया कि उनका पासपोर्ट अमान्य था क्योंकि उसमें उनके जन्मस्थान के रूप में अरुणाचल प्रदेश लिखा था. उन्हें भोजन और हवाई अड्डे की अन्य सुविधाओं से भी वंचित कर दिया गया था.

आखिरकार, उन्होंने ब्रिटेन में एक दोस्त के माध्यम से शंघाई में भारतीय दूतावास से संपर्क करने के बाद अपनी यात्रा फिर से शुरू की. इस सप्ताह की शुरुआत में, एक यूट्यूबर को चीन में हिरासत में लिया गया था, क्योंकि उसने थोंगडोक का समर्थन करते हुए बनाए गए एक वीडियो में अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग बताया था.

मैकमोहन लाइन को नहीं मानता सीमा

बीजिंग अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा मानता है और इस क्षेत्र को दक्षिण तिब्बत या जंगनान कहता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन 1914 में अंग्रेजों द्वारा खींची गई मैकमोहन लाइन को स्वीकार नहीं करता है. सीमांकन पर ब्रिटेन और उस समय के आजाद तिब्बत के बीच सहमति बनी थी.

पूरे अरुणाचल में तवांग चीन के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है. असल में, पहले चीन सिर्फ तवांग पर ही दावा करता था. बाद में, उसने इस दावे को पूरे उत्तर-पूर्वी राज्य तक बढ़ा दिया. तब से, चीन ने भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए अरुणाचल में जगहों के नए नामों की लिस्ट समय-समय पर जारी की है. एक पूर्व राजनयिक ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में चीन की चालों पर अमेरिका का ध्यान देना महत्वपूर्ण है.

अमेरिका को पहले से थी इसकी जानकारी

एएनआई न्यूज के मुताबिक, "पहले, अमेरिका लद्दाख से जुड़े घटनाक्रमों के बारे में काफी विस्तार से बताता रहा है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश पर चुप रहा है. अब जब उसने इन कदमों पर ध्यान दिया है, तो यह दिखाता है कि अमेरिका चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में भारत के साथ इस्तेमाल की जाने वाली दबाव बनाने और दूसरी चालों के बारे में बेहतर जानता है."

चीन की पाकिस्तान रणनीति

अमेरिकी रिपोर्ट में भारत के लिए एक और चेतावनी थी. इसमें बताया गया था कि LAC पर तनाव कम करना चीन की लंबी अवधि की दोहरी रणनीति का हिस्सा था. सीमा पर सामरिक शांति को अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान के जरिए लगातार सैन्य दबाव के साथ मिलाना.

यह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साफ तौर पर देखा गया था, जहां पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान ज्यादातर चीनी हथियार इस्तेमाल किए थे. यह अलग बात है कि हथियार और एयर डिफेंस सिस्टम फेल हो गए. इसमें यह भी कहा गया कि LAC पर शांति बनाए रखकर, चीन भारत के साथ संबंध स्थिर कर रहा था और दिल्ली को वाशिंगटन के करीब जाने से रोकने की कोशिश कर रहा था.

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