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6 भारतीयों ने ट्रंप को कैसे बनाया ‘कुबेर’? डोनेशन से लेकर प्रेसिडेंट तक डायरेक्ट एंट्री, समझें पूरी कहानी

अमेरिकी राजनीति में भारतीय मूल के दानदाताओं की भूमिका लगातार बढ़ी है. डोनाल्ड ट्रंप को मिले भारी चंदे के बदले डोनर को क्या मिला? सिर्फ तस्वीरें और इवेंट्स, या सत्ता के गलियारों तक सीधी पहुंच या पद भी. 6 भारतीय मूल के दानदाताओं की कहानी यह दिखाती है कि अमेरिकी राजनीति में डोनेशन मनपसंद लाभ पाने का गारंटीड पॉलिसी है. जानिए 6 भारतीय दानदाताओं की भूमिका, फायदे और विवाद.

6 भारतीयों ने ट्रंप को कैसे बनाया ‘कुबेर’? डोनेशन से लेकर प्रेसिडेंट तक डायरेक्ट एंट्री, समझें पूरी कहानी
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( Image Source:  ANI )

अमेरिका में चुनावी राजनीति बिना पैसे के अधूरी है. डोनाल्ड ट्रंप इस खेल को बखूबी समझते हैं. बीते वर्षों में ट्रंप के कैंपेन और उनसे जुड़े सुपर PACs को मिले चंदे में भारतीय मूल के दानदाताओं का योगदान खासा चर्चा में रहा. सवाल यह नहीं कि कितना पैसा दिया गया, सवाल यह है कि डोनेशन के बदले डोनर को क्या मिला. व्हाइट हाउस के डिनर, हाई-प्रोफाइल फंडरेजर, पॉलिसी राउंडटेबल टॉक - क्या यह सब केवल औपचारिक सम्मान था या सत्ता के केंद्र तक डायरेक्ट एंट्री का रास्ता? आइए, तथ्यों और रिपोर्टेड दावों के आधार पर समझते हैं पूरी तस्वीर.

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द न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच रिपोर्ट के अनुसार कम से कम छह भारतीय मूल के लोग उन 300 से ज्यादा डोनर्स में शामिल हैं, जिन्होंने 2025 में ट्रंप प्रेसीडेंसी के लिए लगभग $2 बिलियन जुटाने में सहयोग दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, ये डोनेशन ज्यादातर ट्रांजेक्शनल हैं. इसमें शामिल लोगों को ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन से लाभ मिला. ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन को 6 भारतीय मूल के लोगों से बड़ा डोनेशन मिला. ये डोनेशन 2024 के इलेक्शन कैंपेन के दौरान जुटाए गए $1.45 बिलियन से ज्यादा है.

इन भारतीयों ने जुटाए ट्रंप के लिए अकूत पैसे

न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की जांच से पता चलता है कि माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला, जिन्होंने प्रेसिडेंसी को $3.5 मिलियन डोनेट किए. वह सबसे बड़े भारतीय मूल के कंट्रीब्यूटर थे. गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने $1.2 मिलियन डोनेट किए. नॉन-टेक इंडस्ट्री के बड़े डोनर्स में से एक अंजलि सिन्हा थीं. पटना में जन्मी ऑर्थोपेडिक सर्जन अब सिंगापुर में अमेरिकन एम्बेसडर हैं. इसके अलावा एडोब सिस्टम्स के CEO शांतनु नारायण, माइक्रोन टेक्नोलॉजी के CEO संजय मेहरोत्रा और IBM के CEO अरविंद कृष्णा का नाम शामिल है.

जहां ट्रंप टेक इंडस्ट्री से खासकर भारतीय मूल के हेड्स से डोनेशन ले रहे हैं, वहीं उनका एडमिनिस्ट्रेशन H-1B प्रोग्राम को खत्म करने पर काम कर रहा है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकन टेक बड़ी कंपनियां विदेशी टैलेंट को हायर करने के लिए करती थीं. ट्रंप प्रेसिडेंसी इतिहास में अकेली ऐसी प्रेसिडेंसी है जिसने अपने शपथ ग्रहण के बाद भी आगे की फंडिंग के लिए जोरदार लॉबी करना जारी रखा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जांच में सैकड़ों डोनर्स का पता चला, जिनमें कम से कम 346 लोग शामिल हैं जिन्होंने ट्रंप प्रेसीडेंसी को $250,000 या उससे ज़्यादा डोनेट किए हैं.

नडेला भारतीय मूल के सबसे बड़े डोनर

NYT की इन्वेस्टिगेशन में 346 उच्च-स्तरीय डोनर्स में से कम से कम छह भारतीय मूल के लोगों की पहचान की गई, जिन्होंने $750,000 से $3.5 मिलियन के बीच दान दिया था. माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला की पहचान प्रेसिडेंसी को $3.5 मिलियन की राशि दान करने वाले के रूप में की गई, जिसमें उद्घाटन के लिए $1 मिलियन शामिल थे, जिससे वह भारतीय मूल के सबसे बड़े योगदानकर्ता बन गए. इसके बदले में, उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया, साथ ही नियमित डिनर के लिए भी बुलाया गया, जबकि कंपनी को ट्रंप प्रशासन द्वारा अमेरिकी राज्यों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अलग कानून लागू करने से रोकने का फायदा मिला.

डोनर्स को ट्रंप प्रशासन से मिले ये लाभ

हालांकि, ऐसे हालात में डोनेशन और रिश्वत के बीच की लाइन मिट जाती है. US में सही तरीकों से लॉबिंग करना लीगल है. ट्रंप, जिन्हें सोने का बहुत शौक है, उन्हें अमीरी से प्रभावित होते देखा गया है. कम से कम 197 बड़े डोनर्स को उनके योगदान से काफी फायदा हुआ है, जिसमें प्रेसिडेंशियल माफी, हल्की कानूनी सजा, टैक्स में कटौती, कानूनी छूट, सरकारी कॉन्ट्रैक्ट और एडमिनिस्ट्रेशन में बड़े अपॉइंटमेंट वगैरह शामिल हैं.

गूगल के CEO सुंदर पिचाई की पहचान $1.2 मिलियन की राशि दान करने वाले के रूप में की गई. इसके बदले में, कथित तौर पर गूगल के कई उच्च-स्तरीय अधिकारियों को राष्ट्रपति ट्रंप तक सीधी पहुंच दी गई. प्रशासन ने गूगल के खिलाफ ट्रंप द्वारा लाए गए एक मुकदमे को भी सुलझा लिया. जब कंपनी ने ट्रंप के बॉलरूम प्रोजेक्ट के लिए $24.5 मिलियन की राशि दान करने पर सहमति जताई. 346 हाई-लेवल डोनर्स में से कम से कम 197 को ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के कुछ फैसलों से फायदा हुआ.

डोनर के पैसों का यहां हुआ इस्तेमाल

डज्रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रेसीडेंसी ने डोनेशन जमा करने और प्रोसेस करने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया, जिसमें MAGA Inc, जिसने कम से कम $200 मिलियन जुटाए, और ट्रस्ट फॉर द नेशनल मॉल, जिसने कम से कम $350 मिलियन जुटाए, शामिल हैं.

कॉर्पोरेट्स का पैसा डोनेशन या रिश्वत?

फंडरेजिंग का काम ट्रंप के कैंपेन फाइनेंस डायरेक्टर, मेरेडिथ ओ'रूर्के कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक प्रेसिडेंट ट्रंप इस बात पर करीब से नजर रखते हैं कि किन कंपनियों ने कितना दिया है, और वे ओ'रूर्के के साथ रेगुलर डीब्रीफिंग करते हैं. डोनेशन लॉबिस्ट मांगते हैं जो डोनर्स को भरोसा दिलाते हैं कि वे प्रेसिडेंट ट्रंप के मुकाबले अच्छी स्थिति में आ जाएंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों ने कम से कम $1 मिलियन डोनेट किए, उन्हें ट्रंप तक एक्सक्लूसिव एक्सेस दिया गया, उन्हें फंड-रेजिंग डिनर जैसे अलग-अलग इवेंट्स में शामिल होने के लिए बुलाया गया और साथ ही उनके साथ विदेश यात्राओं पर जाने का मौका भी दिया गया.

अमेरिका में पैसा बोलता है

व्हाइट हाउस के पूर्व अधिकारी और लॉबिस्ट हैरिसन फील्ड्स ने कहा कि, "इस शहर में, पैसा बोलता है, और इससे आपको कम से कम टेबल पर बैठने का मौका मिलेगा." उन्होंने यह भी कहा कि सभी डोनेशन बिजनेस के फैसले के तौर पर लिए जाते हैं और इसमें कोई जबरदस्ती शामिल नहीं होती है.

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