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Epstein Files के नए बैच में ट्रंप पर महिला से रेप का आरोप, 1997 में हुई थी घटना; DOJ ने सफाई में क्या कहा?

जेफ्री एप्स्टीन फाइल्स के नए दस्तावेज़ों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ दर्ज एक अपुष्ट आरोप ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. हालांकि अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने स्पष्ट किया कि ये दावे “सनसनीखेज और असत्य” हैं और इनकी कोई कानूनी विश्वसनीयता नहीं है. FBI इंटेक फॉर्म में दर्ज यह दावा कभी औपचारिक जांच तक नहीं पहुंचा. दस्तावेज़ पारदर्शिता कानून के तहत जारी किए गए हैं, न कि आरोपों की पुष्टि के लिए. फ्लाइट लॉग्स और पुराने सामाजिक संबंधों का जिक्र जरूर है, लेकिन किसी अपराध का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है.

Epstein Files के नए बैच में ट्रंप पर महिला से रेप का आरोप, 1997 में हुई थी घटना; DOJ ने सफाई में क्या कहा?
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( Image Source:  X/OversightDems )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 24 Dec 2025 8:05 AM IST

जेफ्री एप्स्टीन फाइल्स के नए दस्तावेज़ सार्वजनिक होते ही अमेरिका की राजनीति में एक बार फिर तूफान आ गया है. इन फाइल्स में अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump के खिलाफ दर्ज एक बेहद गंभीर आरोप ने सुर्खियां बटोरीं लेकिन साथ ही अमेरिकी न्याय विभाग ने इसे सनसनीखेज और असत्य बताते हुए सख्ती से खारिज कर दिया. इस टकराव ने पारदर्शिता बनाम तथ्य, और आरोप बनाम सबूत की बहस को फिर केंद्र में ला दिया है.

मामला इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि यह आरोप किसी अदालत के फैसले से नहीं, बल्कि FBI को मिली एक अपुष्ट टिप के रूप में सामने आया है. सवाल यह है कि जब हजारों पन्नों के दस्तावेज़ सार्वजनिक होते हैं, तो उनमें दर्ज हर दावा कितना भरोसेमंद होता है और मीडिया व जनता को इसे कैसे पढ़ना चाहिए? नीचे पूरे मामले की पूरी तस्वीर, संदर्भ और आधिकारिक जवाब विस्तार से दिए गए हैं.

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नया आरोप आया कहां से

नए जारी दस्तावेज़ों में एक FBI इंटेक फॉर्म (अक्टूबर 2020) शामिल है, जो FBI के नेशनल थ्रेट ऑपरेशंस सेंटर में दर्ज एक कॉल का सार है. इस कॉल में दावा किया गया कि ट्रंप ने कथित तौर पर जेफ्री एप्स्टीन और गिसलेन मैक्सवेल के साथ मिलकर एक महिला के साथ दुष्कर्म किया. यह दावा 1997 में एक लग्ज़री होटल में हुई कथित घटना से जोड़ा गया है.

अधूरी रही जांच

महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दावा कभी जांच के अगले चरण तक नहीं गया. दस्तावेज़ों में कहीं यह नहीं दिखता कि FBI या अभियोजकों ने इसकी विश्वसनीयता की पुष्टि की हो, न ही किसी औपचारिक जांच, FIR, चार्जशीट या ट्रायल का रिकॉर्ड मौजूद है. आरोपी, पीड़िता की उम्र और पहचान सब कुछ रेडैक्टेड है.

DOJ का खंडन

इस बात की जानकारी के बाद United States Department of Justice ने बयान जारी कर कहा कि फाइल्स में कुछ “untrue and sensationalist claims” शामिल हैं. DOJ के अनुसार, यदि इन आरोपों में ज़रा भी दम होता, तो 2020 के चुनाव से पहले ही इन्हें ट्रंप के खिलाफ हथियार बनाया जा चुका होता. विभाग ने स्पष्ट किया कि दस्तावेज़ में शामिल होना, सत्य का प्रमाण नहीं होता.

दोस्ती हुई थी ख़त्म: ट्रंप

ट्रंप ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि उन्होंने एप्स्टीन से कई साल पहले ही संबंध तोड़ लिए थे. उनके सहयोगियों का दावा है कि 2008 के बाद एप्स्टीन को मार-ए-लागो से प्रतिबंधित कर दिया गया था. ट्रंप का कहना है कि यह सब राजनीतिक ध्यान भटकाने की कोशिश है.

तथ्य क्या कहते हैं?

दस्तावेज़ों में 1990 के दशक के फ्लाइट लॉग्स का जिक्र है, जिनमें ट्रंप के एप्स्टीन के जेट पर कम से कम आठ यात्राएं (1993–1996) दर्ज हैं. हालांकि, इन यात्राओं में एप्स्टीन के द्वीप का कोई उल्लेख नहीं है, और DOJ ने कहा कि यात्रा का रिकॉर्ड अपने आप में अपराध का सबूत नहीं होता.

एक ड्राइवर का दावा

एक अलग खाते में डलास–फोर्ट वर्थ के एक लिमोज़ीन ड्राइवर का बयान है, जिसने 1995 के आसपास ट्रंप को एयरपोर्ट छोड़े जाने और एक फोन कॉल सुनने का दावा किया. उसने कथित तौर पर “Jeffrey” शब्द और “abusing some girl” जैसे शब्द सुनने की बात कही. लेकिन यह भी हियरसे (सुनी-सुनाई बात) है, जिसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई.

पारदर्शिता कानून

ये फाइल्स उस कानून के तहत जारी हुई हैं, जिसे ट्रंप के हस्ताक्षर से पारित किया गया था और जिसका मकसद एप्स्टीन से जुड़े रिकॉर्ड सार्वजनिक करना है. DOJ ने बताया कि कई फाइल्स पीड़ितों की सुरक्षा के लिए रेडैक्टेड हैं और पारदर्शिता का मतलब आरोपों को सत्य ठहराना नहीं है.

आरोप नहीं हुआ सिद्ध

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने आरोप को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, कई संस्थाओं ने साफ किया कि यह हजारों पन्नों में दर्ज एक अकेली, अपुष्ट टिप है जिससे कोई नया कानूनी निष्कर्ष नहीं निकलता. कुल मिलाकर, यह मामला दिखाता है कि फाइल में दर्ज आरोप अदालत में साबित अपराध नहीं है. तथ्य, जांच और सबूत तीनों का फर्क समझना आज पहले से ज्यादा ज़रूरी है.

डोनाल्ड ट्रंप
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