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NDA का 36 फीसदी ‘EBC’ वोट Mahagathbandhan के 32% ‘MY’ कार्ड पर कैसे पड़ रहा भारी? जानें जातीय समीकरण का पूरा गणित

Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में जहां RJD मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पर भरोसा जता रही है. जबकि NDA ने इस बार EBC (अति पिछड़ा वर्ग) पर पूरा फोकस किया है. बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने रणनीति के तहत इस वर्ग को अपने साथ मजबूत करने की कोशिश की है. यह नया सामाजिक समीकरण चुनाव के नतीजों में बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है.

NDA का 36 फीसदी ‘EBC’ वोट Mahagathbandhan के 32% ‘MY’ कार्ड पर कैसे पड़ रहा भारी? जानें जातीय समीकरण का पूरा गणित
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Bihar Elections 2025: बिहार की राजनीति दशकों से जातीय समीकरणों पर टिकी रही है. RJD जहां अपने पारंपरिक MY (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक पर निर्भर है, वहीं NDA ने इस बार EBC (Extremely Backward क्लासेज) को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सामाजिक इंजीनियरिंग और बीजेपी की संगठित रणनीति ने इस कार्ड को चुनावी ‘गेमचेंजर’ बना दिया है. यही वजह है कि आरजेडी का एमवाई फार्मूला प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा है. कम से कम पहले चरण की 121 सीटों पर चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद आए आईएएनएस मैट्रिनेज और चाणक्य स्ट्रेटेजीज ओपिनियन पोल से तो यही लगता है.

MATRIZE-IANS ओपिनियन पोल के अनुसार एनडीए को सबसे ज्यादा 153-164 सीट, महागठबंधन को 76 से 87, पीके की जन सुराज पार्टी को 1-3, सदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 1-2, और अन्य के खाते में 0-4 सीटें जा सकती हैं. इसी तरह चाणक्य स्ट्रेटजी के सर्वे के मुताबिक 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए को 128-134 सीट, महागठबंधन को 102-108, जन सुराज, ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम, पशुपति पारस के नेतृत्व वाली आरएलजेपी और 25 सीटों पर जीत मिलने की संभावना है.

दोनों एजेंसियों के ओपिनियन पोल से साफ है कि महागठबंधन को मुस्लिम और यादव वोट भी पहले की तरह थोक में नहीं मिल रहा है. साथ ही मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ईबीसी वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पा रही है. जानें क्या है महागठबंधन और एनडीए की चुनावी रणनीति.

NDA का ‘EBC’ पर सटीक निशाना

बिहार की 36% से अधिक आबादी EBC वर्ग से आती है, जिसमें नाई, कुशवाहा, राजभर, कहार, तेली, धांगी, गोला, और पासी जैसी जातियां शामिल हैं. एनडीए ने ओबीसी और सवर्ण को भी थाम रखा है. 2010 के बाद से नीतीश कुमार ने इस वर्ग को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने पर जोर दिया. 2025 के चुनाव में इसे एक मजबूत वोट बैंक के रूप में पेश किया है. NDA ने टिकट बंटवारे में भी इस वर्ग को प्राथमिकता दी है. करीब 28% उम्मीदवार EBC पृष्ठभूमि से आते हैं.

RJD का ‘MY’ फॉर्मूला कितना प्रभावी?

RJD की रणनीति मुस्लिम और यादव वोट बैंक पर टिकी है, लेकिन अन्य पिछड़ी जातियों और अति पिछड़ों के बीच उसकी पकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है. मुस्लिम यादव बिहार के कुल वोट बैंक का करीब 31 से 32 प्रतिशत है. आरजेडी ने सवर्ण और ओबीसी की बहुत हद तक टिकट देने में उपेक्षा की है. मुकेश सहनी महागठबंधन के पक्ष में वोट नहीं डलवा पा रहे हैं. ऐसा इसलिए कि जमीनी स्तर पर EBC समुदायों में NDA की पकड़ बनी हुई है.

EBC वोट NDA के लिए क्यों जरूरी?

पिछले दो चुनावों (2015 और 2020) में EBC मतदाताओं का झुकाव NDA की ओर अधिक रहा. 2025 में भी यह वर्ग निर्णायक भूमिका निभा सकता है, क्योंकि कई सीटों पर EBC वोट शेयर 25 प्रतिशत से अधिक है. नीतीश कुमार ने अपने अभियानों में बार-बार 'अति पिछड़ों का सम्मान' और 'समावेशी विकास' जैसे मुद्दे उठाए हैं.

EBC बनाम MY: संतुलन का नया समीकरण

RJD की ‘MY’ राजनीति की तुलना में NDA की ‘EBC’ राजनीति ज्यादा असरदार होने के संकेत हैं. जहां MY वोटबैंक दो प्रमुख समुदायों तक सीमित है, वहीं EBC वोट कई उपजातियों में बंटी है, जो चुनावी समीकरण को निर्णायक बना सकता है.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 'EBC कार्ड' इस बार NDA के लिए वैसा ही साबित हो सकता है जैसा 1990 के दशक में 'MY' फॉर्मूला RJD के पक्ष में साबित हुआ था.

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