आबादी 17%, टिकट 0! बिहार चुनाव में बीजेपी ने फिर मुस्लिमों से किया किनारा, NDA में सिर्फ 5 मुस्लिम कैंडिडेट - आखिर क्यों?
बिहार चुनाव 2025 में मुस्लिम आबादी लगभग 18 फीसदी होने के बावजूद बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को इस बार भी चुनावी मैदान में नहीं उतारा. NDA की बाकी पार्टियों जैसे जेडीयू, हम, एलजेपी (रामविलास) और आरएलएम का रुख भी चौंकाने वाला है. जानें, कितने मुस्लिम प्रत्याशी दिए और इसके पीछे की रणनीति क्या है?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछ चुकी है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रमुख पार्टी बीजेपी और जेडीयू सहित सभी पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. बीजेपी ने पहले की तरह इस बार भी एक भी मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारे. वैसे, बीजेपी टिकट देगी, इसकी अपेक्षा मुसलमानों को भी नहीं होती है. नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भी इस बार मुसलमानों को निराश किया. अपने 101 उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतार चुकी है. पार्टी ने 2020 में 11 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिए थे, लेकिन इस बार केवल 4 उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं.
इसी तरह चिराग पासवान एक सीट पर मुस्लिस प्रत्याशी को टिकट दिया है. जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने भी किसी भी सीट से मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की लिस्ट ने सियासी हलचल मचा दी है.
1. बीजेपी ने इस बार भी नहीं दिए मुस्लिमों को टिकट
बीजेपी की सूची में 101 नाम शामिल हैं, लेकिन एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं हैं. यह स्थिति 2020 के चुनाव जैसी ही है. जब बीजेपी ने किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था. पार्टी का फोकस पूरी तरह अपने पारंपरिक वोट बैंक यानी ऊपरी जाति, ओबीसी और गैर-मुस्लिम पिछड़ों पर है.
2. बीजेपी की रणनीति क्या है?
सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी का मकसद इस बार अपने ‘कोर वोटर बेस’ को मजबूत करना है. पार्टी मुस्लिम वोटों पर दांव लगाने की बजाय हिंदू मतों के ध्रुवीकरण की रणनीति पर चल रही है. पार्टी अक्सर यह रणनीति अपनाती है कि मुसलमान वोटों की बजाय हिंदू वोटों पर फोकस किया जाए. इस कारण मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने की प्राथमिकता बहुत कम होती है.
बीजेपी यह मानती है कि मुसलमान वोटरों के लिए किसी खास उम्मीदवार को मैदान में उतारना उनकी जीत की संभावना बढ़ाने में मदद नहीं करेगा. इसलिए, पार्टी ज्यादातर ऐसे उम्मीदवार चुनती है जिनका जनाधार उनके हिंदू वोट बैंक के साथ मजबूत हो.
3. जेडीयू ने उतारे 4 मुस्लिम उम्मीदवार
जेडीयू यानी नीतीश कुमार की पार्टी ने इस बार दो मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका दिया है. इनमें एक सिटिंग एमएलए भी शामिल हैं. पार्टी ने यह संतुलन अल्पसंख्यक वोटरों को साधने और ‘सेक्युलर’ छवि बनाए रखने के लिए रखा है.
जेडीयू ने जिन नेताओं को प्रत्याशी बनाया है उनमें मोहम्मद जमा खान चैनपुर, सबा जाफर अमौर, जनाब मंजर आलम जोकीहाट और शगुप्ता अजीम अररिया का नाम शामिल है. जेडीयू ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 11 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था, एक भी प्रत्याशी जीत हासिल करने में सफल नहीं हुए थे. 2010 और 2015 की तुलना में पांच साल पहले मुस्लिम मतदाताओं ने नीतीश की पार्टी को कम वोट किया था.
नीतीश कुमार ने इस बार जतीय समीकरण भी पूरी तसल्ली से साधने की कोशिश की है. 101 सीटों पर नीतीश कुमार ने 37 पिछड़ा, 22 अति पिछड़ा, 22 सामान्य, 15 अनुसूचित जाति, एक जनजाति, 4 अल्पसंख्यक और 13 महिला महिला उम्मीदवारों पर दांव खेला है. वहीं अगर जातिगत आंकड़ा देखें 12 कुर्मी, 13 कुशवाहा, 8 धानुक, 5 मुसहर, 5 रविदास, 8 यादव, 9 भूमिहार, 10 राजपूत, 2 ब्राह्मण और एक कायस्थ उम्मीदवार को टिकट दिया है.
4. हम ने नहीं उतारे मुस्लिम उम्मीदवार
जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने अपने सीमित सीटों में से एक मुस्लिम चेहरा उतारा है. मांझी लंबे समय से दलित-मुस्लिम एकता की राजनीति की बात करते रहे हैं. साल 2020 में भी हम ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को उम्मीदवार नहीं बनाया था.
5. एलजेपी रामविलास 1 और RLAM फिर जीरो
चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी(रामविलास) ने इस बार एक मुस्लिम उम्मीदवार को मौका दिया है. एलजेपीआर ने बहादुरगंज से मोहम्मद कलीमुद्दीन को प्रत्याशी बनाया है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में LJP ने नौशाद आलम को नरकटियागंज, मोहम्मद इंतखाब आलम को बाजपट्टी से, मोहम्मद नासिर अहमद को बेलसांड, मोहम्मद कलीमुदृदीन को ठाकुरगंज, हबीबुर रहमान को कोचाधाम सीट से प्रत्याशी बनाया था. जबकि उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम ने इस बार किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया.
विपक्ष का हमला
राजद और कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी कभी भी अल्पसंख्यकों को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व नहीं देती. वहीं एनडीए सहयोगियों को भी निशाने पर लिया जा रहा है कि वे बीजेपी की लाइन पर चल रहे हैं.