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'20 वोटर लाएगा 1 कार्यकर्ता', अमित शाह की रणनीति, बिहार चुनाव में कितनी होगी कामयाब?

बिहार चुनाव 2025 से पहले बीजेपी ने चुनावी रणनीति का नया ब्लूप्रिंट तैयार किया है. अमित शाह कार्यकर्ताओं को तय रणनीति के मुताबिक लक्ष्य बता दिया. उन्होंने कहा हर एक कार्यकर्ता कम से कम 20 वोटरों को बूथ तक लाएगा. सवाल यह है कि क्या यह रणनीति जमीनी स्तर पर कारगर साबित होगी और विपक्षी एकता को मात दे पाएगी?

20 वोटर लाएगा 1 कार्यकर्ता, अमित शाह की रणनीति, बिहार चुनाव में कितनी होगी कामयाब?
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( Image Source:  Vinod Tawde @TawdeVinod )

बिहार चुनाव 2025 का औपचारिक एलान से पहले बीजेपी ने अपने चुनावी अभियान को तेज कर दिया है. पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यकर्ताओं के लिए नया टारगेट गुरुवार को बिहार पहुंचकर तय कर दिया है. उन्होंने सीएम नीतीश कुमार और संजय झा से मुलाकात, पार्टी नेताओं के साथ बैठक और डेहरी के चुनावी रैली में एनडीए कार्यकर्ताओं को साफ-साफ कहा कि इस बाद बिहार में एनडीए की जीत तय है. दो तिहाई बहुमत से हमारी सरकार बनेगी. महागठबंधन वाले जिस गफलत में हैं, वो न रहें.

उन्होंने एनडीए के कार्यकर्ताओं से कहा, “एक कार्यकर्ता कम से कम 20 वोटर अपने साथ जोड़कर बूथ तक लाएगा.” उनकी यह रणनीति चुनावी गणित को बदल सकती है. क्योंकि बीजेपी बूथ स्तर से लेकर मोहल्ला और गांव तक अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है. अब सवाल है कि शाह की यह रणनीति बिहार की राजनीति में कितनी कारगर साबित होगी?

अमित शाह ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी सहित एनडीए के कार्यकर्ताओं को माइक्रो मैनेजमेंट के तहत हर बूथ के हर घर तक पहुंचना होगा. यह रणनीति वोट प्रतिशत बढ़ाने और बूथ प्रबंधन को मजबूत करने में मदद करेगी. खासकर उन इलाकों में जहां बीजेपी की परंपरागत पकड़ कमजोर है, वहां यह फॉर्मूला पार्टी को बढ़त दिला सकता है. यह चुनावी गणित कितना कारगर होगा, यही आने वाला वक्त बताएगा. फिलहाल, जानें उनकी चुनावी रणनीति में और क्या है?

‘बूथ जीतो, चुनाव जीतो’

अमित शाह ने कहा बिहार में 70,000 से ज्यादा बूथ हैं. यदि हर बूथ पर 10 से 15 कार्यकर्ता भी सक्रिय हुए तो लाखों नए वोटरों को प्रभावित किया जा सकता है. इसलिए, पार्टी के कार्यकर्ताओं को ‘बूथ जीतो, चुनाव जीतो’ का मंत्र देते हुए एक खास टारगेट दिया- "एक कार्यकर्ता 20 वोटर".

वोटर से सीधा संपर्क

बीजेपी के कार्यकर्ता अपने मोहल्ले, गांव और जातीय समीकरण के हिसाब से वोटरों तक पहुंच बनाएंगे. उन्हें मोदी और नीतीश सरकार के काम के बारे में जानकारी देंगे. साथ ही उनकी बातों को सुनकर सही जानकारी पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारी तक पहुंचाएंगे.

विपक्ष पर दबाव

बिहार के विपक्षी गठबंधन (महागठबंधन) पर दबाव बनाने के मकसद से उन्होंने कहा कि वे लोग अभी सीट बंटवारे और एकता की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. इससे बाहर नहीं निकल पाएंगे. बीजेपी को इस मौके का फायदा उठाना चाहती है. अगर बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा बूथ स्तर पर एक्टिव हो जाता है तो शाह की यह रणनीति चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकती है.

अमित शाह का चुनावी फॉर्मूला

अमित शाह का मानना है कि चुनाव बूथ स्तर पर जीते जाते हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि हर कार्यकर्ता को 20 वोटर अपने जिम्मे लेने होंगे। यानी लाखों कार्यकर्ता मिलकर करोड़ों वोटरों तक बीजेपी का संदेश और एजेंडा पहुंचाएंगे।

बूथ प्रबंधन पर खास फोकस

बीजेपी पहले भी बूथ स्तर पर मजबूत संगठन के दम पर सफलता पाती रही है। इस बार भी शाह ने जोर दिया है कि प्रत्येक बूथ पर कम से कम 5 से 10 सक्रिय कार्यकर्ता तैनात रहें। इसका मकसद है कि चुनाव वाले दिन वोटरों को मतदान केंद्र तक लाने में कोई ढिलाई न हो.

विपक्षी एकता पर दबाव

तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन पहले ही आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा है। अगर बीजेपी का बूथ प्रबंधन और शाह का 20 वोटर फॉर्मूला सफल हो जाता है, तो विपक्षी गठबंधन के लिए मुकाबला और मुश्किल हो जाएगा. इसके साथ ही शाह ने गुरुवार को बिहार में राजग के लिए पिछले दो चुनाव (2020 के विधानसभा एवं 2024 के लोकसभा चुनाव) में सबसे ज्यादा कमजोर प्रदर्शन वाले क्षेत्र रहे शाहाबाद एवं मगध क्षेत्र से चुनाव प्रचार अभियान का श्रीगणेश किया.

2025 चुनाव में क्या होगा असर?

अगर बीजेपी का अपने टारगेट सिर्फ कागजों पर न रहकर जमीन पर उतार दे तो यह चुनावी समीकरण को बड़े स्तर पर बदल सकता है. पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ेगा और महागठबंधन को नुकसान हो सकता है.

BJP मजबूत होगी तो NDA को मिलेगा बल

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डेहरी में एनडीए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए साफ कहा कि यह चुनाव सिर्फ सरकार बनाने का नहीं, बल्कि दो-तिहाई से अधिक बहुमत से एनडीए की सरकार बनाने का है. शाहाबाद की 80% सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया और नीतीश सरकार के काम की सराहना की. शाह ने कार्यकर्ताओं से संकल्प लेने की अपील की कि वे मोदी और नीतीश सरकार की उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाएं. जैसे-जैसे भाजपा मजबूत होगी, एनडीए मजबूत होगा और बिहार उतना ही खुशहाल बनेगा.

अमित शाह के इस आह्वान ने साफ कर दिया है कि भाजपा बिहार चुनाव में किसी समझौते की स्थिति नहीं बल्कि बड़े बहुमत की सरकार बनाने के इरादे से मैदान में है. बिहार का भविष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से जुड़ा है और कार्यकर्ताओं को हर हाल में इस लक्ष्य को हासिल करना होगा.

वोटर अधिकार यात्रा दिखावा

राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को आड़े हाथों लेते हुए शाह ने कहा कि यह सिर्फ दिखावा है. जबकि लालू यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 'लालू जीवन भर मुख्यमंत्री रहकर भी नीतीश कुमार की बराबरी नहीं कर सकते.'

24 घंटे में गढ़ा 60 दिन का समीकरण

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पटना में 24 घंटे का पूरा प्रवास चुनावी समीकरणों को साधने में बीता. भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले शाह अबकी बार हार की भरपाई के लिए स्वयं सूक्ष्म प्रबंधन पर काम करने के संकेत दिए.बिहार भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ पांच अलग-अलग बैठक में पूरे दो महीने के चुनाव प्रचार एवं प्रबंधन को लेकर ब्ल्यू प्रिंट थमाया. सभी से तय रणनीति पर काम करने को कहा.

चुनाव के लिहाज से रणनीतिक दौरा - गुरु प्रकाश पासवा

भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने स्टेट मिरर से बातचीत में बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का 18 सितंबर का बिहार दौरा चुनाव के लिहाज से रणनीतिक दौरा था. बीजेपी सहित एनडीए नेताओं से बातचीत में उन्होंने चुनाव जीतने के तौर तरीके बताएं हैं. साथ ही ये भी बताया कि चुनाव भारी बहुमत से जीतने के लिए क्या करना होगा. उन्होंने साफ कर दिया है कि हर बूथ को जीतना होगा, हर कार्यकर्ता को 20 मतदाताओं को एनडीए के पक्ष में मतदान कराने का लक्ष्य देना भी उसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है. शाह ने साफ शब्दों में बता दिया है कि बिहार में एनडीए की जीत का मतलब बिहार का विकास है.

2020 में NDA से कौन कितनी सीटों पर लड़ा था चुनाव

2020 के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी के बीच 122-121 सीट का हिसाब बना था. जेडीयू ने 115 सीटें अपने पास रखकर अपने कोटे से मांझी को 7 सीटें दी थी. भाजपा अपने कोटे की 121 सीटों में 110 पर खुद लड़ी और 11 मुकेश सहनी को दिया था. चिराग पासवान की लोजपा तब 135 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ी थी. चिराग पासवान के अकेले चुनाव मैदान में उतरने के कारण जेडीयू को कई सीटों पर नुकसान हुआ था.

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