तेजस्वी ने घुड़सवारी कर मोकामा में छोटे सरकार को दी चुनौती, अनंत सिंह को है NDA की जीत का यकीन
Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में मोकामा एक बार फिर सुर्खियों में है। तेजस्वी यादव ने यहां घुड़सवारी कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और छोटे सरकार (अनंत सिंह) को सीधी चुनौती दे डाली. दिलचस्प यह है कि अनंत सिंह पहले ही एनडीए की जीत का दावा कर चुके हैं। अब मोकामा की यह सियासी जंग सिर्फ चुनावी मुकाबला नहीं, बल्कि अहम राजनीतिक प्रतिष्ठा की लड़ाई भी बन गई है.

Bihar Election 2025: बिहार के मोकामा की चुनावी जमीन पर तेजस्वी यादव और छोटे सरकार की सीधी टक्कर देखने को अभी से मिलने लगी है. जबकि चुनाव आयोग द्वारा चुनावी कार्यक्रमों का आधिकारिक एलान अभी नहीं हुआ है. तेजस्वी ने जहां घोड़े पर सवार होकर शक्ति प्रदर्शन किया, वहीं अनंत सिंह लगातार एनडीए की जीत का दावा कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि मोकामा की जनता इस बार किसके पक्ष में फैसला सुनाएगी?
फिलहाल, टिकट बंटवारे को लेकर मंथन चल रहा है. इस बीच मोकामा के छोटे सरकार के बयान के बाद तेजस्वी यादव की घुड़सवारी की वजह से सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं. ऐसा इसलिए कि बिहार में घोड़े की सवारी को 'मर्दानगी' का पर्याय माना जाता है. जबकि मोकामा छोटे सरकार यानी अनंत सिंह का गढ़ है. इस क्षेत्र में उनकी इजाजत के कुछ नहीं होता.
वहीं, पहुंच तेजस्वी ने न केवल घुड़सवारी की बल्कि अनंत सिंह को चुनौती भी दे दी है. इतना ही नहीं, तेजस्वी ने अप्रत्यक्ष रूप से सूरजभान सिंह का नाम लेकर साफ कर दिया है कि या तो वो होंगे प्रत्याशी या उनकी पसंद का शख्स होगा उम्मीदवार.
छोटे सरकार ने क्या कहा था?
दरअसल, हाल ही में एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन में मोकामा के पूर्व बाहुबली MLA अनंत सिंह ने बड़ा ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि आने वाले चुनाव में विपक्ष की जमानत जब्त हो जाएगी. अनंत सिंह ने दावा किया कि मोकामा की जनता उनके साथ है. उनकी जीत तय है.
तेजस्वी का पलटवार, रथ छोड़कर की घोड़े की सवारी
RJD नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा 17 सितंबर को रोड करना और उसके बाद चुनावी रथ छोड़कर घुड़सवारी को अनंत सिंह पर पलटवार माना जा रहा है. लालू यादव के छोटे बेटे के इस अंदाज और तेवर ने पूरे इलाके में सियासी माहौल गरम हो गया है. इस बात को लोगों माना है तेजस्वी अनंत सिंह के गढ़ में चुनौती देने उतरे हैं.
सूरजभान सिंह के उम्मीदवारी के दिए संकेत
तेजस्वी ने चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, 'बिहार की जनता जाग गई है. जनता ने फैसला कर लिया है कि अब इस शासन को खाली करना है. न सिर्फ मोकामा, बल्कि पूरे बिहार में महागठबंधन की जीत होगी.' उन्होंने ये भी कहा कि घोड़े की सवारी कोई नई बात नहीं है. हॉर्स राइडिंग इससे पहले भी करता रहा हूं. बता दें कि मोकामा जैसे इलाकों में घोड़े की सवारी आम परंपरा है.
तेजस्वी यादव ने सीधे किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन मोकामा सीट पर वह इस बार चौंकाने वाला फैसला लेंगे. आरजेडी से जो उतरेगा, उसकी जीत तय है. इसके बाद से लोग यह मानकर चल रहे है कि इस सीट पर सूरजभान सिंह उनकी पसंद का व्यक्ति ही चुनाव लड़ेगा.
क्या हैं घुड़सवारी के मायने?
मोकामा में तेजस्वी यादव द्वारा घुड़सवारी करना बिहार की राजनीति में सिर्फ एक 'इवेंट' नहीं, बल्कि पॉलिटिकल सिग्नल माना जा रहा है. इसे तेजस्वी की ताकत और साहस के रूप में लिया जा रहा है. वैसे भी बिहार के ग्रामीण इलाकों में घोड़ा शक्ति, राजसत्ता और मर्दानगी का प्रतीक है. घुड़सवारी के शौकीन छोटे सरकार भी हैं.
ऐसा कर तेजस्वी ने छोटे सरकार को संदेश देने की कोशिश की है कि अब मोकामा सिर्फ अनंत सिंह का इलाका नहीं रहा, बल्कि RJD और तेजस्वी की पकड़ मजबूत है. घुड़सवारी ने तेजस्वी की छवि 'सिर्फ क्रिकेटर या नेता-पुत्र' से हटाकर 'जमीनी, दमदार और आक्रामक' बनाने में मदद की है.
सही में चुनौती बन सकते हैं तेजस्वी!
जातीय आधार के लिहाज से मोकामा में यादव, मुस्लिम और निषाद काफी संख्या में है।. इन्हें RJD का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है. अगर मोकामा में आरजेडी को मजबूती मिली तो यह चुनौती गंभीर होगी.
दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि कानूनी केस और लगातार चुनावी कमजोरियों ने अनंत सिंह स्थिति पहले की तुलना में कमजोर कर दी है. ऐसे में तेजस्वी का यह कदम सिर्फ दिखावा नहीं बल्कि राजनीतिक पोजिशनिंग है, जिससे RJD मोकामा की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
छोटे सरकार कौन?
बिहार की राजनीति में अनंत सिंह को अक्सर "छोटे सरकार" कहा जाता है. मोकामा क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता है. उनका दबदबा इस कदर रहा कि कई दशकों तक कोई भी चुनावी समीकरण उनकी छाया से अलग नहीं देखा जाता था.