Bihar Chunav 2025: सिर्फ जमीन बचाने की कवायद! तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा की सियासी हकीकत
Bihar Adhikar Yatra: राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ निकल पड़े हैं. उनकी इस यात्रा को जनता के मुद्दों से ज्यादा अपनी राजनीतिक जमीन बचाने की कोशिश मानी जा रही है. वह 10 जिलों में पांच दिन लगातार इस यात्रा में शिरकत करेंगे. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनावी माहौल में वे क्यों उतरे सड़कों पर और इसका असली संदेश क्या है, जानें सब कुछ.

Tejashwi Yadav Bihar Adhikar Yatra: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के 'वोटर अधिकार यात्रा' के बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव आरजेडी के बैनर तले खुद 'बिहार अधिकार यात्रा' पर निकलेंगे. उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत मंगलवार को जहानाबाद से की. उनकी यह यात्रा 10 जिलों की 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों से गुजरेगी. इसका मकसद पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना और संगठन को मजबूत करना है. आरजेडी के लिए चिंता की बात यह है कि उनकी यात्रा के पहले दिन पार्टी के विधायक सुदय यादव के खिलाफ स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, जो तेजस्वी की परेशानी बढ़ाने वाला साबित हो सकता है.
तेजस्वी यादव की इस यात्रा की जानकारी पब्लिक डोमेन में आने के बाद से इसको लेकर एक बार महागठबंधन की राजनीति सुर्खियों में है. ऐसा इसलिए कि महागठबंधन की कलह और कांग्रेस-आरजेडी के बीच सीटों की जंग के बीच तेजस्वी यादव ने 'बिहार अधिकार यात्रा' की शुरुआत की है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह जनता के मुद्दों की लड़ाई है या खुद की ‘सियासी जमीन’ बचाने की कवायद?
जहानाबाद से शुरू होकर वैशाली में समाप्त होगी यात्रा
राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 'बिहार अधिकार यात्रा' पर बस के जरिए निकालेंगे. उनकी ये यात्रा 16 सितंबर से जहानाबाद से शुरू होकर 20 सितंबर को वैशाली में समाप्त होगी. यात्रा की शुरुआत जहानाबाद से हुई है और इसका समापन वैशाली में होगा. 5 दिन की इस यात्रा में तेजस्वी यादव का 'रथ' सूबे के 10 जिलों जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और वैशाली से होकर गुजरेगा.
यात्रा का मकसद क्या है?
तेजस्वी यादव इस यात्रा के जरिए RJD कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना चाहते हैं. साथ ही, वे महागठबंधन में अपनी और RJD की ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस को यह संदेश देना चाहते हैं कि महागठबंधन में सबसे बड़ा जनाधार RJD और तेजस्वी का ही है. इसके अलावा, तेजस्वी इस यात्रा के जरिए संगठन की मजबूती दिखाने और बिहार की जनता तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में हैं. तेजस्वी की इस यात्रा में महागठबंधन के अन्य दल शामिल नहीं हैं, जिससे यह साफ है कि तेजस्वी अकेले अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं.
यात्रा पर निकलने की जरूरत क्यों?
बिहार के सियासी जानकारों का कहना है कि आरजेडी का वोट बैंक खिसक रहा है. 90 के दशक में लालू यादव की ‘भूराबाल’ राजनीति से मजबूत रहा समीकरण अब नीतीश और बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग से कमजोर हुआ.
कांग्रेस-आरजेडी के बीच 19 सीटों के आवंटन को लेकर विवाद चरम पर पहुंच है. बताया जा रहा है कि तनातनी के बीच तेजस्वी यादव दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.नीतीश कुमार का पाला बदलने की राजनीति की वजह से तेजस्वी हमेशा खुद को असुरक्षित महसूस करते रहते हैं.
बिहार अधिकार यात्रा के पीछे तेजस्वी यादव बेरोजगारी, शिक्षा और आरक्षण जैसे मुद्दों पर प्रदेश की जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. यह अभियान सड़क पर उतरकर युवा वर्ग को साधने की रणनीति का हिस्सा है.
कैसे बचाएंगे खोई जमीन?
- लालू यादव ने 1990 के दशक में अपने पक्ष में सियासी माहौल बनाया था. उन्होंने भूरा बाल के खिलाफ मुस्लिम, यादव और दलितों को साधकर सियासी ताकत को 15 साल तक बेजोड़ नमूना पेश किया था. तेजस्वी यादव विरासत में मिली उसी सियासी जमीन को जनता से सीधा संवाद के जरिए बचाना चाहते हैं.
- वह बड़े-बड़े रैलियों और यात्राओं के जरिए अपनी ‘जन नेता’ वाली छवि बनाना चाहते हैं. इस योजना के तहत वो यादव मुस्लिम आधार को मजबूत करते हुए पिछड़ा-दलित वर्ग तक पहुंचने की कोशिश में हैं.
- तेजस्वी यादव चाहते हैं कि यात्रा के बहाने भाजपा और जेडीयू पर 'जनता का हक छीनने' का आरोप लगाकर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाएं.
- इसके अलावा, वह कांग्रेस पर दबाव पर भी दबाव बनाना चाहते हैं. ताकि ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए सियासी ताकत दिखा सकें.
- तेजस्वी की यात्रा से पार्टी को महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में बारगेनिंग पावर मिलेगी. साथ ही राजनीतिक कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ेगा, लेकिन अगर यह केवल 'अपनी जमीन बचाने' का उपक्रम साबित हुआ और जनता ने इसे सिर्फ चुनावी स्टंट माना तो इसका असर उल्टा भी हो सकता है.
यात्रा क्यों हटाया 'वोट और वोटर' शब्द
इससे पहले बीते 17 अगस्त से 1 सितंबर तक राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में तेजस्वी यादव कंधे से कंधा मिलाकर साथ थे. अब तेजस्वी यादव आरजेडी की अपनी ‘बिहार अधिकार यात्रा’ निकाला है, जो सवालों के घेरे में आ गया है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा चलाते-चलाते कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग यात्रा पर निकल रहे हैं. इसके साथ यह भी कि अपनी इस यात्रा के नाम से ‘वोट’ या ‘वोटर’ शब्द क्यों हटा दिया?
हालांकि, तेजस्वी यादव की इस यात्रा को लेकर यह दिखाया जा रहा है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक है, लेकिन बदले तेवर, बदले एजेंडे और बदले इरादे को देखते हुए इसके सियासी मायने तलाशे जा रहे है. सवाल उठाया जा रहा है कि क्या तेजस्वी कांग्रेस से वैचारिक दूरी बना रहे हैं? राजनीति के जानकार इसका जवाब ‘हां’ और ‘ना’, दोनों में देते हैं.
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विधायक के विरोध ने माहौल किया खराब
तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान मंगलवार को जहानाबाद में आरजेडी के विधायक सुदय यादव का जमकर विरोध हुआ. गांधी मैदान की सभा स्थल पर बड़ी संख्या में लोगों ने सुदय यादव के खिलाफ जमकर नारे लगाए. ये लोग जहानाबाद के सम्मान की रक्षा को लिए टिकट काटकर किसी दूसरे कार्यकर्ता और नेता को टिकट देने की मांग कर रहे थे. यह घटना जहानाबाद के फिदा हुसैन मोड़ के आगे अल्पसंख्यक समुदाय और स्थानीय लोगों ने तेजस्वी के काफिले को रोककर जमकर नारेबाजी की. कार्यकर्ताओं का आक्रोश तेजस्वी की सभा स्थल पर भी देखने को मिला, जहां बड़ी संख्या में लोगों ने हाथों में तख्ती लेकर सुदय हटाओ जहानाबाद बचाओ के नारे लगाए.