क्या ट्रंप के दबाव में खेल रहा है भारत? एशिया कप बना जंग का मैदान, IND Vs PAK मैच पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, फैंस भी दो धड़ों में बंटे
भारत-पाकिस्तान एशिया कप 2025 का दुबई में होने वाला मैच राजनीतिक और भावनात्मक विवादों में घिर गया है. विपक्ष ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस मुकाबले को शहीदों का अपमान बताते हुए बहिष्कार की मांग की है. शिवसेना (UBT), अरविंद केजरीवाल और ओवैसी ने सरकार पर पैसे को देशभक्ति से ऊपर रखने का आरोप लगाया. वहीं सरकार और कुछ दलों का कहना है कि खेल को राजनीति और संघर्ष से अलग रखना चाहिए, जबकि फैन्स भी दो हिस्सों में बंट गए हैं.

Asia Cup 2025 India Vs Pakistan Match Boycott: दुबई में होने वाला एशिया कप 2025 का भारत-पाकिस्तान मैच सिर्फ एक क्रिकेट मुकाबला नहीं रह गया है, बल्कि राजनीतिक और भावनात्मक विवाद का बड़ा मुद्दा बन गया है. विपक्षी दल सरकार पर हमला बोल रहे हैं और मैच का विरोध कर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार इसे 'खेल और राजनीति को अलग रखने' का मामला बता रही है.
विपक्षी दलों का कहना है कि अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमला और उसके बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के बीच पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना 'शहीदों का अपमान' है. शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने मुंबई में 'सिंदूर प्रदर्शन' करते हुए कहा कि यह मैच शहीदों और पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाया: “प्रधानमंत्री ने कहा था कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते, तो फिर खून और क्रिकेट कैसे बह सकते हैं?”
'ट्रंप के दबाव में कराया जा रहा मैच'
अरविंद केजरीवाल ने यहां तक कहा कि यह मैच 'ट्रंप के दबाव' में कराया जा रहा है. उन्होंने X पर किए गए एक पोस्ट में कहा, पाकिस्तान के साथ मैच खेलना देश के साथ ग़द्दारी है. हर भारतीय इस बात से बेहद ग़ुस्से में है. केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए पाकिस्तान के साथ मैच आयोजित करने की क्या जरूरत है. पूरा देश कह रहा है कि यह मैच नहीं होना चाहिए.
आदित्य ठाकरे ने की बीसीसीआई से मैच का बॉयकॉट करने की मांग
अदित्य ठाकरे और ओवैसी ने भी इसे 'पैसे का खेल' और 'देशद्रोह' तक करार दिया. उन्होंने बीसीसीआई से तुरंत मैच बॉयकॉट की मांग की. ठाकरे ने कहा कि मैच का बहिष्कार आज भी किया जा सकता है, अभी भी... बीसीसीआई अभी भी साबित कर सकता है कि वह राष्ट्र-विरोधी नहीं है. आज मैदान पर खेलने वालों को यह समझना होगा कि वे उस देश के खिलाफ खेल रहे हैं जहां से आतंकवादी हमारे यहां आए और निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया. उन परिवारों के बारे में सोचिए जिन्होंने पहलगाम में अपने प्रियजनों को खोया.
आदित्य ठाकरे ने कहा कि आतंकवादियों को पनाह देने वाले देश का बहिष्कार करने से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता. यह सब जानते हुए भी खेल जारी रखना कितनी शर्म की बात है. आज हमें एक ऐसी केंद्र सरकार की याद आती है जो ऐसे राष्ट्र-विरोधी कृत्यों पर कड़ी कार्रवाई करती. दुख की बात है कि हम देख रहे हैं कि भाजपा ने अपनी विचारधारा और देशभक्ति की परिभाषा बदल दी है.
'क्या 26 लोगों की जान जाने की कीमत से ज़्यादा है मैच'
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी पहलगाम हमले में पाकिस्तान की भूमिका के बावजूद मैच की अनुमति देने के लिए भाजपा पर हमला बोला. उन्होंने पूछा कि क्या मैच से होने वाला संभावित हज़ारों करोड़ का आर्थिक लाभ, 26 लोगों की जान जाने की कीमत से ज़्यादा है. विपक्ष के लिए, यह मुद्दा सिर्फ़ खेल का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान, सुरक्षा और आतंकवाद के पीड़ितों के सम्मान का भी है, जिससे उनका बहिष्कार का आह्वान एक राजनीतिक और नैतिक रुख़ बन गया है.
ओवैसी ने कहा, "असम के मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उन सभी से मेरा सवाल है कि क्या आपके पास पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट मैच खेलने से इनकार करने का अधिकार नहीं है, जिसने पहलगाम में हमारे 26 नागरिकों का धर्म पूछा और उन्हें गोली मार दी."
सरकार का पक्ष क्या है?
सरकार का कहना है कि आतंकवाद और क्रिकेट को एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर और क्रिकेट मैच दो अलग मुद्दे हैं और खिलाड़ियों की मेहनत का सम्मान होना चाहिए.
एकनाथ शिंदे गुट और एनसीपी नेताओं ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के दौर में भी भारत-पाकिस्तान मैच होते रहे हैं, यहां तक कि वर्ल्ड कप और एशिया कप में...” वहीं, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि “140 करोड़ की आबादी वाले देश में राय अलग-अलग होंगी. कुछ लोग विरोध करेंगे, कुछ समर्थन.”
फैंस क्यों बंटे हुए हैं?
मैच को लेकर क्रिकेट फैंस भी दो हिस्सों में बंट गए हैं. कई लोगों का कहना है कि इतने बड़े आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से मैच खेलना गलत है. वहीं, कुछ फैंस मानते हैं कि खेल को राजनीति से अलग रखना चाहिए और इंडिया-पाक मैच का रोमांच बरकरार रहना चाहिए.
अहमदाबाद के एक फैन ने कहा, “इतनी बड़ी घटना के बाद ये मैच नहीं होना चाहिए.” जबकि दिल्ली के एक दर्शक का कहना था, “खेल सिर्फ खेल है, इसे जारी रहना चाहिए.”
भारत-पाकिस्तान एशिया कप मैच अब सिर्फ मैदान की जंग नहीं, बल्कि भावनाओं, राजनीति और राष्ट्रवाद का प्रतीक बन चुका है. सवाल यही है- क्या खेल को वाकई राजनीति से अलग रखा जा सकता है, या फिर यह मुकाबला आतंकवाद के जख्मों पर और बहस की चिंगारी बनेगा?