कौन हैं Ursula von der Leyen और António Costa, जो Republic Day 2026 के होंगे Chief Guests?
European Commission President Ursula von der Leyen और European Council President António Costa भारत के Republic Day 2026 समारोह में मुख्य अतिथि होंगे. यह दौरा संभावित रूप से India–EU Summit के साथ होगा, जहां लंबे समय से अटके India–EU Free Trade Agreement (FTA) को अंतिम रूप देने की कोशिश होगी. EU के शीर्ष नेतृत्व को गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित करना भारत–EU संबंधों में बढ़ती रणनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक नजदीकी का संकेत है, खासकर CBAM, व्यापार और रक्षा सहयोग जैसे अहम मुद्दों के बीच...
भारत के Republic Day 2026 समारोह में इस बार यूरोप के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी देखने को मिलेगी. European Commission की अध्यक्ष Ursula von der Leyen और European Council के अध्यक्ष António Costa को 26 जनवरी 2026 के लिए मुख्य अतिथि (Chief Guests) के तौर पर आमंत्रित किया गया है. दोनों नेताओं का यह दौरा India–EU Summit के साथ ही होने की संभावना है, जहां लंबे समय से अटके India–EU Free Trade Agreement (FTA) को लेकर अहम बातचीत होने की उम्मीद है.
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इन दो बड़े आयोजनों का एक साथ होना भारत और यूरोपीय संघ के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को नई रफ्तार देने का संकेत माना जा रहा है. Republic Day जैसे राष्ट्रीय मंच पर EU के शीर्ष नेतृत्व को आमंत्रित करना यह दर्शाता है कि नई दिल्ली यूरोप के साथ अपने रिश्तों को सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर मजबूत करना चाहती है.
कौन हैं Ursula von der Leyen?
Ursula von der Leyen यूरोपीय संघ की कार्यकारी संस्था European Commission की अध्यक्ष हैं. जर्मनी की राजनीति से आईं von der Leyen पहले देश की Defence Minister रह चुकी हैं. उन्हें यूरोप में एक मजबूत, ट्रांस-अटलांटिक सोच वाली नेता के तौर पर जाना जाता है, जो व्यापार, जलवायु नीति, डिजिटल ट्रांजिशन और रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) पर जोर देती हैं.
कौन हैं Antonio Costa?
António Costa European Council के अध्यक्ष हैं. इससे पहले पुर्तगाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. यूरोपीय राजनीति में उन्हें एक कुशल कंसेंसस-बिल्डर माना जाता है. Council President के रूप में उनकी भूमिका EU सदस्य देशों के बीच सहमति बनाना और बड़े रणनीतिक फैसलों को आगे बढ़ाना है.
India-EU संबंधों को क्यों माना जा रहा है अहम मोड़?
भारत-EU रिश्तों में बीते कुछ समय में तेजी देखने को मिली है। खास तौर पर फरवरी 2025 में EU Commissioners के भारत दौरे के बाद व्यापार, रक्षा, तकनीक और लोगों के बीच संपर्क (People-to-People Exchanges) जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर ठोस रोडमैप तैयार हुआ. उसी कड़ी में अब Republic Day 2026 पर EU नेतृत्व की मौजूदगी को डिप्लोमैटिक ब्रेकथ्रू के तौर पर देखा जा रहा है.
FTA पर तेज़ हुई बातचीत, साल के अंत तक डील का लक्ष्य
भारत और यूरोपीय संघ के बीच लंबे समय से लंबित Free Trade Agreement (FTA) पर बातचीत ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है. 8 दिसंबर को नई दिल्ली में दोनों पक्षों के बीच बातचीत फिर से शुरू हुई, जिसमें लक्ष्य रखा गया है कि दशक भर से चल रही वार्ताओं को इस साल के अंत तक पूरा किया जाए. मौजूदा दौर की बातचीत में इन मुद्दों पर फोकस किया जा रहा है.
- वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार में बाजार पहुंच
- निवेश से जुड़े नियम
- सरकारी खरीद (Government Procurement)
- रेगुलेटरी स्टैंडर्ड्स, खासकर Sanitary और Technical नियम
FTA में कहां अटकी है बात?
हालांकि बातचीत आगे बढ़ रही है, लेकिन कुछ संवेदनशील मुद्दे अब भी अड़चन बने हुए हैं. इनमें शामिल हैं:
- EU का प्रस्तावित Carbon Tax
- ऑटोमोबाइल और स्टील सेक्टर में बाजार पहुंच
- Rules of Origin
- सर्विस सेक्टर में बाधाएं
भारत की ओर से केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि EU प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई European Commission की Director-General (Trade) Sabine Weyand कर रही हैं, जो एक महीने के भीतर दूसरी बार दिल्ली पहुंची हैं.
CBAM को लेकर भारत की चिंता
भारत ने खास तौर पर EU के Carbon Border Adjustment Mechanism (CBAM) को लेकर चिंता जताई है. यह मैकेनिज़्म 1 जनवरी से लागू होने वाला है, जिसके तहत स्टील, एल्यूमिनियम और अन्य कार्बन-इंटेंसिव उत्पादों के निर्यात पर उनके कार्बन फुटप्रिंट के आधार पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा. भारत को आशंका है कि इससे उसके निर्यातकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है.
Republic Day 2026 पर Ursula von der Leyen और António Costa की मौजूदगी केवल एक औपचारिक राजनयिक घटना नहीं है, बल्कि यह India-EU रिश्तों में गहराते भरोसे, रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग का मजबूत संकेत है. खास तौर पर FTA और CBAM जैसे मुद्दों के बीच यह दौरा आने वाले समय में भारत-EU संबंधों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है.





