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संसद में वेपिंग पर बवाल! जानिए ई-सिगरेट पर भारत में क्या है कानून, इतने साल की हो सकती है जेल

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब लोकसभा में वेपिंग को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए. सदन के भीतर ई-सिगरेट के इस्तेमाल की बात सामने आते ही यह मुद्दा सियासी बहस का केंद्र बन गया. इस विवाद ने एक बार फिर देश में ई-सिगरेट को लेकर बने सख्त कानूनों की ओर ध्यान खींचा है. आखिर ई-सिगरेट क्या है, भारत में इस पर पूरी तरह प्रतिबंध क्यों है.

संसद में वेपिंग पर बवाल! जानिए ई-सिगरेट पर भारत में क्या है कानून, इतने साल की हो सकती है जेल
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( Image Source:  x-@amitmalviya )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 18 Dec 2025 12:24 PM IST

हाल ही में सदन में देश के बड़े मुद्दों पर चर्चा होनी थी, लेकिन अचानक माहौल तब गरमा गया जब बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में ई-सिगरेट (वेपिंग) को लेकर गंभीर आरोप लगा दिए. उन्होंने दावा किया कि टीएमसी के कुछ सांसद सदन के भीतर ही ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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इतना ही नहीं, अब इस मामले में अमित मालवीय ने कीर्ति आजाद का वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह वेप पीते दिख रहे हैं. इसके बाद सवाल उठने लगे, आखिर ई-सिगरेट क्या होती है, इसे लेकर भारत में क्या नियम हैं और अगर कोई इसका इस्तेमाल करता है तो उसे कितनी सजा या जुर्माना हो सकता है?

क्या है ई-सिगरेट या वेपिंग?

ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है, जिसे वेप या वेप पेन भी कहा जाता है. इसमें तंबाकू को जलाया नहीं जाता, बल्कि एक खास तरह के लिक्विड (ई-लिक्विड) को गर्म करके भाप बनाई जाती है, जिसे लोग सांस के जरिए अंदर लेते हैं. शुरुआत में इसे पारंपरिक सिगरेट से “कम नुकसानदेह” बताकर पेश किया गया, लेकिन समय के साथ इसके गंभीर स्वास्थ्य खतरे सामने आने लगे.

भारत में ई-सिगरेट पर कानून बनने की कहानी

  • 2019 से पहले COTPA, 2003 तंबाकू उत्पादों पर लागू था, लेकिन ई-सिगरेट इसके दायरे में नहीं थी.
  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 भी ई-सिगरेट को कवर नहीं करता था.
  • 2018 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को ई-सिगरेट पर रोक लगाने की सलाह दी, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं थी.


2019 में बड़ा फैसला

  • सितंबर 2019 में सरकार ने ई-सिगरेट पर बैन के लिए अध्यादेश लाया.
  • दिसंबर 2019 में संसद ने Prohibition of Electronic Cigarettes Act, 2019 पास किया.

ई-सिगरेट निषेध कानून, 2019: क्या-क्या है बैन?

इस कानून के तहत ई-सिगरेट से जुड़ी लगभग हर गतिविधि पर पूरी तरह रोक लगा दी गई-

  • निर्माण और प्रोडक्शन
  • एक्सपोर्ट और इंपोर्ट
  • ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज
  • बिक्री और ड्रिस्ट्रीब्यूशन
  • विज्ञापन और प्रमोशन

सजा और जुर्माने का प्रावधान

पहली बार अपराध पर

  • 1 साल तक की जेल
  • या 1 लाख रुपये तक जुर्माना
  • या दोनों

दोबारा अपराध करने पर

3 साल तक की जेल

और 5 लाख रुपये तक जुर्माना

भंडारण (स्टोरेज) पर सजा

  • 6 महीने तक की जेल
  • या 50,000 रुपये तक जुर्माना
  • या दोनों

इसके अलावा, ई-सिगरेट जब्त कर नष्ट की जा सकती है और अगर किसी कंपनी की भूमिका पाई जाती है, तो उसके जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होती है.

ई-सिगरेट कैसे काम करती है?

  • बैटरी: डिवाइस को एनर्जी देती है.
  • हीटिंग कॉइल: ई-लिक्विड को गर्म करती है.
  • ई-लिक्विड टैंक/कार्ट्रिज: जिसमें लिक्विड भरा होता है.
  • माउथपीस: जिससे भाप को अंदर लिया जाता है.

इस ई-लिक्विड में आमतौर पर निकोटीन, प्रोपाइलीन ग्लाइकोल, वेजिटेबल ग्लिसरीन, फ्लेवर और कुछ केमिकल होते हैं, जिनमें से कई सेहत के लिए हानिकारक माने जाते हैं.

भारत में क्यों हुआ था ट्रेंड?

चमकदार डिजाइन, अलग-अलग फ्लेवर और सोशल मीडिया प्रमोशन ने ई-सिगरेट को खासतौर पर शहरी युवाओं और कॉलेज स्टूडेंट्स के बीच फैशनेबल बना दिया. धीरे-धीरे यह लत में बदलने लगी, जिससे सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ी.

ई-सिगरेट को कभी “स्टाइलिश” और “कम खतरनाक” बताकर बेचा गया, लेकिन भारत ने इसके बढ़ते खतरे को समय रहते पहचाना और 2019 में इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया. संसद में उठा ताजा विवाद इसी कानून की याद दिलाता है कि ई-सिगरेट सिर्फ स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि कानून का भी गंभीर मामला है.

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