RSS ने विभाजन का विरोध क्यों नहीं किया, क्या BJP से कोई मतभेद है और 75 साल की उम्र में...? मोहन भागवत ने हर सवाल का दिया जवाब
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बीजेपी से मतभेद की अटकलों, विभाजन विरोध, अन्य दलों को सहयोग, जनसंख्या नीति और नेताओं के 75 साल की उम्र में रिटायर होने संबंधी मुद्दों पर खुलकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के बीच कोई 'मनभेद' नहीं है, केवल कार्यशैली में मतभेद हो सकते हैं. विभाजन के सवाल पर भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ ने उसका विरोध किया था, लेकिन उस समय उसकी शक्ति सीमित थी.

Mohan Bhagwat on RSS-BJP Relations: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कई अहम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने भाजपा और संघ के बीच मतभेद की अटकलों को खारिज करते हुए कहा, “कहीं कोई झगड़ा नहीं है… हम राज्य सरकारों और केंद्र सरकार, दोनों के साथ अच्छा तालमेल बनाए हुए हैं.” आरएसएस प्रमुख ने कहा कि “हमारे यहां मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं है. कोई झगड़ा नहीं है. लक्ष्य एक ही है- देश का भला.”
भागवत ने कहा कि सिस्टम में कुछ 'आंतरिक विरोधाभास' ज़रूर होते हैं क्योंकि यह व्यवस्था ब्रिटिश शासन के दौरान शासन करने के मकसद से बनाई गई थी. हमें उसमें नवाचार करना होगा. कई बार कोई काम करवाना चाहते हैं, और कुर्सी पर बैठा व्यक्ति पूरी तरह तैयार भी होता है, लेकिन बाधाओं के चलते वह कर न पाए. ऐसे में उसे स्वतंत्रता देनी चाहिए, लेकिन यह साफ है कि कहीं कोई विवाद नहीं है.”
'संघ केवल सलाह देता है, फैसले नहीं लेता'
भागवत ने बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि सरकार और संगठन की अपनी-अपनी व्यवस्था है. संघ केवल सलाह देता है, निर्णय सरकार को लेना होता है. क्या आरएसएस सब कुछ तय करता है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है. ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता. मैं कई सालों से संघ चला रहा हूं और वे सरकार चला रहे हैं. इसलिए हम केवल सलाह दे सकते हैं, फैसला नहीं ले सकते. अगर हम फैसला कर रहे होते, तो क्या इसमें इतना समय लगता? हम फैसला नहीं करते..."
क्या नेताओं को 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए?
'क्या नेताओं को 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए' के सवाल पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी को रिटायर होना चाहिए. संघ में हमें काम दिया जाता है, चाहे हम चाहें या नहीं. अगर मैं 80 साल का हूं और संघ कहता है कि जाओ और शाखा चलाओ, तो मुझे करना होगा. हम वही करते हैं जो संघ हमें करने के लिए कहता है... यह किसी की सेवानिवृत्ति के लिए नहीं है. हम रिटायर होने या काम करने के लिए तैयार हैं - जब तक संघ चाहता है."
संघ बीजेपी के अलावा दूसरे दलों का समर्थन क्यों नहीं करती?
आरएसएस प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ बीजेपी के अलावा दूसरी पार्टियों को भी समर्थन दे सकता है, बशर्ते उनका काम समाजहित में हो. उन्होंने कहा, “हम हर अच्छे काम में मदद करते हैं, लेकिन जो लोग हमसे दूरी बनाते हैं, उन्हें वह मदद नहीं मिल पाती. अगर किसी पार्टी का काम देशहित में है तो हमारे स्वयंसेवक वहां भी मदद करने जाते हैं.”
संघ ने विभाजन का विरोध क्यों नहीं किया?
विभाजन को लेकर फैली गलतफहमी पर भी भागवत ने जवाब दिया. उन्होंने कहा, “यह गलत जानकारी है कि संघ ने विभाजन का विरोध नहीं किया था. संघ ने विरोध किया था, लेकिन उस समय हमारे पास इतनी ताकत नहीं थी. अखंड भारत एक सच्चाई है और वह सपना आज भी जिंदा है.”
“हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए”
आरएसएस प्रमुख ने जनसंख्या नीति पर भी अपनी राय रखी और कहा कि देश की नीति के मुताबिक “हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए ताकि 2.1 बच्चों का औसत कायम रहे.”
कुल मिलाकर, मोहन भागवत ने यह स्पष्ट किया कि आरएसएस न तो केवल बीजेपी तक सीमित है और न ही किसी से उसका झगड़ा है। संघ का मकसद केवल राष्ट्रहित और समाजहित है।