हिंदुत्व का सार सत्य और प्रेम, भारत का लक्ष्य... मोहन भागवत बोले- धर्म परिवर्तन नहीं, आदर्श जीवन से ही दुनिया को दिखाएं रास्ता
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि हिंदू विचारधारा का सार ‘सत्य और प्रेम’ है. भारत का जीवन मिशन विश्व कल्याण है. उन्होंने जोर दिया कि धर्म का अर्थ पूजा-पद्धति या भोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विविधता को स्वीकार कर संतुलन सिखाता है. भागवत ने वोकिज़्म और बढ़ते कट्टरवाद को दुनिया के लिए बड़ा संकट बताया और कहा कि भारत को अपने आदर्श जीवन से दुनिया को मार्ग दिखाना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया की नकारात्मक खबरों के बावजूद भारतीय समाज वास्तविकता में कहीं अधिक बेहतर है.

Mohan Bhagwat on Dharma Hindutva: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आरएसएस के 100 साल पूरे होने पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदुत्व का मूल सार केवल दो शब्दों में समाहित है- सत्य और प्रेम. उन्होंने कहा कि दुनिया सौदों और समझौतों से नहीं, बल्कि एकता से चलती है.
भागवत ने स्पष्ट किया कि भारत का जीवन मिशन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि विश्व कल्याण के लिए है. उन्होंने कहा कि अगर मानव अपने भीतर झांके तो उसे वह शाश्वत आनंद मिलेगा, जो कभी नष्ट नहीं होगा. यही जीवन का परम उद्देश्य है और इसी से संसार में संघर्ष समाप्त होकर शांति व सौहार्द स्थापित हो सकता है.
संयुक्त राष्ट्र के बनने के बाद भी अशांति और उग्रवाद बढ़ा: आरएसएस प्रमुख
आरएसएस प्रमुख ने वैश्विक हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद लीग ऑफ नेशंस और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र बना, लेकिन फिर भी अशांति और उग्रवाद बढ़ा. आज दुनिया ‘वोकिज़्म’ जैसी विचारधाराओं और असहिष्णुता के संकट से जूझ रही है, जहां असहमति को रद्द कर दिया जाता है.
प्रचार या जबरन परिवर्तन से नहीं चलता धर्म: भागवत
भागवत ने कहा कि धर्म प्रचार या जबरन परिवर्तन से नहीं चलता. धर्म एक शाश्वत तत्व है जो विविधता को स्वीकार करता है और संतुलन सिखाता है. इसलिए भारत का कर्तव्य है कि वह अपने आचरण और आदर्श जीवन से ऐसा मॉडल प्रस्तुत करे, जिसे दुनिया अपनाना चाहे.
'व्यक्ति का अहंकार शत्रुता लाता है और राष्ट्रों का अहंकार युद्ध'
आरएसएस सरसंंघचालक ने मीडिया में नकारात्मक खबरों की अधिकता पर भी टिप्पणी की और कहा कि भारत का समाज आज जितना दिखता है, उससे 40 गुना बेहतर है. उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्ति का अहंकार शत्रुता लाता है और राष्ट्रों का अहंकार युद्ध. इन सबसे ऊपर हिंदुस्तान का मार्गदर्शन जरूरी है.
भागवत ने यह भी जोड़ा कि आज संघ समाज में विश्वास और विश्वसनीयता की वजह से सशक्त स्थिति में है. आने वाले समय में संगठन का लक्ष्य केवल विचार नहीं, बल्कि समाज में चरित्र निर्माण और देशभक्ति की भावना जगाना होगा.