लोकसभा चुनाव में तकरार और अब प्यार! उपेंद्र कुशवाहा से मिले पावर स्टार, विनोद तावड़े बोले- पवन सिंह BJP में हैं और रहेंगे
बैठक के बाद विनोद तावड़े ने पुष्टि की कि भोजपुरी सिंगर पवन सिंह अब भी पार्टी से जुड़े हुए हैं और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए सक्रिय भूमिका निभाएंगे. तावड़े ने कहा, "पवन जी BJP में हैं और रहेंगे. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने उन्हें आशीर्वाद दिया है.;
भोजपुरी अभिनेता से नेता बने पवन सिंह, जो राजनीतिक उतार-चढ़ाव और चालबाज़ियों के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की. यह बैठक दिल्ली में कुशवाहा के आवास पर हुई. इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े भी मौजूद थे.
बैठक के बाद विनोद तावड़े ने पुष्टि की कि भोजपुरी सिंगर पवन सिंह अब भी पार्टी से जुड़े हुए हैं और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए सक्रिय भूमिका निभाएंगे. तावड़े ने कहा, "पवन जी BJP में हैं और रहेंगे. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने उन्हें आशीर्वाद दिया है. आगामी चुनाव में पवन सिंह एनडीए के लिए BJP कार्यकर्ता की तरह सक्रिय होंगे."
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पार्टी से किया था निष्कासित
पवन सिंह के इस कदम को उनकी राजनीतिक वापसी की कोशिश माना जा रहा है, क्योंकि पिछले साल 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें BJP से निष्कासित किया गया था. बीजेपी ने यह कार्रवाई उस समय की थी जब पवन सिंह ने काराकाट लोकसभा सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था, जिससे वह NDA के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ गए. कुशवाहा उस चुनाव में हार गए, और पवन सिंह की स्वतंत्र भागीदारी ने शाहाबाद क्षेत्र में NDA की पकड़ कमजोर करने में मदद की.
आसनसोल सीट से बने थे उम्मीदवार
39 वर्षीय पवन सिंह का राजनीतिक इतिहास काफी उलझा हुआ और अस्थिर रहा है. शुरुआत में उन्हें पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से BJP का उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने नामांकन वापस ले लिया. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी TMC ने दावा किया कि वह अपने कुछ गीतों के कारण आलोचना झेल रहे थे, जिन्हें महिलाओं और बंगालियों के प्रति असम्मानजनक माना गया. इसके बाद पवन सिंह ने बिहार की काराकाट सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन NDA पहले ही उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बना चुकी थी. इससे पवन सिंह को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरना पड़ा, जो पार्टी की नीतियों के खिलाफ था. इस कारण उन्हें BJP से अनुशासनहीनता और पार्टी की छवि धूमिल करने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया.
कुशवाहा से सुलह का संदेश
मंगलवार सुबह पवन सिंह दिल्ली स्थित उपेंद्र कुशवाहा के सरकारी आवास पर पहुंचे. यहां उन्होंने कुशवाहा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. राजनीतिक हलकों में इसे केवल औपचारिकता नहीं बल्कि दोनों नेताओं के बीच संबंधों की सुलह का प्रतीक माना जा रहा है.
सियासी रिश्तों में आई मिठास
अब पवन सिंह और कुशवाहा की सुलह को बिहार भाजपा के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है. बीते साल की कड़वाहट को भुलाकर दोनों का साथ आना बताता है कि भाजपा ने चुनाव से पहले शाहाबाद और आस-पास के इलाकों में अपनी रणनीति को नया रूप दिया है.
शाहाबाद में बदल सकते हैं समीकरण
शाहाबाद क्षेत्र में एनडीए को पिछले चुनावों में करारी हार मिली थी. अब पवन सिंह और कुशवाहा की एकजुटता से यह उम्मीद की जा रही है कि राजपूत और कुशवाहा समुदाय के वोटर फिर से एनडीए के पाले में आ सकते हैं. यह समीकरण महागठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.
भाजपा की रणनीति हुई मजबूत
पवन सिंह की भाजपा में वापसी से पार्टी को राजपूत वोटों की मजबूती के साथ-साथ लोकसभा चुनाव के दौरान बिखरे वोट बैंक को जोड़ने का मौका मिलेगा. उपेंद्र कुशवाहा के साथ खड़े होने से उन सीटों पर भी फायदा होगा जहां कुशवाहा समुदाय निर्णायक भूमिका निभाता है. इस तरह भाजपा ने शाहाबाद से लेकर पूरे दक्षिण बिहार में चुनावी गणित को अपने पक्ष में मोड़ने की तैयारी कर ली है.