बिहार BJP में टिकट कटौती की अफवाह की क्या है हकीकत, मंत्री, MP-MLAs-MLC में हड़कंप, पार्टी कैसे संभालेगी चुनावी नुकसान?
बिहार के सियासी दलों में टिकट बंटवारे का काम अब अंतिम चरण में है. बीजेपी के लिए तो टिकट कटौती दोधारी तलवार साबित हो सकती है. जहां एक ओर पार्टी नए उम्मीदवारों को उतार कर जनता का विश्वास जीतने की कोशिश करेगी, वहीं दूसरी ओर आंतरिक असंतोष चुनावी चुनौती खड़ी कर सकता है. सबकी नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि पार्टी किन चेहरों को बदलती है और इसका असर चुनाव नतीजों पर कितना पड़ता है.

बिहार बीजेपी में सिटिंग विधायकों की टिकट कटौती की खबर ने पटना के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. कई विधायकों में बेचैनी है कि क्या पार्टी उन्हें दोबारा मौका देगी या नए चेहरों पर दांव लगाएगी. सवाल उठता है कि टिकट कटने का आधार क्या होगा और इसका चुनावी असर कितना गहरा होगा. बीजेपी सूत्रों के अनुसार शीर्ष नेतृत्व केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और एमएलसी को भी चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है. ऐसे सांसदों और विधायकों की संख्या 20 से 25 है. इतने ही सिटिंग विधायकों का टिकट कटने के संकेत हैं. किन विधायकों को टिकट कटेगा, इस मुद्दों पर प्रदेश का कोई भी बीजेपी नेता बोलने के तैयार नहीं है. सभी का एक ही जवाब है, इसकी जानकारी सिर्फ दिल्ली के नेताओं के पास है.
फिलहाल, एनडीए कोटे की बीजेपी के हिस्से में आने वाली सीटों पर टिकट बंटवारे और टिकट कटने को लेकर बीजेपी के नेताओं के बीच सस्पेंस बढ़ गया है. शीर्ष नेतृत्व स्तर पर लगभग यह तय हो चुका है कि किसका टिकट कटेगा और किसे चुनाव लड़ाया जा सकता है. अंतिम समय में कुछ सीटों पर सियासी समीकरण के हिसाब से ही बदलाव होने की संभावना है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी इस बार बड़े पैमाने पर उम्मीदवार बदलने की तैयारी है. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी किसी ने नहीं की है. लेकिन इन अफवाहों ने विधायकों में हड़कंप मचा दिया है.
पटना में दो दिन लगातार हुई इस पर चर्चा
बिहार चुनाव 2025 की तैयारी के लिए प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की बैठक 24 और 25 सितंबर को सूबे के सभी जिलों के साथ ही राजधानी पटना में भी हुईं. दो दिन से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना में हैं. उन्हीं के निर्देशन में चुनावी रणनीति सहित टिकट किसे दिया जाए और किसी नहीं तय हो रहा है. कोर कमेटी ने संगठन की तैयारी, बूथ स्तर पर पार्टी की स्थिति और जमीनी मुद्दों पर हर जिले के नेताओं से फीडबैक लिया है. अमित शाह ने पार्टी के नेताओं को उम्मीदवारों का नाम तय करने में पूरी पारदर्शिता बरतने को कहा है.
सीटिंग विधायकों पर संकट
दो दिनों की मैराथन मीटिंग के बाद जो खबर सामने आई है, उसके मुताबिक बीजेपी के लगभग डेढ़ दर्जन (15 से 18) सीटिंग विधायकों का टिकट कट सकता है, लेकिन एक अन्य सूत्रों के मुताबिक 20 से 25 सीटिंग विधायकों के टिकट कटने की संभावना है. इस लिस्ट में सबसे ऊपर उन विधायकों का नाम है जो पार्टी के लिए वफादार साबित नहीं हुए हैं. 2024 में एनडीए सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान जिन विधायकों की भूमिका संदिग्ध रही. इस बार उन्हें बीजेपी बेटिकट कर सकती है. 70 से ज्यादा उम्र वाले और ज्यादा सक्रिय न रहने वाले विधायकों के लिए भी संकट की स्थिति है. बेहद कम अंतर से चुनाव जीतने वाले विधायकों का भी पार्टी टिकट काटने की तैयारी में है.
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी उन विधायकों पर भी नजर गड़ाए बैठी है जो लगातार दो या तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में एंटी-इंकम्बेंसी झेल रहे हैं. जनता से जुड़ाव कमजोर है और कामकाज को लेकर शिकायतें पार्टी को अधिक मिली हैं. जिनकी रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर संगठन के साथ तालमेल की में कमी की है और जो जातीय व सामाजिक समीकरण में फिट नहीं बैठते, वे विधायक भी टिकट से वंचित हो सकते हैं.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक सांसद सतीश चंद्र दुबे, एमएलसी मंगल पांडे और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को भी विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. इस लिस्ट में 20 से 25 की संख्या में केंद्रीय मंत्री, सांसद और एमएलए शामिल हैं, जिन्हें इस बार चुनाव लड़ाया जाएगा.
टिकट कटने का आधार
बीजेपी ने सिटिंग विधायकों का टिकट काटने के लिए मानक तय किए हैं. इनमें एंटी-इंकम्बेंसी फैक्टर यानी जनता के बीच नाराजगी वाले विधायकों, संगठन की रिपोर्ट निगेटिव रिपोर्ट, जातीय समीकरण में फिट न बैठने वाले चेहरे व राजनीतिक लिहाज से अनफिट विधायकों को टिकट कट सकता है.
BJP को इससे क्या होगा फायदा?
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि नए चेहरों से कार्यकर्ताओं और लोगों में ताजगी का संदेश जाएगा, जनता में नाराजगी कम करने की कोशिश और जातीय समीकरण बेहतर बनाने का लाभ मिलेगा. पुराने विधायकों और उनके समर्थकों की नाराजगी व बगावत की आशंका को बहुत हद तक पहले ही मैनेज कर लिया गया है, जो नहीं मानेंगे उन्हें भी मनाया जाएगा. पार्टी का कहना है कि जिनका टिकट कटेगा उन्हें संगठन में जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. शीर्ष नेतृत्व लगातार इस बात पर जोर देगा कि यह 'पार्टी हित' और 'जीत की रणनीति' का हिस्सा है.
दिल्ली दफ्तर से होगा उम्मीदवारों का ऐलान
बिहार में गठबंधन की सीटें किसके कोटे में कितनी है और बीजेपी के कोटे से प्रत्याशियों के टिकटों का एलान चुनाव आयोग द्वारा इलेक्शन कार्यक्रमों के बाद होने की संभावना है. अभी तक जो योजना है कि अगर दो फेज में चुनाव कराए गए तो 5 से 10 अक्टूबर के बीच बीजेपी पहले चरण के टिकटों का एलान कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक, उम्मीदवारों के नाम का ऐलान पटना नहीं, दिल्ली के बीजेपी दफ्तर से होगा. इसके लिए बिहार बीजेपी के नेता अपनी सीटों पर चार से पांच दावेदारों के नाम शॉर्टलिस्ट कर भेजने को कहा गया है. इसके बाद दिल्ली में एक बार फिर से इन नामों पर चर्चा होगी और स्क्रूटनी के बाद जो नाम आगे आएगा पार्टी उसे ही अपना उम्मीदवार घोषित करेगी.
बिहार बीजेपी की नेता डॉ. सुनंदा केसरी का कहना है कि 15 प्रतिशत सिटिंग विधायकों का टिकट कटने की संभावना है. इनकी जगह महिलाओं और युवा चेहरों को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा. बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा चुनावी कार्यक्रमों की घोषणा के बाद एनडीए की ओर से सीट आवंटन का ऐलान होगा.