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कांग्रेस का EBC दांव: राहुल गांधी का नया मास्टरस्ट्रोक, तेजस्वी और नीतीश की क्यों बढ़ी टेंशन?

कांग्रेस ने बिहार में EBC (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) कार्ड खेलकर सियासी समीकरण बदल दिए हैं. राहुल गांधी की नई रणनीति तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के लिए चिंता का कारण बन गई है. कर्नाटक और तेलंगाना मॉडल से प्रेरित यह कदम EBC वर्ग को सीधे लाभ देने वाला माना जा रहा है. जानें क्या है कर्नाटक-तेलंगाना मॉडल में EBC आरक्षण का मामला.

कांग्रेस का EBC दांव: राहुल गांधी का नया मास्टरस्ट्रोक, तेजस्वी और नीतीश की क्यों बढ़ी टेंशन?
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( Image Source:  Sora AI )

लोकतंत्र की जन्मस्थली बिहार के ऐतिहासिक सदाकत आश्रम में तीन पहले कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई. इसमें कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पास किया था. कांग्रेस के प्रस्ताव में राहुल गांधी की तरफ से ईबीसी के लिए पेश 10 प्वाइंट फार्मूले का भी जिक्र है. इस प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस ने बिहार के लोगों से वादा किया है कि अगर हमारी सरकार सत्ता में आई तो 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को तोड़कर अतिरिक्त आरक्षण की व्यवस्था करेगी. अति पिछड़ा वर्ग के लिए कांग्रेस की इस सोच ने तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार दोनों को परेशान कर दिया है. आरजेडी के नेता को इस बात की चिंता है कि कहीं राहुल गांधी के इस रुख से आरजेडी समर्थक ईबीसी मतदाता कांग्रेस में न शिफ्ट हो जाए.

दरअसल, कांग्रेस ने EBC (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) कार्ड खेलकर बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक बाजी मार ली है. राहुल गांधी की नई रणनीति तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के लिए चिंता बढ़ाने वाली है. इस कदम के पीछे है कर्नाटक और तेलंगाना मॉडल है, जो EBC आरक्षण के जरिए समाज के वंचित वर्ग को सीधे फायदा पहुंचाने का तरीका बताते हैं. जानें राहुल गांधी के 10 प्वाइंट फार्मूले के ईबीसी को लेकर क्या है?

1. राहुल गांधी की नई रणनीति

कांग्रेस ने बिहार में EBC कार्ड खेलकर सीधे उन वोटर्स को टारगेट किया है, जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला या अल्पसंख्यक मिला. राहुल गांधी का उद्देश्य है समाज के इस हिस्से को जोड़कर अपने लिए मजबूत वोट बैंक बनाना है.

2. तेजस्वी और नीतीश की टेंशन क्यों बढ़ी?

जेडीयू-आरजेडी गठबंधन पर इस कदम का सीधा असर पड़ सकता है. तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के वोट बैंक में EBC वर्ग की अहम भूमिका है. राहुल गांधी की रणनीति से इन नेताओं को अपनी सियासी गणित फिर से गिनने पर मजबूर होना पड़ सकता है.

3. कर्नाटक-तेलंगाना मॉडल क्या है?

कर्नाटक मॉडल: राज्य ने EBC वर्ग के लिए अलग से कोटे तय किए हैं और उनका लाभ सीधे शिक्षा और सरकारी नौकरी में मिलता है.

तेलंगाना मॉडल: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए धन और सामाजिक कल्याण के अवसर बढ़ाए गए हैं.

मुख्य फोकस: दोनों मॉडल में मुख्य फोकस है EBC वर्ग के अधिकारों को सशक्त बनाना और उनकी राजनीतिक भागीदारी बढ़ाना.

4. बिहार में EBC आरक्षण का संभावित प्रभाव

काांग्रेस की इस रणनीति से बिहार की चुनावी राजनीति में इस बार नया समीकरण बन सकता है. EBC वर्ग के समर्थन से कांग्रेस को कुछ सीटों पर बढ़त मिल सकती है और अन्य दलों की स्थिति कमजोर हो सकती है.

EBC कार्ड का मतलब: सीधे गरीब और वंचित वर्ग को जोड़ने की कांग्रेस की रणनीति.

तेजस्वी और नीतीश की टेंशन: वोट बैंक का समीकरण बदलने की संभावना.

कर्नाटक-तेलंगाना मॉडल: शिक्षा, नौकरी और कल्याण में EBC वर्ग को फायदा.

बिहार में प्रभाव: कांग्रेस को कुछ सीटों पर बढ़त, अन्य दलों के लिए चुनौती.

सियासी जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी का यह कदम केवल वोट बैंक तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के सबसे वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लाने की कोशिश है. इसे व्यापक रूप से देखा जाए तो यह राहुल गांधी के लिए सियासी 'मास्टरस्ट्रोक' साबित हो सकता है.

EBC को लेकर सीडब्लूसी के प्रस्ताव में क्या है?

कांग्रेस के प्रस्ताव में कहा गया है कि बिहार की 80% आबादी OBC, EBC और SC/ST वर्गों से है. जनता जाति जनगणना और आरक्षण नीतियों में पारदर्शिता चाहती है. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरकर जाति जनगणना के लिए मजबूर किया है. बिहार में भी कांग्रेस महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में जाति सर्वेक्षण हुआ. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछना चाहता हूं कि क्या मजबूरी है कि बिहार की जनता को सरकार द्वारा पारित 65% आरक्षण को संवैधानिक सुरक्षा नहीं दिलवा पाए? इतिहास गवाह है कि कांग्रेस सरकार ने तो आज से 30 साल पहले तमिलनाडु के लोगों के लिए 69% आरक्षण को संवैधानिक सुरक्षा दी. इसे डबल इंजन की सरकार यहां नहीं कर पाई.

राहुल गांधी ने CWC बैठक में क्या कहा था?

  • लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एक फिर दोहराया कि देश में जातिगत जनगणना होगी और वो आरक्षण में 50 प्रतिशत की दीवार को तोड़ेंगे. वो पटना में बुधवार को 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प' को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा- इन वादों के पीछे सोच थी कि आज भी देश में अति पिछड़ा, पिछड़ा, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक वर्गों को जितनी भागीदारी मिलनी चाहिए, वो नहीं मिलती है. हम जातिगत जनगणना कर दिखाना चाहते हैं कि देश में किसकी कितनी आबादी है. ये पूरे देश को पता चलना चाहिए.
  • कांग्रेस ने अपने गठबंधन के साथ मिलकर 'अति पिछड़ा न्याय संकल्प' दस्तावेज जारी किया है, जिसमें अति पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए 10 प्रमुख वादे किए गए हैं. इस दस्तावेज को राहुल गांधी समेत कई बड़े नेताओं ने एक साथ पेश किया. इन वादों का मुख्य उद्देश्य अति पिछड़ा वर्ग को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है.
  • 'अति पिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम' बनाया जाएगा, ताकि इस वर्ग पर होने वाले अत्याचारों को रोका जा सके। पंचायत और नगर निकायों में अति पिछड़ा वर्ग के लिए मौजूदा 20 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया जाएगा. आबादी के अनुपात में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को बढ़ाने के लिए कानून बनाकर उसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा.

तो खेल गए राहुल

प्रस्ताव में कहा गया है कि निजी स्कूलों में प्रस्ताव में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत ईबीसी, ओबीसी, एससी और एसटी छात्रों के लिए 50% सीटें निर्धारित करने का प्रस्ताव है, जबकि बिहार के सभी निजी शिक्षण संस्थाओं को संविधान के अनुच्छेद 15(5) के अनुरूप आरक्षण लागू करने के लिए अनिवार्य किया गया है. इसमें 25 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों और खरीद कार्यों में 50% हिस्सा ईबीसी, ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों के सदस्यों के लिए आरक्षित करने का भी प्रावधान है. प्रस्ताव के अनुसार कोटा संबंधी नीतियों की निगरानी के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी. इसमें आरक्षण के लिए पात्र जातियों की सूची में बदलाव करने से पहले राज्य विधानमंडल की मंजूरी अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव है. राहुल गांधी ने इस मौके पर कहा कि मतदाता अधिकार यात्रा के दौरान हमने बिहार के लोगों को समझाया है. हमारा जवाब यह प्रस्ताव है. यह विधायी सुधार, शिक्षा, रोजगार और समाज के सबसे हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए सम्मान का वादा है.

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