SIR से बाकी राज्यों में वोटर घटे, लेकिन असम में बदल गई पूरी कहानी; मतदाता सूची में कैसे बढ़ गए वोटर?

देश के कई राज्यों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद जहां मतदाताओं की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है, वहीं असम ने इस पूरे ट्रेंड को उलट कर रख दिया है. बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक जिन राज्यों में SIR हुआ, वहां 6 प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक वोटरों की संख्या कम हो गई, लेकिन असम में मतदाताओं की संख्या में 1.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  विशाल पुंडीर
Updated On :

Assam SIR: देश के कई राज्यों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद जहां मतदाताओं की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है, वहीं असम ने इस पूरे ट्रेंड को उलट कर रख दिया है. बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक जिन राज्यों में SIR हुआ, वहां 6 प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक वोटरों की संख्या कम हो गई, लेकिन असम में ठीक इसके उलट नजारा देखने को मिला.

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असम में वोटर लिस्ट की सफाई के दौरान मतदाताओं की संख्या में 1.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. असम चुनाव आयोग द्वारा जारी ताज़ा ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल के आंकड़ों ने सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है. सवाल उठ रहा है कि जब पूरे देश में वोटर घट रहे हैं, तो असम में मतदाता कैसे बढ़ गए? इसके पीछे घुसपैठ, तकनीकी प्रक्रिया या कोई कानूनी मजबूरी है?

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में बढ़े मतदाता

मंगलवार को असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने नई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की. जनवरी 2025 की वोटर लिस्ट के मुकाबले इस बार मतदाताओं की संख्या में 1.35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. यह आंकड़ा देश के बाकी राज्यों से बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करता है.

महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा

असम के आंकड़े डेमोग्राफी के लिहाज़ से भी बेहद अहम हैं. राज्य में कुल करीब 1.25 करोड़ पुरुष और 1.26 करोड़ महिला मतदाता दर्ज किए गए हैं. यानी पहली बार महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक हो गई है, जो राज्य की बदलती सामाजिक संरचना को दर्शाता है.

असम में क्यों नहीं हुआ SIR?

असम में वोटर लिस्ट को लेकर कोई स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) नहीं किया गया. यहां केवल ‘स्पेशल रिवीजन’ के तहत वोटर लिस्ट की जांच की गई, जिसमें फर्जी, मृत या डुप्लीकेट वोटरों के नाम हटाए गए. घर-घर जाकर सख्त वेरिफिकेशन की प्रक्रिया, जैसा कि अन्य राज्यों में हुई, असम में लागू नहीं की गई.

बाकी राज्यों से कैसे अलग रही प्रक्रिया?

बिहार, पश्चिम बंगाल समेत करीब 12 राज्यों में SIR के दौरान बूथ लेवल पर घर-घर जाकर सत्यापन किया गया. संदिग्ध, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम बड़ी संख्या में सूची से हटाए गए, जिसके चलते वोटर संख्या में भारी गिरावट आई. इसके उलट, असम में केवल सीमित दायरे में रिवीजन हुआ, जिससे वोटर लिस्ट में बड़ी कटौती नहीं हुई.

NRC बना सबसे बड़ा कारण

असम में वोटर लिस्ट की प्रक्रिया अलग होने के पीछे सबसे बड़ा कारण NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स है. नागरिकता का मुद्दा असम में बेहद संवेदनशील है और NRC अपडेट की प्रक्रिया अभी भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है और पूरी नहीं हुई है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया था कि नागरिकता अधिनियम के तहत असम के लिए अलग प्रावधान हैं और सुप्रीम कोर्ट की देखरेख के कारण यहां प्रक्रिया बाकी राज्यों से अलग रखी गई है.

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