नई बाबरी बनवाने वाले हुमायूं कबीर ने बना ली पार्टी भी, ममता बनर्जी को अपने ही बागी से कितना खतरा; क्या मुस्लिम छोड़ देंगे 'दीदी' का साथ?
मुर्शिदाबाद में निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर द्वारा ‘बाबरी-स्टाइल मस्जिद’ की नींव रखने और नई पार्टी जनता उन्नयन पार्टी (JUP) के गठन ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दी है. यह कदम ममता बनर्जी और TMC के मुस्लिम वोट बैंक के लिए एक चेतावनी माना जा रहा है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि हुमायूं कबीर राज्य स्तर पर बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे, लेकिन मुर्शिदाबाद- मालदा जैसे मुस्लिम-बहुल इलाकों में वोट स्प्लिट कर TMC को कमजोर कर सकते हैं, जिसका अप्रत्यक्ष फायदा BJP को मिल सकता है.;
Humayun Kabir vs Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की राजनीति में हालिया घटनाएं सुर्खियां बटोर रही हैं. मुर्शिदाबाद के निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर ने पहले 6 दिसंबर 2025 को एक 'बाबरी-स्टाइल मस्जिद' की नींव रखी और फिर 22 दिसंबर को अपनी नई राजनीतिक पार्टी जनता उन्नयन पार्टी (JUP) लॉन्च कर दी. इस पूरे घटनाक्रम को सीधे तौर पर ममता बनर्जी, TMC और मुस्लिम वोट बैंक से जोड़कर देखा जा रहा है. सवाल साफ है कि क्या यह सिर्फ़ शोर है या 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले TMC के लिए असली खतरे की घंटी?
कौन हैं हुमायूं कबीर?
हुमायूं कबीर मुर्शिदाबाद की बेलडागा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. मुस्लिम-बहुल इलाकों में उनकी स्थानीय पकड़ है. लंबे समय से TMC नेतृत्व, खासकर ममता बनर्जी से उनका टकराव रहा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि TMC मुस्लिमों को सिर्फ़ 'वोट बैंक' समझती है, असली राजनीतिक ताकत नहीं देती. 6 दिसंबर (बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी) को रेजीनगर इलाके में ‘बाबरी जैसी मस्जिद’ की नींव रखकर उन्होंने साफ संकेत दे दिया कि वे सिर्फ़ विधायक नहीं, बल्कि मुस्लिम राजनीति के नए चेहरे बनना चाहते हैं.
‘बाबरी-स्टाइल मस्जिद’: धार्मिक आस्था या सियासी हथियार?
बाबरी-स्टाइल मस्जिद का नाम और तारीख, दोनों सियासी रूप से बेहद संवेदनशील हैं. कबीर का दावा है कि यह पूरी तरह संवैधानिक और धार्मिक अधिकार का मामला है. वहीं, TMC का आरोप है कि यह जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश है. ममता बनर्जी ने इसे 'सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाला कदम' बताया, जबकि पार्टी प्रवक्ताओं ने साफ कहा, “अगर TMC कमजोर हुई तो BJP सत्ता में आ जाएगी, मुस्लिमों के लिए इससे बड़ा खतरा कुछ नहीं.” लेकिन कबीर ने पलटवार करते हुए ममता पर ही RSS से अंदरूनी समझौते का आरोप जड़ दिया. यहीं से मामला TMC बनाम हुमायूं कबीर की सीधी लड़ाई बन गया.
जनता उन्नयन पार्टी (JUP): क्या है मकसद?
22 दिसंबर 2025 को मुर्शिदाबाद में JUP का औपचारिक ऐलान हुआ. कबीर का दावा है कि यह पार्टी हाशिए पर पड़े लोगों, खासकर मुस्लिमों की असली आवाज़ बनेगी. TMC, कांग्रेस और BJP, तीनों का विकल्प होगी.
JUP के बड़े-बड़े दावे
- 2026 में 135 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान
- 90 सीट जीतने का दावा
- AIMIM (ओवैसी) और ISF से संभावित गठबंधन के संकेत
- हालांकि जमीनी सच्चाई यह है कि पार्टी अभी नई, संगठन कमजोर और प्रभाव सीमित है.
ममता बनर्जी को कितना नुकसान हो सकता है?
1- स्थानीय स्तर पर खतरा, राज्य स्तर पर सीमित असर
राजनीतिक विश्लेषकों की राय लगभग एक जैसी है. उनका कहना है कि कबीर के नई पार्टी बनाने से राज्यव्यापी खतरा नहीं, लेकिन मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर जैसे मुस्लिम-बहुल जिलों में वोट स्प्लिट संभव है. 2021 विधानसभा चुनाव में मुर्शिदाबाद में TMC ने 22 में से 20 सीटें जीतीं, जबकि मालदा में 12 में से 8 सीटें TMC के पास है. वहीं, पार्टी ने उत्तर दिनाजपुर में 6 में से 4 और उत्तर/दक्षिण 24 परगना की 63 में से 57 सीटों पर जीत हासिल की. अगर यहां 3–5% मुस्लिम वोट भी खिसकता है, तो कई सीटों पर TMC का गणित बिगड़ सकता है.
2- मुस्लिम असंतोष: असली वजह क्या है?
हाल के महीनों में कुछ फैसलों ने मुस्लिम समाज में सवाल खड़े किए हैं- OBC लिस्ट से 34 मुस्लिम समुदायों को हटाना, वक्फ संपत्तियों से जुड़ा डेटा केंद्र को भेजना और कुछ मामलों में 'U-टर्न' की राजनीति... इसी असंतोष को हुमायूं कबीर राजनीतिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं...
क्या मुस्लिम वोट बैंक सच में TMC से दूर जाएगा?
पूरी तरह नहीं, लेकिन दरार गहरी हो सकती है. बंगाल का मुस्लिम वोटर अभी भी BJP को सबसे बड़ा खतरा मानता है. ममता बनर्जी की छवि अब भी 'BJP के खिलाफ ढाल' की है. उन्होंने इमाम भत्ता, अल्पसंख्यक बजट और स्कॉलरशिप जैसी योजनाएं शुरू की हैं... लेकिन अगर AIMIM + ISF + JUP का मजबूत गठबंधन बनता है... और मुस्लिमों को लगता है कि TMC उन्हें 'ग्रांटेड' ले रही है... तो लोकल शिफ्ट संभव है.
BJP को फायदा कैसे?
दिलचस्प बात यह है कि इस पूरी लड़ाई का सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष लाभ BJP को मिल सकता है. मुस्लिम वोट बंटने से TMC कमजोर हो जाएगी और BJP बिना मुस्लिम समर्थन के भी सीट निकाल सकती है. यही वजह है कि BJP इस पूरे मामले को TMC की 'अप्पीसमेंट पॉलिटिक्स का नतीजा' बता रही है.
चेतावनी या तबाही?
हुमायूं कबीर और उनकी बाबरी-स्टाइल राजनीति ममता बनर्जी के लिए चेतावनी जरूर है, लेकिन फिलहाल तबाही नहीं... JUP अभी वोट-कटर बन सकती है, किंगमेकर तभी बनेगी जब मजबूत गठबंधन और संगठन खड़ा होगा. 2026 चुनाव से पहले ममता बनर्जी के लिए संदेश साफ है- मुस्लिम वोट बैंक को 'ग्रांटेड' समझने की गुंजाइश अब कम होती जा रही है.