ईशनिंदा की आड़ में दरिंदगी! हिंदू युवक की मॉब लिंचिंग, पहले मारा फिर पेड़ से लटकाकर जला दिया | Video
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के मुताबिक मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में एक हिंदू युवक की कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. उसके बाद शव को पेड़ से लटकाकर आग लगा दी गई.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के मुताबिक मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में एक हिंदू युवक की कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इस घटना ने एक बार फिर देश में धार्मिक और भीड़ हिंसा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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घटना 18 दिसंबर 2025 की रात की बताई जा रही है. मृतक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है, जो स्थानीय स्तर पर एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था. आरोप है कि इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर गुस्साई भीड़ ने उसे निशाना बनाया.
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के अनुसार, यह घटना भालुका उपजिला के दुबालिया पारा क्षेत्र में हुई. आरोप है कि भीड़ ने दीपू चंद्र दास को पकड़कर पहले बेरहमी से पीटा और फिर उसकी हत्या कर दी. इसके बाद हमलावरों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए उसके शव को एक पेड़ से बांध दिया और आग लगा दी.
गारमेंट फैक्ट्री में करता था काम
दीपू चंद्र दास एक स्थानीय गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था और भालुका इलाके में किराये के मकान में रह रहा था. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की.
पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया शव
पुलिस ने शव को बरामद कर मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. मामले की जांच जारी है और हमलावरों की पहचान व गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.
भालुका पुलिस स्टेशन के ड्यूटी ऑफिसर रिपन मिया ने बताया “युवक को पीट-पीटकर मार डालने के बाद उसके शव को एक पेड़ से बांधकर आग लगा दी गई.”
अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर बढ़ती चिंता
यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है, जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. इससे पहले भी ईशनिंदा के आरोपों को लेकर भीड़ द्वारा हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है, जिसने मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है.





