Begin typing your search...

कट्टरपंथी दबाव के आगे कमजोर पड़ी यूनुस सरकार, हिंसक प्रदर्शन और आगजनी के चलते हुआ बुरा हाल; जानें अबतक क्या-क्या हुआ?

बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हालात बेकाबू हो गए हैं. ढाका, राजशाही और चट्टोग्राम में हिंसक प्रदर्शन, आगजनी और तोड़फोड़ हुई. डेली स्टार और प्रथम आलो जैसे बड़े मीडिया हाउस निशाने पर रहे, जबकि अवामी लीग कार्यालयों को भी नुकसान पहुंचाया गया. हालात बिगड़ने पर धारा 144 लागू की गई और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं. इस बीच भारत विरोधी नारे और दूतावासों के बाहर प्रदर्शन से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.

कट्टरपंथी दबाव के आगे कमजोर पड़ी यूनुस सरकार, हिंसक प्रदर्शन और आगजनी के चलते हुआ बुरा हाल; जानें अबतक क्या-क्या हुआ?
X
( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 19 Dec 2025 12:07 PM

बांग्लादेश की सियासत एक बार फिर हिंसा, आगजनी और भारत-विरोधी नारों की गिरफ्त में है. शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन का चेहरा रहे शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में संदिग्ध हालात में हुई मौत ने पूरे देश को हिला दिया है. आधी रात के बाद ढाका से लेकर राजशाही तक जो मंजर दिखा, उसने यह साफ कर दिया कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि सत्ता, कट्टरपंथ और चुनावी राजनीति से जुड़ा बड़ा विस्फोट है.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

हादी की मौत के बाद उभरे विरोध प्रदर्शनों ने जल्द ही हिंसक रूप ले लिया. अखबारों के दफ्तर, सांस्कृतिक संस्थान, राजनीतिक कार्यालय और भारतीय राजनयिक ठिकाने निशाने पर आ गए. अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के लिए यह संकट कानून-व्यवस्था से कहीं आगे, देश की स्थिरता और भारत-बांग्लादेश संबंधों की अग्निपरीक्षा बन चुका है.

कौन था शरीफ उस्मान हादी? आंदोलन का उग्र चेहरा

शरीफ उस्मान हादी 2024 में शेख हसीना की सत्ता के खिलाफ हुए आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे. वह ‘इंकलाब मंच’ के संयोजक थे और खुले तौर पर भारत-विरोधी बयानबाजी के लिए जाने जाते थे. ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ जैसे विवादित नक्शे को बढ़ावा देने वाले हादी को कट्टरपंथी धड़े का वैचारिक प्रतीक माना जाता था.

सिंगापुर में मौत, सवालों के घेरे में हालात

हादी की मौत सिंगापुर में हुई, लेकिन किस हालात में हुई. यह अब भी स्पष्ट नहीं है. समर्थकों का दावा है कि यह हत्या है, जबकि आधिकारिक जानकारी सीमित है. इसी अनिश्चितता ने बांग्लादेश में अफवाहों और गुस्से को हवा दी, जिसने सड़कों पर हिंसा का रूप ले लिया.

आधी रात आगजनी और तोड़फोड़

हादी की मौत की खबर फैलते ही ढाका, राजशाही और अन्य शहरों में भीड़ सड़कों पर उतर आई. करवान बाजार स्थित ‘प्रथम आलो’ और ‘डेली स्टार’ के दफ्तरों पर हमला कर आग लगा दी गई. ऐतिहासिक सांस्कृतिक संस्था छायानट को भी निशाना बनाया गया, जो बंगाली संस्कृति की पहचान मानी जाती है.

अखबार और संस्कृति क्यों बने निशाना?

हमलों का पैटर्न बताता है कि यह सिर्फ गुस्से का इजहार नहीं था. मीडिया और सांस्कृतिक संस्थानों को ‘सिस्टम का हिस्सा’ बताकर निशाना बनाया गया. भीड़ ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाते हुए उन संस्थानों को जला रही थी, जो बांग्लादेश में उदार और लोकतांत्रिक विचारधारा के प्रतीक माने जाते हैं.

BNP और यूनुस सरकार दबाव में

BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने हादी की मौत पर दुख जताया और अंतरिम सरकार से जांच की मांग की. वहीं, मोहम्मद यूनुस ने हालात संभालने के लिए आपात बैठक बुलाई. लेकिन सड़क पर उतरी भीड़ सरकार की अपीलों से बेपरवाह दिखी.

अवामी लीग के दफ्तर ढहाए गए

राजशाही में प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग के स्थानीय दफ्तर को बुलडोजर से गिरा दिया. यह महज तोड़फोड़ नहीं, बल्कि सत्ता और हसीना समर्थकों के खिलाफ खुला संदेश था कि हिंसा अब प्रतीकों को भी मिटाने पर उतारू है.

भारत का नाम क्यों घसीटा गया?

हादी समर्थकों ने आरोप लगाया कि हत्यारे भारत भाग गए हैं. इसी बहाने भारत-विरोधी नारे तेज हुए और भारतीय उच्चायोगों को निशाना बनाया गया. ढाका, चटगांव, राजशाही और खुलना में वीजा सेवाएं बंद करनी पड़ीं और सुरक्षा बढ़ा दी गई.

जांच में क्या सामने आया?

  • अब तक करीब 20 लोगों को हिरासत में लिया गया
  • मुख्य आरोपी के तौर पर फैसल करीम मसूद का नाम
  • उसके परिवार और करीबी सहयोगियों से पूछताछ
  • कुछ संदिग्धों के भारत भागने की आशंका जताई गई
  • रैपिड एक्शन बटालियन, पुलिस और BGB जांच में शामिल

चुनाव से पहले हिंसा का खेल?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हादी की मौत को चुनावी हथियार बनाया जा रहा है. भारत-विरोधी माहौल बनाकर कट्टरपंथी ताकतें जनसमर्थन जुटाना चाहती हैं. यही वजह है कि विरोध प्रदर्शन जल्द ही सुनियोजित हिंसा में बदल गए.

बांग्लादेश की अग्निपरीक्षा

हादी की मौत ने बांग्लादेश को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां कानून-व्यवस्था, लोकतंत्र और विदेश नीति एक-दूसरे से टकरा रहे हैं. अगर हालात जल्द काबू में नहीं आए, तो यह संकट सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है.

अब तक क्या-क्या हुआ?

  • इंटरनेट और मोबाइल डेटा आंशिक रूप से बंद: हिंसा फैलने के बाद ढाका और राजशाही के कुछ इलाकों में मोबाइल इंटरनेट स्पीड घटा दी गई, ताकि वीडियो और लाइव स्ट्रीमिंग रोकी जा सके.
  • कर्फ्यू जैसे हालात, धारा 144 लागू: कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है, चार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई.
  • सेना को स्टैंडबाय पर रखा गया: बांग्लादेश आर्मी को राजधानी के आसपास स्टैंडबाय पर रखा गया है, हालांकि अब तक औपचारिक तैनाती नहीं दिखाई गई.
  • हादी के जनाजे को राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन में बदला गया: अंतिम यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर नारेबाजी, झंडे और भाषण हुए, जिससे तनाव और बढ़ गया.
  • कट्टरपंथी संगठनों की खुली एंट्री: जमात-समर्थक और अन्य इस्लामी कट्टर समूहों की मौजूदगी विरोध प्रदर्शनों में साफ देखी गई.
  • सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो और मैसेज वायरल: भारत और भारत समर्थित साजिश के नाम पर पुराने और एडिटेड वीडियो गए, जिनका हादी की मौत से कोई संबंध नहीं था.
  • विदेशी दूतावासों ने एडवाइजरी जारी की: अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों को भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहने की सलाह दी.
  • व्यापार और परिवहन प्रभावित: बस सेवाएं रद्द, बाजार बंद और पोर्ट सिटी चटगांव में माल ढुलाई धीमी पड़ गई है.
  • पुलिस पर भी हमले, कई जवान घायल: अलग-अलग जगहों पर पुलिस वाहनों को आग लगाई गई और कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं.
  • अंतरिम सरकार की साख पर सवाल: मोहम्मद यूनुस सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह कट्टरपंथी दबाव के आगे कमजोर पड़ रही है और हालात संभालने में नाकाम दिख रही है.
वर्ल्‍ड न्‍यूज
अगला लेख