भारत को बांग्लादेश से सीधा खतरा! हसीना के बेटे ने यूनुस पर लगाया आरोप, कहा- चुनाव में धांधली कर कट्टरपंथियों को देना चाह रहे सत्ता
बांग्लादेश में फरवरी चुनाव से पहले शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अंतरिम सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. उनका कहना है कि मोहम्मद यूनुस धांधली वाले चुनाव के जरिए इस्लामिस्ट ताकतों को सत्ता में लाना चाहते हैं, जिससे भारत की सुरक्षा को सीधा खतरा है. अवामी लीग पर बैन, बढ़ता कट्टरपंथ और अस्थिरता ने क्षेत्रीय राजनीति में नई चिंता खड़ी कर दी है.
बांग्लादेश में फरवरी में होने वाले चुनाव से पहले सियासी हालात तेजी से विस्फोटक होते जा रहे हैं. शेख हसीना के सत्ता से हटने, अवामी लीग पर चुनावी प्रतिबंध और अंतरिम सरकार के फैसलों ने देश को अस्थिरता की ओर धकेल दिया है. इसी उथल-पुथल के बीच अब शेख हसीना के बेटे और सलाहकार सजीब वाजेद जॉय का बयान सामने आया है, जिसने ढाका से लेकर दिल्ली तक हलचल बढ़ा दी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जॉय ने साफ शब्दों में कहा है कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति सिर्फ उनके देश के लिए नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन सकती है. उनका आरोप है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार “धांधली वाले चुनाव” के जरिए इस्लामिस्ट ताकतों को सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है.
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चुनाव और बैन: लोकतंत्र पर सीधा वार?
फरवरी 12 को प्रस्तावित चुनावों से पहले अवामी लीग को बाहर कर देना जॉय के मुताबिक लोकतंत्र की हत्या है. उनका कहना है कि किसी आदेश से देश की लगभग आधी आबादी की राजनीतिक आवाज को खत्म नहीं किया जा सकता. यह फैसला चुनाव को पहले से ही अविश्वसनीय बना देता है.
यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप
सजीब वाजेद जॉय का आरोप है कि अंतरिम सरकार का असली एजेंडा एक “इस्लामिक शासन” की जमीन तैयार करना है. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी ताकतों को चुपचाप ताकत दी जा रही है, जिससे अल्पसंख्यकों और पड़ोसी देशों की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ेगा.
भारत के लिए क्यों बताया ‘रीयल थ्रेट’?
जॉय ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ भारत के लिए सीधा खतरा बन सकता है. सीमावर्ती इलाकों में अस्थिरता, चरमपंथी नेटवर्क और भारतीय राजनयिक ठिकानों पर गतिविधियां ये सभी संकेत गंभीर खतरे की ओर इशारा करते हैं. यही वजह है कि भारत ने ढाका के उच्चायुक्त को तलब कर अपनी चिंता भी जताई है.
क्या बांग्लादेश की राजनीतिक विरासत खत्म हो रही है?
जब उनसे पूछा गया कि क्या हसीना और जिया दो बड़ी राजनीतिक विरासतों का दौर खत्म हो रहा है, तो जॉय ने कहा कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता. उन्होंने अपने नाना शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि परिस्थितियां कभी भी पलट सकती हैं.
अवामी लीग की ताकत पर भरोसा
जॉय ने दावा किया कि अवामी लीग को आज भी करीब 40 प्रतिशत वोटरों का समर्थन हासिल है. लाखों कार्यकर्ता आज भी पार्टी से जुड़े हैं. उनके मुताबिक पार्टी को बैन कर देना उसकी जड़ों को खत्म नहीं कर सकता और विरोध धीरे-धीरे और तेज होगा.
सेना की भूमिका पर चौंकाने वाला बयान
बांग्लादेश सेना को लेकर जॉय ने कहा कि वह फिलहाल सिर्फ एक “साइलेंट बायस्टैंडर” बनी हुई है. उनके अनुसार, सेना न तो देश का भविष्य तय कर रही है और न ही लोकतंत्र को बचाने में सक्रिय भूमिका निभा रही है.
मां शेख हसीना से रोज होती है बात
जॉय ने बताया कि वह अपनी मां शेख हसीना से नियमित रूप से फोन पर बात करते हैं और दिल्ली भी आ चुके हैं. उनका कहना है कि उनकी जिम्मेदारी झूठे फैसलों, मानवाधिकार उल्लंघनों और यूनुस सरकार के “लोकतंत्र विरोधी चेहरे” को दुनिया के सामने उजागर करना है. सजीब वाजेद जॉय का यह बयान सिर्फ एक निर्वासित नेता की पीड़ा नहीं, बल्कि बांग्लादेश की दिशा और भारत की सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चेतावनी है. सवाल अब यह है कि क्या फरवरी का चुनाव हालात को स्थिर करेगा, या फिर यह क्षेत्र और बड़े राजनीतिक-सुरक्षा संकट की ओर बढ़ रहा है?





