चीन–पाकिस्तान के साथ नया ब्लॉक, SAARC को दरकिनार करने का प्लान और ... जानें कैसे भारत को घेरने की तैयारी कर रहा बांग्लादेश
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश की विदेश नीति में तेज़ बदलाव दिख रहा है. ढाका अब चीन और पाकिस्तान के साथ एक नए क्षेत्रीय ब्लॉक में शामिल होने की संभावना पर खुलकर संकेत दे रहा है. यह पहल SAARC के कमजोर पड़ते ढांचे के समानांतर एक नए गठजोड़ के उभरने की ओर बढ़ती है. विशेषज्ञ इसे दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती रणनीतिक पकड़ और भारत को साइडलाइन करने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं.
Bangladesh China Pakistan Grouping, South Asia New Bloc: पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार द्वारा हाल ही में ढाका–बीजिंग–इस्लामाबाद के बीच एक नए त्रिपक्षीय ब्लॉक की बात कहे जाने के कुछ दिनों बाद, बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तोहिद हुसैन ने संकेत दिया कि ढाका पाकिस्तान और चीन के साथ एक क्षेत्रीय समूह में शामिल हो सकता है, जिसमें भारत शामिल न हो. इस बात की पुष्टि बांग्लादेश समाचार एजेंसी BSS ने अपनी रिपोर्ट में की.
हालांकि, हुसैन ने यह भी जोड़ा कि नेपाल और भूटान के लिए ऐसे किसी ब्लॉक में शामिल होना 'व्यावहारिक रूप से संभव नहीं' है. उन्होंने कहा, “हमारे लिए रणनीतिक तौर पर यह संभव है, लेकिन नेपाल या भूटान पाकिस्तान के साथ भारत को छोड़कर कोई गठजोड़ नहीं कर सकते.”
पाकिस्तान और चीन का नया ‘रीजनल ब्लॉक’?
हुसैन की टिप्पणी तब आई जब पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक़ डार ने दावा किया कि ढाका–बीजिंग–इस्लामाबाद का नया त्रिपक्षीय मंच पहले ही शुरू हो चुका है, और आगे इसमें अन्य क्षेत्रीय व एक्स्ट्रा-रीजनल देशों को भी जोड़ा जा सकता है. कहा जा रहा है कि यह पहल दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) के समानांतर एक नया ढांचा खड़ा करने की कोशिश है- एक SAARC, जो 2016 के उरी हमले के बाद लगभग निष्क्रिय हो चुका है और अब भारत–पाकिस्तान तनावों के कारण जड़ हो गया है.
शेख हसीना के सत्ता से हटते ही बदला ढाका का झुकाव
अगस्त 2024 में शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद से बांग्लादेश की विदेश नीति में तेज़ी से बदलाव देखा जा रहा है. मोहम्मद यूनूस की अंतरिम सरकार के दौरान पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्ते, जो 1971 के जनसंहार और आज़ादी के युद्ध के कारण दशकों से तनावपूर्ण रहे, अब तेजी से सुधर रहे हैं. व्यापार, रक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और कूटनीति, चारों क्षेत्रों में दोनों देशों की गर्माहट बढ़ी है. तोहिद हुसैन ने कहा कि इशाक़ डार के बयान पर फ़िलहाल वे ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने भी यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये ही देखी है, लेकिन भविष्य में इस पर प्रगति हो सकती है.
चीन–पाक–बांग्लादेश बैठक: SAARC के विकल्प की दिशा में कदम?
यह चर्चा जून 2024 की उस अहम बैठक के बाद और तेज़ हुई, जब चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश ने कुनमिंग में पहली त्रिपक्षीय सरकारी स्तर की बैठक की थी. उसी समय पाकिस्तानी मीडिया में खबर आई कि बीजिंग और इस्लामाबाद एक नया क्षेत्रीय ढांचा तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं- एक ऐसा ढांचा जो SAARC का विकल्प बने और जिसमें भारत की भूमिका नगण्य या शून्य रहे. The Express Tribune की रिपोर्ट के अनुसार, कुनमिंग बैठक का मुख्य उद्देश्य था कि SAARC में मौजूद अन्य देशों को भी इस नए ब्लॉक में शामिल करने का आमंत्रण दिया जाए.
भारत–केंद्रित संतुलन से हटता ढाका
शेख हसीना ने अपने कार्यकाल में अमेरिका, भारत और चीन, तीनों को साथ लेकर संतुलन बनाए रखा था. वे चीन से निवेश लेती थीं लेकिन भारत को नाराज नहीं करती थीं... लेकिन हसीना के हटने के बाद यह संतुलन बदलता दिख रहा है. ढाका अब खुले तौर पर पाकिस्तान और चीन के करीब जा रहा है, खासकर उन मुद्दों पर जहां भारत खुद को अलग-थलग महसूस कर सकता है. जून की बैठक में तीनों देशों ने व्यापार, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, निवेश और कर्ज प्रबंधन में व्यापक सहयोग बढ़ाने और एक जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाने का निर्णय लिया.
नया साउथ एशियन भू-राजनीतिक समीकरण
पाकिस्तान द्वारा भारत को बाहर रखते हुए चीन को केंद्र में रखकर एक नए बड़े साउथ एशियन ढांचे की बात करना एक बड़ा संकेत है कि दक्षिण एशिया में चीनी प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. बांग्लादेश भी उस दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है.





