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पाकिस्‍तान के साथ अमेरिका की गलबहियां भारत के लिए कितनी खतरनाक, क्‍या कहती है ORF रिपोर्ट? असली खतरा क्या

Observer Research Foundation (ORF) के विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका-पाकिस्तान गहराते संबंधभारत-US संबंधों में तनाव पैदा कर सकते हैं. विशेष रूप से व्यापार, मध्यस्थता और क्षेत्रीय सुरक्षा के मसलों पर. ऐसा इसलिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख भारत के खिलाफ बदले की भावना से प्रेरित है. ऐसे में अमेरिका का पाकिस्तान के करीब आना सुरक्षा खतरे का संकेत माना जा रहा है.

पाकिस्‍तान के साथ अमेरिका की गलबहियां भारत के लिए कितनी खतरनाक, क्‍या कहती है ORF रिपोर्ट? असली खतरा क्या
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Observer Research Foundation (ओआरएफ) के मुताबिक भारत के साथ तनाव के गीच अमेरिका का पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के गीच बढ़ती कूटनीतिक और सैन्य संलग्नता भारत के हितों के लिए चुनौती बन सकती है. ORF के America प्रमुख ध्रुव जयशंकर के अनुसार ये गलबहियां केवल द्विपक्षीय नहीं हैं, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति समीकरण, व्यापार, सुरक्षा और भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर प्रभाव डाल सकती हैंअमेरिका और पाकिस्तान की बदलती नजदीकियों को लेकर ORF (Observer Research Foundation) की हालिया रिपोर्ट भारत के लिए कई गंभीर संकेत देती है. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका का पाकिस्तान की सेना, सुरक्षा प्रतिष्ठान और राजनीतिक नेतृत्व के साथ बढ़ता जुड़ाव केवल कूटनीतिक संवाद नहीं है बल्कि दक्षिण एशिया में एक नया रणनीतिक संतुलन भी बना रहा है.

ORF के विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका, भारत-US संबंधों में पैदा हुए हालिया तनाव को बैलेंस करने के लिए पाकिस्तान को फिर से एक यूजफुल पार्टनर के रूप में देखा सकता है. यही भारत के लिए सबसे बड़ा जोखिम है. खासकर जब अमेरिका, भारत-पाक विवादों में तीसरे पक्ष की भूमिका जैसी संवेदनशील बातों को दोहराता है, तो यह भारत की विदेश नीति और सुरक्षा हितों के लिए चुनौतियां खड़ी करता है.

खतरा कैसे?

  • रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका–पाकिस्तान के बीच यह नजदीकी तीन स्तरों (रणनीतिक, सुरक्षा और कूटनीतिक) पर भारत को प्रभावित कर सकती है.
  • पहला, पाकिस्तान को अमेरिकी सैन्य-सहायता, रक्षा तकनीक या राजनीतिक समर्थन मिलने से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन भारत के खिलाफ जा सकता है.
  • दूसरा, चीन-पाकिस्तान सैन्य साझेदारी पहले से ही मजबूत है. यदि अमेरिकी जुड़ाव भी बढ़ा, तो पाकिस्तान को दो बड़े वैश्विक खिलाड़ियों का समर्थन मिल सकता है, जो भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाता है.
  • तीसरा, Indo-US संबंधों में तनाव अमेरिका को पाकिस्तान कार्ड खेलने की तरफ धकेल सकता है, जिससे भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी कमजोर और दक्षिण एशिया में अस्थिरता बढ़ सकती है. कुल मिलाकर, ORF का निष्कर्ष साफ है कि US-Pakistan गलबहियां भारत के लिए सिर्फ कूटनीतिक चिंता नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतिक खतरे भी पैदा कर सकती हैं.
  • रणनीतिक संतुलन में बदलाव, आणविक सुरक्षा पर प्रभाव, व्यापार और आर्थिक दबाव, क्षेत्रीय भू-राजनीति में अस्थिरता और अमेरिका-भारत साझेदारी में भरोसे का संकट.

ORF रिपोर्ट में शामिल प्रमुख 10 बातें

1. पिछले समय में U.S.–India संबंध स्थिर से तनावपूर्ण स्थिति में आए हैं, जिसमें पाकिस्तान से जुड़ी नीतियां एक प्रमुख वजह है.

2. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका का पाकिस्तान-भारत संघर्ष के दौरान मध्यस्थता का दावा भारत में संवेदनशीलता पैदा करता है, क्योंकि भारत द्विपक्षीय समाधान को प्राथमिकता देता है.

3. पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने खुद को उपयोगी साझेदार के रूप में प्रस्तुत कर रणनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव रखा, जिससे संबंध मजबूत दिखे.

4. भारत औ अमेरिका के बीच पिछले कुछ महीनों के दौरान व्यापार समझौते के बजाय उच्च टैरिफों ने U.S.–India रिश्तों को जटिल बना दिया है. इस घटना ने पाकिस्तान को संतुलन नीति का अवसर पैदा करने का मौका दिया है.

5. आज के समय में ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व से सक्रिय जुड़ाव रख रहा है, जो ORF के विश्लेषण में भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ संभावित अलार्म के रूप में देखा गया है.

6. अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में गहराई से दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन प्रभावित हो रहा है. खासकर चाबहार-ग्वादर जैसे भू-सामरिक बिंदुओं पर.

7. ORF ने यह रेखांकित किया है कि चीन की सैन्य सहायता पाकिस्तान को मजबूत कर रही है, जो भारत-US रणनीतिक साझेदारी के लिए एक चुनौती बनती है.

8. राजनीतिक मतभेद और ट्रंप प्रशासन की रणनीति ने U.S.–India रिश्तों को जटिल बनाया है, जिससे पाकिस्तान के साथ रिश्ते भी अलग-अलग संदेश भेज रहे हैं.

9. अमेरिका और पाकिस्तान के बीच नए आर्थिक प्रस्तावों और सुरक्षा रणनीतियों ने भारत को रणनीतिक संतुलन की चुनौती में डाल दिया है.

10. ORF का मत है कि अगर India-US विवादों को समय पर नहीं सुलझाया गया, तो कई क्षेत्रों जैसे रक्षा, व्यापार और तकनीकी साझेदारी पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं.

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