उस्मान हादी की मौत के बाद जलने लगा बांग्लादेश, सड़क से लेकर मीडिया हाउस तक लगाई आग; भारत विरोधी नारे भी गूंजे | Video
बांग्लादेश में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद देशभर में हिंसा भड़क उठी है. ढाका से चट्टोग्राम तक प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी की, मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया और अवामी लीग के दफ्तरों में तोड़फोड़ की. डेली स्टार और प्रोथोम आलो जैसे बड़े मीडिया हाउस जला दिए गए, जबकि कई पत्रकार घंटों फंसे रहे. हालात बिगड़ने पर भारतीय दूतावास की ओर मार्च की कोशिश हुई और भारत विरोधी नारे भी लगे. अंतरिम सरकार और मोहम्मद यूनुस पर कानून-व्यवस्था संभालने का भारी दबाव है.
बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा, आगजनी और सियासी अराजकता की गिरफ्त में है. छात्र आंदोलन से निकले युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत ने देश को उबाल पर ला दिया है. राजधानी ढाका से लेकर चट्टोग्राम तक सड़कों पर गुस्सा है, नारे हैं और आग की लपटें हैं.
यह सिर्फ एक नेता की हत्या नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे लोकतांत्रिक आंदोलन पर हमला बताया जा रहा है. हालात ऐसे बिगड़े कि देश के सबसे बड़े मीडिया हाउस, अखबारों के दफ्तर और सत्तारूढ़ दल से जुड़े ठिकाने निशाने पर आ गए.
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कौन थे शरीफ उस्मान हादी?
32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी 2024 के छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरों में थे. वह ‘इंक़िलाब मंच’ के संयोजक और आगामी 12 फरवरी के आम चुनाव में उम्मीदवार भी थे. हादी न सिर्फ शेख हसीना की सरकार, बल्कि मौजूदा सत्ता व्यवस्था के मुखर आलोचक थे.
दिनदहाड़े हमला, फिर सिंगापुर में मौत
12 दिसंबर को ढाका के मध्य इलाके में मस्जिद से निकलते समय नकाबपोश हमलावरों ने हादी के सिर में गोली मार दी. गंभीर हालत में उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. जैसे ही मौत की खबर आई, पूरे देश में प्रदर्शन भड़क उठे.
शाहबाग से चट्टोग्राम तक सड़कों पर गुस्सा
हादी की मौत की पुष्टि होते ही हजारों छात्र और समर्थक ढाका यूनिवर्सिटी के पास शाहबाग चौराहे पर जमा हो गए. “हादी के कातिलों को सजा दो” जैसे नारों से राजधानी गूंज उठी. प्रदर्शन जल्द ही देश के अन्य शहरों तक फैल गया.
निशाने पर मीडिया ऑफिस
हिंसा का सबसे डरावना रूप तब सामने आया जब भीड़ ने देश के दो सबसे बड़े मीडिया संस्थानों The Daily Star और Prothom Alo के दफ्तरों पर हमला कर दिया. करवान बाजार स्थित डेली स्टार कार्यालय में आग लगा दी गई, जबकि प्रोथोम आलो के परिसर में भी तोड़फोड़ और आगजनी हुई.
25 पत्रकार घंटों तक फंसे रहे
हमले के दौरान कम से कम 25 पत्रकार डेली स्टार के दफ्तर में फंसे रहे. दमकल विभाग ने करीब चार घंटे बाद आग पर काबू पाया. रात 1:40 बजे के आसपास सभी पत्रकारों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी थी.
भारत विरोधी नारे, भारतीय दूतावास तक मार्च की कोशिश
प्रदर्शन के दौरान हालात ने अंतरराष्ट्रीय रंग भी ले लिया. ढाका और राजशाही में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय राजनयिक परिसरों की ओर मार्च की कोशिश की. कई जगह पत्थरबाज़ी हुई और “भारत मुर्दाबाद” के नारे लगे, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा.
अंतरिम सरकार पर दबाव, यूनुस का सख्त संदेश
बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने हालात को “देश के लिए गंभीर चुनौती” बताया. उन्होंने 20 दिसंबर को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया, झंडे आधे झुकाने और विशेष नमाज़ का आदेश दिया. साथ ही कानून-व्यवस्था की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई.
अवामी लीग के ठिकानों पर हमला
हिंसा सिर्फ मीडिया तक सीमित नहीं रही. राजशाही में अवामी लीग का दफ्तर जला दिया गया. शेख हसीना से जुड़े नेताओं की संपत्तियों पर भी हमले हुए. ढाका-मयमनसिंह हाईवे को जाम कर दिया गया, जिससे देश की आवाजाही ठप हो गई.
हत्यारों की तलाश, इनाम की घोषणा
पुलिस ने हादी के हत्यारों की तलाश के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया है. दो संदिग्धों की तस्वीरें जारी की गई हैं और उनकी गिरफ्तारी पर 50 लाख टका इनाम घोषित किया गया है. सरकार ने चेतावनी दी है कि हिंसा बांग्लादेश के लोकतांत्रिक संक्रमण को पटरी से उतार सकती है.
बांग्लादेश किस मोड़ पर खड़ा है?
शरीफ उस्मान हादी की मौत ने यह साफ कर दिया है कि बांग्लादेश अभी बेहद नाज़ुक दौर से गुजर रहा है. छात्र आंदोलन, चुनावी अनिश्चितता, मीडिया पर हमले और भारत-विरोधी उभार—सब मिलकर देश को एक बड़े सियासी और कूटनीतिक संकट की ओर धकेल रहे हैं. यह सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं, बल्कि बांग्लादेश की लोकतांत्रिक स्थिरता, मीडिया की आज़ादी और क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है. आने वाले दिन तय करेंगे कि यह गुस्सा व्यवस्था बदलता है या अराजकता को और गहरा करता है.





