UP में SIR का काउंटडाउन शुरू! अगर गलती हुई तो मतदाता सूची से हट सकता है नाम, समय रहते कर लें 7 काम
Uttar Pradesh SIR Second Phase 2025: UP सहित सभी 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया की डेडलाइन नजदीक आ गई है. हर मतदाता को पता होना चाहिए कि कौन से दस्तावेज फॉर्म भरने के लिए जरूरी है. क्या-क्या बदलाव हो रहे हैं और वोटर लिस्ट में नाम बचाए रखने के लिए किन गलतियों से बचना चाहिए.
Uttar Pradesh SIR Second Phase Deadline: उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) एक्सरसाइज को पूरा करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर हैं. यूपी सहित सभी राज्यों में BLO टीमें घर-घर जाकर सत्यापन कर रही हैं. इस बीच बड़ी संख्या में वोटर्स अभी भी यह नहीं जानते कि इस प्रक्रिया में उन्हें क्या करना है, कौन-से कागज रखने हैं और कौन-सी गलती नाम हटने की वजह बन सकती है. इसलिए, अगर आप UP के वोटर हैं, तो आपके लिए यह गाइड बेहद जरूरी है. हर मतदाता के लिए यह जरूरी हैं कि वो एसआईआर प्रक्रिया से जुड़ी बातों को जान लें. नहीं तो मतदाता सूची में शामिल होने से वंचित हो सकते हैं.
सभी जान लें ये बात
- आप बूथ-लेवल ऑफिसर (BLO) से SIR एन्यूमरेशन फार्म ले सकते हैं. या इसे voters.eci.gov.in से ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं.
- BLO आपके घर और उनके तय बूथ एरिया के हर वोटर के घर जाएंगे. इसके बाद BLO वेरिफाई करते हैं कि कौन से वोटर अभी उस पते पर रह रहे हैं और फिर घर-घर जाकर सही फॉर्म बांटते हैं. BLO आमतौर पर परिवार से भरा हुआ फार्म तीन से चार दिनों के अंदर लेने के लिए तैयार रखने के लिए कहते हैं.
- BLO भी विजिट के दौरान ही वोटर की तरफ से फॉर्म भर सकते हैं. खासकर तब जब वोटर मौजूद हो और जरूरी डिटेल्स तुरंत देने को तैयार हो.
फॉर्म में क्या-क्या जरूरी?
- हर फॉर्म में एक ही पेज होता है. पेज के सबसे ऊपर, वोटर की जरूरी डिटेल्स प्रिंट होती हैं. जैसे वोटर का नाम, पता, इलेक्शन कमीशन का जारी किया गया 10-डिजिट का यूनिक इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबर, पोलिंग बूथ का नाम, असेंबली सीट और पिछले रोल से वोटर लिस्ट का सीरियल नंबर.
- सबसे ऊपर वाले हिस्से में एक QR कोड, वोटर की पुरानी फोटो और एक खाली जगह होती है, जहां वोटर को एक नई फोटो लगानी होती है.
- फॉर्म दो अलग-अलग सेक्शन में बना है. ऊपर वाले सेक्शन में, वोटर्स को अपनी जन्मतिथि, मोबाइल नंबर और अपने माता-पिता या जीवनसाथी के नाम जैसी जरूरी पर्सनल जानकारी देनी होगी. इस सेक्शन में ऑप्शनल फील्ड भी हैं जहां वोटर अपने माता-पिता या जीवनसाथी के EPIC नंबर और अपना आधार नंबर दे सकते हैं,
- फॉर्म का निचला हिस्सा भी दो हिस्सों में बंटा हुआ है. इस सेक्शन के बाईं ओर वोटर्स को 2003 में हुए आखिरी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के आधार पर डिटेल्स देनी होती हैं, जैसे उनका नाम, किसी रिश्तेदार (माता-पिता या दादा-दादी) का नाम, साथ ही उस समय दर्ज उनके जिले, राज्य और असेंबली सीट का नाम.
- दाईं ओर उन वोटर्स के लिए है जिन्हें 2003 के SIR के बाद वोटर रोल में जोड़ा गया था. इस हिस्से में वैसी ही जानकारी मांगी जाती है. वोटर का नाम, रिश्तेदार का नाम, जिला, राज्य और असेंबली सीट, लेकिन इसे वे लोग भरते हैं जो बाद के रिवीजन में एनरोल हुए थे.
- फॉर्म पूरा होने और इकट्ठा होने के बाद BLO अपने फोन पर इंस्टॉल BLO मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके वोटर की डिटेल्स अपलोड करते हैं. प्रोसेस में शामिल एक BLO ने बताया, हम फॉर्म पर प्रिंटेड QR कोड को स्कैन करके शुरू करते हैं. जैसे ही हम इसे स्कैन करते हैं उस वोटर के फॉर्म का डिजिटल वर्जन स्क्रीन पर खुल जाता है.
- फिर बीएलओ भरे हुए फॉर्म में दी गई सारी जानकारी ठीक वैसी ही डालते हैं, वोटर की लेटेस्ट फोटो अपलोड करते हैं और ऐप में एंट्री सेव करें. उसके बाद, डेटा सीनियर अधिकारियों को सबमिट किया जाता है. वोटर वेबसाइट चेक करके यह भी वेरीफाई कर सकता है कि फॉर्म इलेक्शन कमीशन पोर्टल पर अपलोड हुआ है या नहीं.
अगर पता बदल गया तो क्या करें?
कई मामलों में, BLO को पता चलता है कि जिस वोटर को फॉर्म जारी किया गया है, वह अब रिकॉर्ड किए गए पते पर नहीं रहता है और कहीं और शिफ्ट हो गया है. जब ऐसा होता है, तो BLO वोटर से फोन पर कांटेक्ट करके पूछता है कि क्या वे अपना वोट ओरिजिनल जगह पर रखना चाहते हैं या अपनी नई रहने की जगह पर शिफ्ट करना चाहते हैं.
अगर वोटर कहता है कि वह नई जगह से अपना वोट डालना चाहता है, तो हम फार्म पर ‘परमानेंटली शिफ़्टेड’ मार्क करते हैं. अगर वोटर की मौत हो गई है, तो हम ‘मर गया’ मार्क करते हैं. ऐसे मामलों में जहां वोटर का नाम इलेक्टोरल रोल में दो बार आता है, तो एक फॉर्म को कैंसल करने के लिए मार्क किया जाता है.
बीएलओ आपके घर तीन बार पहुंचेंगे
BLO ने आगे बताया कि उन्हें फॉर्म देने के लिए वोटर के घर जाने की कम से कम तीन कोशिशें करने के निर्देश दिए गए हैं. अगर तीन बार जाने के बाद भी वोटर नहीं मिलता है और आस-पड़ोस में कोई भी उनके ठिकाने की पुष्टि नहीं कर पाता है, उस मतदाता को 'अनुपस्थित' के रूप में चिह्नित किया जाता है. आवश्यकतानुसार उसे जमा करते हैं.
जरूरी दस्तावेज
आधार कार्ड, राशन कार्ड, परिवार रजिस्टर, बिजली/पानी बिल, आयु का प्रमाण (जन्म प्रमाणपत्र/स्कूल सर्टिफिकेट), स्थान परिवर्तन होने पर नया पता प्रमाण. अगर कोई घर पर नहीं मिलता तो क्या होगा? BLO नॉट अवेलेबल रिपोर्ट भेज देगा. इसके बाद आपका नाम डाउटफुल कैटेगरी में जा सकता है. समय रहते BLO से संपर्क करना जरूरी.
नए वोटर्स (18+ युवा) क्या करें?
1 जनवरी की कट-ऑफ तारीख के अनुसार जो युवा 18 वर्ष के हो चुके हैं, उन्हें फॉर्म-6 भरकर खुद को रजिस्टर करना होगा. BLO या ऑनलाइन दोनों विकल्प खुले हैं.
पता बदलने वालों के लिए जरूरी शर्तें
नया पता प्रमाण जरूरी है. फॉर्म-8 के माध्यम से address correction/shift किया जा सकता है. दो अलग-अलग जगह नाम मिलना गैरकानूनी माना जाएगा.
नाम कटने से कैसे बचें?
BLO को सही जानकारी दें. दस्तावेज दिखाने से इनकार न करें. दोबारा विजिट पेंडिंग न छोड़ें. ऑनलाइन वोटर हेल्पलाइन ऐप/वेबसाइट पर अपनी स्थिति चेक करें.
SIR का मकसद
मतदाता सूची को अपडेट करना, दोहराए गए नाम हटाना, मृत वोटरों के नाम हटाना, नए योग्य वोटर्स को जोड़ना और पते बदले वाले वोटर्स को सही बूथ से जोड़ना.





