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‘कौन सी जादू की छड़ी चलाएं कि दिल्ली की हवा आज ही साफ हो जाए?’ प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

दिल्ली–एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि समस्या का कोई एक कारण नहीं है और समाधान भी बहुआयामी होना चाहिए. CJI सूर्यकांत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा - “कौन सी जादू की छड़ी चला दें कि आज ही दिल्ली की हवा साफ हो जाए?” अदालत ने कागज़ों पर समाधान और जमीन पर कार्रवाई न होने पर नाराज़गी जताई और कहा कि मामले की अब नियमित सुनवाई होगी ताकि स्थायी समाधान लागू हो सके.

‘कौन सी जादू की छड़ी चलाएं कि दिल्ली की हवा आज ही साफ हो जाए?’ प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
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( Image Source:  Sora AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 27 Nov 2025 12:12 PM IST

दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवा एक बार फिर लोगों की सांसों में जहर घोल रही है. हर साल की तरह इस साल भी प्रदूषण संकट अपने चरम पर है - लेकिन समाधान आज भी वहीं अटका हुआ है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह “हर निवासी से जुड़ा बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा” है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इसे अब भी केवल “औपचारिक” तरीके से निपटाया जा रहा है. अदालत ने साफ कहा कि प्रदूषण का संकट बहुआयामी है और इसका कोई एक कारण नहीं है, इसलिए समाधान भी बहुस्तरीय होना चाहिए.

मामले की सुनवाई के दौरान जब अमिकस क्यूरी ने इसे ‘हेल्थ इमर्जेंसी’ बताया, तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सुर्या कांत ने पलटकर सवाल पूछा - “कौन सी जादू की छड़ी हम चला दें? बताइए, आज ही साफ हवा के लिए हम कौन सा आदेश जारी कर सकते हैं?”

CJI ने कहा कि न्यायपालिका के हाथ में कोई जादुई समाधान नहीं है और केवल कोर्ट के आदेश से अगले दिन दिल्ली की हवा साफ नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि पहले सभी कारणों की वैज्ञानिक और तकनीकी पहचान होनी चाहिए, फिर विशेषज्ञों की मदद से बहुपक्षीय समाधान तय किए जाने चाहिए.

“कागज़ों में समाधान, ज़मीन पर नहीं”

जब अमिकस ने कहा कि समाधान तो कागज़ों पर हैं लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं हो रहा, तो अदालत ने चिंता जताते हुए कहा कि समस्या की सुनवाई केवल त्योहारों या मौसमी वजहों के दौरान सूचीबद्ध कर लेना कोई समाधान नहीं है. कोर्ट ने टिप्पणी की, “हर साल दिवाली के आसपास इस पर सुनवाई होती है, फिर मामला ठंडा पड़ जाता है. यह औपचारिक तरीका अब नहीं चलेगा. हम इसे नियमित रूप से सुनेंगे.” CJI ने यह भी कहा कि वे भी राजधानी के किसी आम नागरिक की तरह इस समस्या का सामना कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक दिन पहले जब वे लगभग एक घंटे टहलने के लिए बाहर गए, तो प्रदूषण के कारण उन्हें तबीयत खराब महसूस हुई.

खेल इवेंट पर भी चिंता, लेकिन स्थायी समाधान सबसे जरूरी

19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (CAQM) से कहा था कि दिल्ली–एनसीआर में स्कूलों द्वारा नवंबर–दिसंबर में आयोजित होने वाले खुले मैदानों के खेल आयोजनों को “सुरक्षित महीनों” तक टालने पर विचार किया जाए. हालांकि अदालत ने यह साफ कर दिया कि वह पूरे साल GRAP (Graded Response Action Plan) लागू करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि GRAP केवल आपातकालीन स्थिति में लागू होने वाली अस्थायी व्यवस्था है. अदालत ने कहा कि “जरूरत अस्थायी प्रतिबंधों की नहीं, स्थायी और टिकाऊ समाधानों की है.”

प्रदूषण की वास्तविक तस्वीर डरावनी

उपग्रह-आधारित विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली इस समय देश के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे प्रदूषित है. वार्षिक औसत PM2.5 स्तर - 101 µg/m³ दर्ज किया गया, जो भारतीय मानक से 2.5 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से 20 गुना अधिक है. यह चिंताजनक आंकड़ा बताता है कि प्रदूषण केवल मौसमी समस्या नहीं, बल्कि लगातार बिगड़ती संरचनात्मक विफलता है - जिसमें वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक धुआं, निर्माण धूल, पराली जलाना, कचरा जलाना, ऊर्जा उत्पादन प्रणाली, मौसमीय परिस्थितियां और शहर की भौगोलिक सीमाएं सभी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट सोमवार से इस मामले की नियमित निगरानी करेगा. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अब फोकस “कारणों की मिलीजुली पहचान, विशेषज्ञों द्वारा तैयार रोडमैप और स्थायी क्रियान्वयन” पर होगा. अदालत की टिप्पणी और आंकड़े दोनों इस बात का संकेत हैं कि दिल्ली की हवा अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि जन-स्वास्थ्य, प्रशासनिक जिम्मेदारी और नीति निर्माण की क्षमता का इम्तिहान बन चुकी है.

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