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कौन है नजाकत शाह, जिसने पहलगाम हमले में बचाई थी बीजेपी नेता की जान? छत्तीसगढ़ पहुंचने पर हुआ ग्रैंड वेलकम|VIDEO

इस साल अप्रैल में हुए पहलगाम हमले में इंसानियत दिखाते हुए नजाकत शाह ने बीजेपी के नेता और उनके परिवार की जान बचाई थी. अब जब वह इस हमले के बाद छत्तीसगढ़ पहुंचे, तो लोगों ने फूल और मालाओं से उनका भव्य स्वागत किया.

कौन है नजाकत शाह, जिसने पहलगाम हमले में बचाई थी बीजेपी नेता की जान? छत्तीसगढ़ पहुंचने पर हुआ ग्रैंड वेलकम|VIDEO
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( Image Source:  x-@AshrafFem )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 1 Nov 2025 12:25 PM IST

कश्मीर की वादियों में 22 अप्रैल 2025 के दिन पहलगाम में गोलियों की गूंज ने सभी को दहला दिया था. जब चारों ओर आतंक और डर का माहौल था, तब एक शख्स ने इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल पेश की, जिनका नाम नजाकत शाह है. वही, नजाकत जिसने छत्तीसगढ़ से आए बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता अरविंद अग्रवाल के परिवार को मौत के मुंह से बाहर निकाला.

पहलगाम हमले में गोलियों की बारिश के बीच अरविंद अग्रवाल के सामने नजाकत शाह एक फरिश्ता बनकर पहुंचे. उन्होंने न सिर्फ उन्हें संभाला, बल्कि उन्हें सुरक्षित जगह तक पहुंचाने का जोखिम भी उठाया. जहां अब वह इस हमले के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ गए, तो लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया. चलिए ऐसे में जानते हैं कौन हैं नजाकत शाह और उन्होंने कैसे जान बचाई थी.

कौन हैं नजाकत शाह?

नजाकत शाह एक लोकल गाइड हैं, जो कश्मीर में टूरिस्ट को घूमाने का काम करते हैं. इसके अलावा, वह व्यापार के लिए दूसरे शहर आते-जाते रहते हैं. आज जब दुनिया में धर्म और नफरत के नाम पर दीवारें खड़ी की जा रही हैं, नजाकत शाह जैसे लोग उस दीवार को गिराते हैं. उन्होंने यह साबित कर दिया कि इंसानियत किसी मजहब या इलाके की मोहताज नहीं होती. जहां जरूरत पड़ी, वहां उन्होंने मदद का हाथ बढ़ाया.

कैसे बचाई थी जान?

पहलगाम हमले के दौरान अरविंद अग्रवाल और उनके परिवार के बीच थोड़ी दूरी थी. अचानक गोलियां चलने लगीं. अरविंद ने अपनी बेटी को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन हालात इतने खराब थे कि कुछ समझ नहीं आ रहा था. तभी नजाकत शाह आगे बढ़ा. उसने सभी को जमीन पर लेटने के लिए कहा ताकि गोलियों से बचा जा सके.नजाकत ने अग्रवाल की चार साल की बेटी और उनके दोस्त के बेटे को गले से लगाकर अपनी ढाल बना ली. फिर वह उन्हें धीरे-धीरे सुरक्षित जगह तक लेकर गया. इसके बाद वह दोबारा खतरे के बीच लौटा और अग्रवाल की पत्नी को भी वहां से निकालकर लाया. उस वक्त हर कोई अपनी जान बचाने में लगा था, लेकिन नजाकत दूसरों की जान बचाने में जुटा था. यही असली बहादुरी है, यही असली इंसानियत है.

छत्तीसगढ़ में हुआ भव्य स्वागत

हमले के कई महीनों बाद जब नजाकत शाह पहली बार छत्तीसगढ़ पहुंचे, तो उनका स्वागत किसी हीरो की तरह हुआ. मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के चिरमिरी में लगभग 50 लोगों ने फूलों के गुलदस्तों और मालाओं से उन्हें सम्मान दिया. अरविंद अग्रवाल ने खुद गले लगाकर उसका शुक्रिया अदा किया. नजाकत ने परिवार के साथ खाना खाया और उन्होंने कहा कि 'छत्तीसगढ़ हमारे लिए घर जैसा है. हम हर साल यहां व्यापार के सिलसिले में आते हैं, लेकिन इस बार जो प्यार मिला, वो हमेशा याद रहेगा.'

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