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धर्मांतरण विवाद को लेकर भड़की हिंसा, गुस्साएं लोगों ने 10 घरों को बनाया निशाना; भारी संख्या में पुलिस बल तैनात

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में धर्मांतरण को लेकर उपजा तनाव अब आसपास के गांवों तक फैलता नजर आ रहा है. कांकेर के बड़ेतेवड़ा गांव से शुरू हुआ विवाद अब करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित पूसागांव तक पहुंच गया है, जहां कथित तौर पर धर्म परिवर्तन कर चुके परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं.

धर्मांतरण विवाद को लेकर भड़की हिंसा, गुस्साएं लोगों ने 10 घरों को बनाया निशाना; भारी संख्या में पुलिस बल तैनात
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( Image Source:  X/ @ToolsTech4All )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Published on: 29 Dec 2025 4:55 PM

Kanker Violence: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में धर्मांतरण को लेकर उपजा तनाव अब आसपास के गांवों तक फैलता नजर आ रहा है. कांकेर के बड़ेतेवड़ा गांव से शुरू हुआ विवाद अब करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित पूसागांव तक पहुंच गया है, जहां कथित तौर पर धर्म परिवर्तन कर चुके परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं. हालात को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है.

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सूत्रों के मुताबिक गांव में मूल धर्म में वापसी की मांग को लेकर बैठक बुलाई गई थी, लेकिन किसी नतीजे पर न पहुंच पाने के बाद माहौल अचानक बिगड़ गया. गुस्साए लोगों ने लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से करीब 10 घरों पर हमला कर दिया, जिससे इलाके में दहशत फैल गई.

पूसागांव में भड़की हिंसा

पूसागांव में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं के वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें घरों का सामान टूटा हुआ और संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा हुआ दिखाई दे रहा है. बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रशासन ने त्वरित कदम उठाते हुए गांव में पुलिस की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की हैं और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.

बड़ेतेवड़ा से शुरू हुआ विवाद

इस पूरे मामले की जड़ कांकेर जिले के बड़ेतेवड़ा गांव में 15 दिसंबर को हुई एक घटना से जुड़ी है. गांव के सरपंच राजमन सलाम के पिता चमरा राम सलाम का निधन हुआ था. सरपंच कुछ समय पहले ईसाई धर्म अपना चुके थे और उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार ईसाई परंपरा के अनुसार अपनी निजी जमीन पर दफनाकर किया.

क्यों हुआ विरोध?

गांव वालों का कहना था कि यह अंतिम संस्कार उनकी जनजातीय परंपराओं के खिलाफ है और इसे गांव की परंपराओं के अनुसार किया जाना चाहिए था. इसी बात को लेकर असंतोष फैल गया और पंचायत तथा स्थानीय संगठनों ने इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ते हुए विरोध शुरू कर दिया. मामला धीरे-धीरे बहस से आगे बढ़कर हिंसा में तब्दील हो गया. कुछ ही घंटों में बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और हालात बेकाबू हो गए. पत्थरबाजी, पुलिस पर हमले और एक प्रार्थना स्थल में आग लगाने की घटनाएं भी सामने आईं. कई घरों में तोड़फोड़ की गई, जिससे प्रशासन को स्थिति संभालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

प्रशासन सतर्क, शांति बहाली की कोशिश

फिलहाल पुलिस और जिला प्रशासन हालात को काबू में रखने की कोशिश कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और गांवों में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं.

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