Year Ender Judge and Judiciary: साल 2025 में ‘जूतम-पैजार’ से लेकर “ब्लैक मनी” कांड तक की लपटों में झुलसती भारतीय न्यायपालिका...!
साल 2025 भारतीय न्यायपालिका के लिए बेहद उथल-पुथल भरा रहा. एक तरफ ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से अहम फैसले आए, तो दूसरी ओर जूताकांड, कथित ब्लैक मनी बरामदगी और जजों पर लगे आरोपों ने व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े किए. Supreme Court of India से लेकर हाईकोर्ट तक, न्यायिक फैसलों ने देशभर में बहस छेड़ी. आवारा कुत्तों से लेकर बुलडोजर एक्शन, 498A, अरावली रेंज और उन्नाव रेप केस जैसे मामलों ने सुर्खियां बटोरीं. वहीं जस्टिस यशवंत वर्मा प्रकरण और CJI पर जूता फेंकने की घटना ने 2025 को न्यायपालिका के इतिहास में एक विवादित वर्ष बना दिया.
साल 2025 विदाई को ओर बढ़ रहा है. साल 2026 खुद का स्वागत कराने के लिए इस इंसानी दुनिया की देहरी पर दस्तक देने के लिए बे-सब्र है. ऐसे में आइए जानते हैं कि जाते हुए साल 2025 में भारतीय न्यायायिक व्यवस्था या भारतीय न्यायपालिका ने इन 12 महीनों में क्या कुछ खोया क्या पाया?
फिर चाहे वह आजाद और गुलाम भारत के इतिहास में पहली बार इसी वर्ष में देश के मुख्य न्यायाधीश के ऊपर सुप्रीम कोर्ट में वकील द्वारा जूता फेंकने की शर्मनाक घटना हो. या फिर इन्हीं वकील की दिल्ली की ही जिला अदालत में चप्पलों से सार्वजनिक रूप से पिटाई किए जाने की दुस्साहसिक घटना. अथवा दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के राजधानी में मौजूद सरकारी बंगले से जली-अधजली और साबुत संदिग्ध मोटी रकम की संदिग्ध हालातों में बरामदगी के बाद हुए तमाम तमाशे.
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स्ट्रीट-डॉग्स का मुकदमा
सबसे पहले जिक्र करते हैं साल 2025 के उन मुकदमों या फैसलों का जो वर्ष भर देश की न्यायपालिका की देहरी से निकल कर आमजन के बीच पहुंचने तक सुर्खियों में बने रहे. ऐसे चर्चित मुकदमों प्रमुख रुप से अग्रणी रहा सड़क पर लावारिस हालत में इधर उधर भटकते स्ट्रीट-डॉग्स का मुकदमा. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही फैसला दिया कि ऐसे लावारिस कुत्तों के लिए सरकार किसी एक जगह पर एकत्रित करके रखने का इंतजाम निर्धारित समयावधि में करे. वैसे ही भारत में मौजूद सड़क पर मारे मारे फिरने वाले पशुओं (डॉग्स) की रक्षार्थ काम करने वाले लाखों लोग और गैर सरकारी संगठन सड़कों पर उतर आए.
सड़कों पर उतरने वाले इन लोगों की भीड़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की कद्दावर महिला नेता मेनका गांधी भी शामिल रहीं. मेनका गांधी ने तो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर न केवल सवाल उठाए. अपितु उन्होंने इस फैसले के एकतरफा करार देते हुए सीधे सीधे कुत्तों के ऊपर अत्याचार करार दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आवारा कुत्तों के अहित में बताने वाले लोगों ने एड़ी से चोटी तक का जोर धरना-प्रर्दशन के जरिए लगा लिया. न सरकार टस से मस हुई और न ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस बाबत सुनाए गए फैसले में कोई परिवर्तन ही किया. हालांकि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न केवल भारत में अपितु विदेशी सर-जमीं पर भी सुर्खियां मिलीं. यह सुर्खियां नकारात्मक और सकारात्मक दोनो ही रुप में थीं. कुछ ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इस मामले में सुनाए गए फैसले की सराहना की तो लाखों-करोड़ों पशु-प्रेमियों ने इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार को जमकर कोसा.
दीप प्रज्वलन केस
साल 2025 में दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित तिरुप्परनकुंद्रम दीप प्रज्वलन का मामला भी साल के अंत में छाया रहा. पहाड़ी पर मौजूद मंदिर में दीप प्रज्वलन पर मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ (जस्टिस जी जयचंद्रन) ने अहम फैसला दिया था. इस एक सदस्यीय पीठ के द्वारा 1 दिसंबर 2025 को दिए गए फैसले के खिलाफ तमिलनाडु की डीएमके सरकार सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची. इतना ही नहीं यह फैसला सुनाने वाले जज के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग को लेकर डीएमके और उसके सहयोगी दल ससंद जा पहुंचे. ताकि किसी भी तरह से इस मंदिर में कार्तिगै दीपम जलाने की हाईकोर्ट द्वारा दी गई अनुमति को रद्द किया जा सके. मदुरै हाईकोर्ट की एक सदस्यीय पीठ के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में तब बवाल हो गया जब एक वकील ने अदालत के मना करने के बाद भी लगातार तेज तेज आवाज में अपनी बात रखना जारी रखा. इस पर सुनवाई कर रही दो सदस्यीय पीठ (जस्टिस जयचंद्रन और जस्टिस केके रामकृष्णन) ने कड़ी नाराजगी जताई.
498ए का दुरुपयोग रोकने वाले फैसले
जहां तक बात देश के सर्वोच्च न्यायालय में साल 2025 में सुने गए मुकदमों या दिए गए चर्चित फैसलों की है, तो इनकी फेहरिस्त 100 से भी ज्यादा रही. वैवाहिक विवादों में आईपीसी की धारा 498ए का दुरुपयोग रोकने के लिए परिवार कल्याण समिति की स्थापना के बारे में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपायों का सुप्रीम कोर्ट ने खुला समर्थन किया. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इस धारा के मुकदमों में निर्धारित किए गए दिशा-निर्देश मजबूती के साथ प्रभावी होंगे और इन्हें गंभीरता से लागू कराने के लिए प्राधिकारियों द्वारा उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए.
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस नियम को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल ही खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि, अन्य राज्यों के रिटायर जजों को दिल्ली में सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन के लिए आवेदन करने से रोकने का मुद्दा उठाया गया था. विजय प्रताप सिंह द्वारा दाखिल इस अहम याचिका पर मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की दो सदस्यीय खंडपीठ सुनवाई कर रही थी.
मेधा पाटकर केस
इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने (11 अगस्त 2025) नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की दोष-सिद्धि में भी हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था. मेधा पाटकर के खिलाफ यह मुकदमा दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से साल 2001 में दर्ज कराया गया था. हांलांकि जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की डबल बैंच ने मेधा पाटकर पर लगाये गये एक लाख के अर्थ दंड को रद्द कर दिया.
अगस्त महीने में ही सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यी बैंच (जस्टिस संदीप मेहता, जस्टिस एन वी अंजारिया और जस्टिस विक्रम नाथ) ने उस निर्देश पर भी रोक लगा दी थी जिसमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से उठाये-पकड़े गए आवारा कुत्तों को न छोड़े जाने का आदेश जारी किया गया था.
आंतरिक शिकायत समिति का गठन जरूर नहीं
जिक्र जब साल 2025 में आये या सुनाए गए कानूनी फैसलों-आदेशों का हो तो यहां केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम में दाखिल एक याचिका का भी यहां चर्चा करना जरूरी है. केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि POSH Act 2013 के अनुसार यौन उत्पीड़न की शिकायतों के समाधान को राजनीतिक दलों के लिए “आंतरिक शिकायत समिति” का गठन जरूर नहीं है. भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस ए एस चंदुरकर की तीन सदस्यीय पीठ ने केरल हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से ही इनकार कर दिया.
बुलडोजर एक्शन पर आपत्ति
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल “बुलडोजर एक्शन” के खुलेआम दुरुपयोग पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे ‘असंवैधानिक’ ही करार दिया. वक्फ संशोधन कानून पर स्थगनादेश से इनकार, सिविल जजों की नियुक्ति में समय-सीमा तय करना आदि-आदि मामले सुप्रीम कोर्ट में छाए रहे.
साल 2025 के शुरूआती महीने (फरवरी) की 11 तारीख को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि किसी भी अस्पताल के आईसीयू में दाखिल मुलजिम या मुजरिम को हथकड़ी, रस्सी या जंजीर से बांधकर रखना अनुचित है. इलाज के वक्त इंसान और इंसानियत और इंसान की गरिमा उसके मुलजिम या मुजरिम होने से कहीं ज्यादा ऊंची है.-
हर भारतीय के पास घर होना मौलिक अधिकार
12 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर भारतीय के पास घर होना उसका मौलिक अधिकार है. इसके लिए सरकार को सस्ते घरों की योजनाओं में बढ़ोत्तरी करके उसमें निवेश बढ़ाना होगा. इसके लिए “रेरा” को भी सरलता देनी चाहिए. 9 अक्टूबर 2025 को कोर्ट ने वकालत और जज की नौकरी मिलाकर 7 साल के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि, इसके बिना भारत में किसी को जिला जज नहीं बनाया जाना चाहिए. साथ ही देश में जिला जज बनने के लिए कम से कम उम्र भी 35 साल होना अनिवार्य है.
अरावली रेंज के फैसले पर आलोचना
साल 2025 ज्यों ज्यों अपनी विदाई की ओर बढ़ता रहा त्यों-त्यों देश का सर्वोच्च न्यायालय भी अपने फैसलों के लिए चर्चित होता रहा. 20 नवंबर 2025 को जब सुप्रीम कोर्ट ने अरावली रेंज को लेकर फैसला दिया तो देश भर में उसकी आलोचना होने लगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अरावली रेंज में सिर्फ वही जमीन या पहाड़ आएंगे जो धरती से 100 मीटर ऊंचे हैं. इसका विरोध इसलिए शुरू हो गया क्योंकि इस फैसले से 90 फीसदी अरावली का हिस्सा सुरक्षा घेरे से बाहर हो रहा है. साथ ही इससे यहां पहाड़ों का खदान बढ़ने के चलते पर्यावरण का खतरा बढ़ रहा है वह अलग.
यह तो बात रही साल 2025 में देश की सुप्रीम कोर्ट में सुने गए अहम फैसलों की. साल 2025 में ही चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत ने एक और भी शानदार रिकॉर्ड कायम किया. यह रिकॉर्ड था 2.59 करोड़ विवादों का सफलतापूर्वक समाधान किया जाना. अब जिक्र करते हैं देश की अदालतों में हुए उन कांडों का जिन्होंने देश के वकील, जज और जुडिशरी को “तमाशा” बना डाला.
जज के घर जले हुए नोटों के बंडल
इस शर्मनाक तमाशे में साल में देश की न्यायायिक व्यवस्था-न्याय पालिका को सबसे ज्यादा कलंकित करने वाली घटना रही 14 मार्च 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले से 500-500 के जले हुए नोटों के बंडलों की संदिग्ध बरामदगी होना. यह नोट दिल्ली दमकल सेवा की टीम ने तब जब्त किए जब जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में संदिग्ध हालातों में लगी आग बुझाने के लिए दिल्ली दमकल की टीमें पहुंचीं. और उन्होंने बोरियों में बंद पड़े अधजले नोटों की बहुतायत में गड्डियां बरामद कीं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह रकम करोड़ों में थी.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उस मामले में एक जांच समिति गठित कर दी. 22 मार्च 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के ऊपर लगे आरोपों की आंतरिक जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी. इस कमेटी ने 4 मई 2025 को अपनी रिपोर्ट भी मुख्य न्यायाधीश के हवाले कर दी. रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा को सीधे तौर पर दोषी ठहराया गया था. इसी रिपोर्ट के आधार पर “इन हाउस प्रोसीजर” के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने जैसे ही जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की सिफारिश की, वैसे ही देश में भूचाल आ गया. इस कांड ने जस्टिस यशवंत वर्मा के ऊपर जी-भर के खुलकर उन्हें भ्रष्ट जज कहकर अपनी भड़ास निकाली. इस सबका नतीजा यह रहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायायिक सेवा से निकाल फेंकने के लिए “महाभियोग” का प्रस्ताव तक संसद में पहुंचा दिया गया.
साल 2025 में भारतीय न्यायपालिका के ऐसे और इतने बड़े कलंकित मामले में अब तक जस्टिस यशवंत वर्मा का तो कुछ नहीं बिगड़ा. मगर इस उठा-पटक में अचानक एक रात बेहद रहस्यमयी हालातों में भारत को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जरूर इस्तीफा हो गया. आज तक यही समझा जा रहा है कि उप-राष्ट्रपति, जस्टिस यशवंत वर्मा कांड की बे-वजह बलि चढ़ गए. जिन जस्टिस यशवंत वर्मा को निपटना था उनका अब तक बाल-बांका नहीं हुआ.
कोर्ट में जूतम पैजार
6 अक्टूबर 2025 का दिन भारत की न्यायपालिका के इतिहास में आजाद और गुलाम भारत में सबसे बड़ा काला धब्बा बना. जब वकील राकेश किशोर ने इसी दिन सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई की ओर जूता उछाल दिया. इस शर्मनाक घटना को अंजाम देने वाले वकील राकेश किशोर खुद को सनातनी और जस्टिस गवई को सनातन विरोधी जता-बता रहे थे. हालांकि इस शर्मनाक कांड के बदले में वकील राकेश किशोर के ऊपर 9 दिसंबर 2025 को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में चप्पलों से हमला करके, आगे पीछे का हिसाब उनसे पूरा कर लिया गया. जस्टिस यशवंत वर्मा नोट बरामदगी कांड और सीजेआई पर जूता कांड व राकेश किशोर वकील के ऊपर चप्पलों से हमले की घटनाओं से कहा जा सकता है कि, साल 2025 देश की न्यायपालिका के लिए भ्रष्टाचार और जूतम-पैजार भरा भी रहा.
जिक्र जब साल 2025 में देश की न्यायपालिका के कार्यकलापों अच्छाई और बुराइयों का हो रहा हो तो चलते चलते, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा साल के अंतिम दिनों में उन्नाव के चर्चित गैंगरेप और मर्डर कांड के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को रेप केस में सजा के निलंबन के फैसले को भी याद किया जाएगा. जिसे लेकर सीबीआई की भी खूब थुक्का-फजीहत हो रही है. गैंगरेप पीड़िता के पक्ष और उसके विपक्ष में (सजायाफ्ता मुजरिम कुलदीप सिंह सेंगर के पक्ष में) महिलाए दिल्ली की सड़कों पर उतर कर आपस में सिर-फुटव्वल कर रही हैं. जबकि रेप कांड में कुलदीप सिंह सेंगर की निलंबित सजा को तुड़वाने के लिए सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के धक्के खाने का “ड्रामा” करती घूम रही है.





