Year Ender 2025: सोना-चांदी की चमक या खतरे की घंटी? 2025 की भारतीय अर्थव्यवस्था से 2026 के बड़े संकेत
साल 2025 भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सिर्फ आंकड़ों का साल नहीं रहा, बल्कि यह भरोसे, डर और निवेश के बदलते मिज़ाज की कहानी भी बन गया. जिस रफ्तार से देश में सोने और चांदी की कीमतों ने छलांग लगाई, उसने आम निवेशक से लेकर बड़े आर्थिक विशेषज्ञों तक को सोचने पर मजबूर कर दिया. सवाल सिर्फ इतना नहीं है कि दाम क्यों बढ़े, बल्कि यह भी है कि इस तेज़ी ने भारतीय इकोनॉमी को किस दिशा में मोड़ दिया. सोना और चांदी हमेशा से भारतीय परिवारों की आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक रहे हैं. लेकिन 2025 में इनकी कीमतों में आई बेतहाशा तेजी ने यह बहस छेड़ दी कि क्या 2026 में यही चमक बैंक एफडी और शेयर बाजार जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों की चमक फीकी कर देगी. क्या लोग जोखिम भरे निवेश से निकलकर फिर से पीली धातु की शरण में जाएंगे? इसी बीच वैश्विक परिदृश्य भी कम दिलचस्प नहीं रहा. अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था जिस तरह मजबूती से आगे बढ़ती रही, उसने दुनिया को चौंकाया. अब सवाल यह है कि 2026 में वही अमेरिका वैश्विक आर्थिक मंच पर किस हालत में नजर आएगा, और इसका असर भारत पर कितना पड़ेगा. इन तमाम जटिल सवालों पर स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (इन्वेस्टिगेशन) संजीव चौहान ने देश के जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. शरद कोहली से एक विशेष तुलनात्मक बातचीत की, जिसमें 2025 की हकीकत और 2026 की संभावनाओं को गहराई से परखा गया.





