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कॉलेज में अब प्रोफेसर करेंगे आवारा कुत्तों की मॉनिटरिंग, घटना होने पर जिम्मेदार होंगे टीचर; उच्च शिक्षा विभाग का सख्त निर्देश

स्कूल शिक्षकों के बाद अब कॉलेज और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों की जिम्मेदारियां भी बढ़ा दी गई हैं. कक्षा में पढ़ाने के साथ-साथ अब उन्हें कैंपस में घूम रहे आवारा कुत्तों और मवेशियों की निगरानी भी करनी होगी. यदि कैंपस में आवारा जानवर नजर आते हैं या उनसे जुड़ी कोई घटना होती है, तो इसके लिए सीधे तौर पर संस्थान के प्राचार्य और नामित नोडल अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे.

कॉलेज में अब प्रोफेसर करेंगे आवारा कुत्तों की मॉनिटरिंग, घटना होने पर जिम्मेदार होंगे टीचर; उच्च शिक्षा विभाग का सख्त निर्देश
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( Image Source:  AI: Sora )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Published on: 16 Dec 2025 2:08 PM

स्कूल शिक्षकों के बाद अब कॉलेज और विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों की जिम्मेदारियां भी बढ़ा दी गई हैं. कक्षा में पढ़ाने के साथ-साथ अब उन्हें कैंपस में घूम रहे आवारा कुत्तों और मवेशियों की निगरानी भी करनी होगी. उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सख्त निर्देश जारी करते हुए प्राचार्यों और प्रोफेसरों को जवाबदेह ठहराया है.

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नए आदेश के तहत हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना अनिवार्य कर दिया गया है. यदि कैंपस में आवारा जानवर नजर आते हैं या उनसे जुड़ी कोई घटना होती है, तो इसके लिए सीधे तौर पर संस्थान के प्राचार्य और नामित नोडल अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे.

नगर निगम भेज रहा तय फॉर्मेट

आदेश के पालन को सुनिश्चित कराने के लिए नगर निगम और नगरपालिकाएं अपने-अपने क्षेत्र के कॉलेजों के प्राचार्यों को एक निर्धारित फॉर्मेट भेज रही हैं. इस फॉर्मेट में कॉलेज प्रशासन को यह जानकारी देनी होगी कि आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए किसे नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है और अब तक क्या कदम उठाए गए हैं.

प्राचार्य और नोडल अधिकारी होंगे जिम्मेदार

नई गाइडलाइन के अनुसार, यदि कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैंपस में आवारा कुत्ते या मवेशी पाए जाते हैं, या उनसे संबंधित कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए संस्थान के प्राचार्य और नियुक्त नोडल अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. इन्हें नगर निगम से समन्वय बनाकर जानवरों को हटवाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है.

राज्य स्तर पर प्रभारी नियुक्त

विभाग की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य स्तर पर डॉ. टी. जलजा नायर को इस पूरी व्यवस्था का प्रभारी बनाया गया है. सभी कॉलेजों के नोडल अधिकारियों को अपने नाम और मोबाइल नंबर वाला डिस्प्ले बोर्ड कैंपस में लगाना होगा, जिसका फोटो प्रमाण के तौर पर उच्च शिक्षा संचालनालय को व्हाट्सएप करना अनिवार्य होगा.

खुले में खाने की सामग्री फेंकने पर रोक

अक्सर देखा गया है कि कैंटीन या कॉलेज परिसर में खुले में फेंकी गई खाद्य सामग्री आवारा जानवरों को आकर्षित करती है. नई गाइडलाइन में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके साथ ही कैंपस की बाउंड्री वॉल को दुरुस्त रखने के निर्देश भी दिए गए हैं.

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