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राजनीति या रिश्तों की जंग? लालू के घर में चल क्‍या रहा है, क्या ‘जयचंद’ की गूंज से फिर टूटेगा लालू परिवार?

Lalu Family Dispute: लालू यादव के परिवार और आरजेडी नेताओं की बीच सियासी झगड़े एक बार सुर्खियों में है. पार्टी के अंदरूनी विवाद और ‘जयचंद’ जैसे आरोपों ने इस परिवार में तनाव बढ़ा दिया है. आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि परिवार अपनी राजनीति को बचा पाता है या फिर ये दरारें उसे विभाजित कर देंगी.

राजनीति या रिश्तों की जंग? लालू के घर में चल क्‍या रहा है, क्या ‘जयचंद’ की गूंज से फिर टूटेगा लालू परिवार?
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( Image Source:  perplexity )

Lalu Yadav Family Politics: बिहार की राजनीति के चर्चित परिवार लालू यादव के घर में इस समय सियासी और पारिवारिक दोनों ही तरह की उथल-पुथल मची हुई है. पार्टी के अंदरूनी किलेबंदी और ‘जयचंद’ जैसे आरोप ने परिवार के नेताओं के बीच दरार बढ़ा दी हैं. अभी तक पार्टी के नेता दबी आवाज में ये सब कह रहे थे, लेकिन अब लालू यादव के बड़े बेटे और दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य खुद इसे तूल दे रही हैं. रोहिणी ने अपने पोस्ट में सीधे तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव का नाम तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने 'जयचंद' शब्द का इस्तेमाल किया है. ऐसा माना जा रहा है कि आरजेडी प्रमुख लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य द्वारा उन्हें और तेजस्वी यादव को एक्स पर अनफॉलो करने के बाद मतभेद सामने आए हैं.

लालू यादव के परिवार और पार्टी में मतभेद लोकसभा चुनाव के समय से ही जारी है. तो क्या लालू यादव का परिवार बिहार चुनाव से पहले अपने राजनीतिक इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है? यह स्थिति पार्टी के भीतर कुछ नेताओं पर अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को धोखा देने का आरोप लगने की वजह से उत्पन्न हुई है. इसे मीडिया और राजनीतिक विश्लेषक ‘जयचंद’ की भूमिका कहकर चर्चा में बनाए हुए हैं.

विवाद को थामने की कोशिश

यह विवाद न केवल पार्टी के अंदरूनी संतुलन को प्रभावित कर सकता है बल्कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में लालू परिवार की सियासी ताकत पर भी असर डाल सकता है.परिवार के वरिष्ठ सदस्य और पार्टी के अनुभवी नेता मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल विवाद शांत नहीं हो पाया है.

पारिवारिक विवाद का किस पर होगा असर?

दरअसल, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को अपनी सियासी विरासत सौंप राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद खुद को सारी चिंताओं से लगभग मुक्त कर चुके थे. उनकी इच्छा है कि तेजस्वी किसी तरह से बिहार के मुख्यमंत्री बन जाएं. लेकिन तेज प्रताप को पार्टी से बाहर करने और फिर अब रोहिणी आचार्य के सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट से लालू परिवार के अंदर का मतभेद खुलकर सामने आ गया है. लालू परिवार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. अंदर-अंदर कुछ खिचड़ी पक रही है, जिसका असर पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ सकता है.

आगे की सीट पर संजय यादव कैसे बैठा?

रोहिणी आचार्य ने बिहार अधिकार यात्रा में संजय यादव की मौजूदगी की आलोचना की है. इसको लेकर फिर से एक पोस्ट की. उन्होंने कहा, 'यात्रा बस की आगे की सीट पर बैठे राज्यसभा सांसद की तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया था कि यह सीट लालू प्रसाद या तेजस्वी में से किसी एक के लिए है और उनकी अनुपस्थिति में खाली रहनी चाहिए.' रोहिणी के इस रुख के बाद से लालू परिवार में हंगामा मच गया. “संजय यादव को अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाने के लिए उन्हें परिवार की आलोचना का सामना करना पड़ा. उन पर डैमेज कंट्रोल करने का दबाव था.”

आलोक कुमार नाम के एक व्यक्ति ने अपने पोस्ट में लिखा है, "आगे की सीट हमेशा शीर्ष नेतृत्व के लिए निर्धारित होती है. नेता की अनुपस्थिति में भी किसी को इस पर नहीं बैठना चाहिए. जब कोई शीर्ष नेता से बड़ा होने का स्तर रखता है, तो यह अलग बात है. हम, बिहार के लोगों के साथ, लालू प्रसाद या तेजस्वी प्रसाद यादव को आगे की सीट पर बैठे देखने के आदी हैं. हम किसी और को आगे की सीट पर बैठे बर्दाश्त नहीं कर सकते. हालांकि, हम उन चापलूसों (संजय यादव) पर टिप्पणी नहीं कर सकते जो किसी व्यक्ति में एक अद्वितीय रणनीतिकार, सलाहकार और रक्षक देखते हैं.”

इसके बाद पार्टी ने यात्रा के दौरान दलित नेताओं शिवचंद्र राम और रेखा पासवान को आगे की सीट पर बिठाकर संजय यादव को लेकर परिवार में मतभेदों को कम करने की कोशिश की. इससे रोहिणी को एक सुरक्षा कवच मिल गया और उन्होंने पिछले गुरुवार को एक्स पर पोस्ट किया, "लालू प्रसाद के सामाजिक-आर्थिक न्याय अभियान का मुख्य उद्देश्य वंचितों और सामाजिक सीढ़ी के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को आगे लाना रहा है. इन तस्वीरों में इन वर्गों के लोगों को आगे की सीट पर बैठे देखना उत्साहजनक है."

कौन करना चाहता हैं RJD को 'हाईजैक'?

रोहिणी ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट लिखकर उन लोगों पर निशाना साधा जो "पार्टी को हाईजैक करने के गुप्त इरादा" रखते हैं. उन्होंने आगे कहा, "मेरे बारे में फैलाई जा रही सभी अफवाहें निराधार हैं और मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे एक दुर्भावनापूर्ण अभियान का हिस्सा हैं, जिसे ट्रोल्स, उपद्रवी लोगों, पेड मीडिया और पार्टी को हाईजैक करने के गुप्त इरादे रखने वालों द्वारा हवा दी जा रही है. मेरी न कभी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही है, न है और न ही होगी. मैं न तो खुद विधानसभा का उम्मीदवार बनने की ख्वाहिश रखती हूं और न ही किसी और को उम्मीदवार बनाना चाहती हूं. मुझे राज्यसभा सदस्य बनने की कोई इच्छा नहीं है, न ही परिवार के किसी सदस्य से मेरी कोई दुश्मनी है. मुझे पार्टी या भविष्य की किसी सरकार में किसी पद का लालच नहीं है. मेरे लिए, मेरा स्वाभिमान, मेरे माता-पिता के प्रति सम्मान और समर्पण और मेरे परिवार की प्रतिष्ठा सर्वोपरि है."

रोहिणी ऐसे आई थी सुर्खियों में

रोहिणी ने अपनी बड़ी बहन मीसा भारती की तरह मेडिकल की डिग्री हासिल की है और 2022 में अपने पिता को किडनी दान करके सुर्खियां बटोरीं. यह सर्जरी सिंगापुर के एक अस्पताल में हुई थी. पटना लौटने के बाद, लालू प्रसाद ने अपनी बेटी की खूब तारीफ की. रोहिणी ने पिछले साल सारण से लोकसभा चुनाव लड़ा था और मौजूदा भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से मामूली अंतर से हार गई थीं.

रोहिणी के समर्थन में तेजप्रताप

चर्चा ये है कि रोहिणी आचार्य आगामी विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा सकती हैं, लेकिन तेजस्वी यादव ऐसा नहीं चाहते. इस बीच तेजप्रताप यादव ने अपनी बहन के समर्थन में खुलकर बयान दिया. उन्होंने कहा, ‘‘रोहिणी मुझसे बहुत बड़ी हैं. बचपन में मैंने उनकी गोद में खेला है, जो बलिदान उन्होंने दिया, वह किसी भी बेटी, बहन और मां के लिए कठिन है. उन्होंने जो पीड़ा व्यक्त की है, वह जायज है, जो भी उनका अपमान करेगा, उसे सुदर्शन चक्र का सामना करना होगा.’’

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