तेजस्वी को सियासी दुश्मनों से नहीं अपनों से खतरा ज्यादा, RJD का प्लान B तैयार, साजिश करने वाले नहीं होंगे कामयाब
बिहार चुनाव के लिए इस बार राष्ट्रीय जनता दल की रणनीति अपने कैडर वोट बैंक पर आंच न आने देने की है. ऐसा इसलिए कि पांच साल पहले पार्टी के प्रत्याशी कुछ सीटों पर मात्र कुछ वोटों से हार गए थे. इस लिहाज से तेजस्वी यादव का असली इम्तिहान यही है कि वो विरोधियों से ज्यादा अपनों को कैसे साधते हैं. इसके लिए RJD के B प्लान को विरोधियों के किसी भी साजिश को रोकने की गारंटी माना जा रहा है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनता दल अभी से पूरी ताकत झोंकी हुई है. पार्टी नेताओं की कोशिश अपने कैडर वोट बैंक पर आंच न आने देने की है. तेजस्वी और लालू यादव को अपनों से भितरघात की आशंका ज्यादा है. यही वजह है कि इस बार पार्टी के दोनों शीर्ष नेता फूंक फूंक कर सियासी चाल चल रहे हैं. दोनों का फोकस उन नेताओं को साधने की है जो कम संख्या में वोट हासिल कर आरजेडी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस लिहाज से दोनों के निशाने पर तेज प्रताप यादव, असदुद्दीन ओवैसी, मुकेश सहनी, पप्पू यादव आदि नेता पार्टी के रडार पर है।.
दरअसल, पांच साल पहले तेजस्वी सरकार बनाने से चूक गए थे. कुछ सीटों पर पार्टी के 10 प्रत्याशी बहुत कम मार्जिन से हार गए थे. वैसे भी बिहार की सियासत में तेजस्वी यादव की चुनौतियां सिर्फ विरोधियों से नहीं बल्कि अपने ही घर और पार्टी के अंदर से भी बढ़ रही हैं. कई बार पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके नेतृत्व पर सवाल उठाते हैं. वहीं दूसरी तरफ परिवार के भीतर भी सत्ता समीकरण को लेकर तनाव बना रहता है. फिर तेजस्वी यादव RJD का चेहरा हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि RJD के पास B प्लान क्या है?
ये है RJD का प्लान 'B'
आरजेडी सूत्रों की मानें तो RJD ने इस बार किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए B प्लान तैयार किया है. इस रणनीति के तहत उन्होंने पार्टी में नई पीढ़ी को अहम जिम्मेदारियां देने की कवायद तेज कर दी है. इसके अलावा, पार्टी की संगठन स्तर पर मजबूत पकड़ बनाने की रणनीति के तहत किसी भी बगावत को रोकने के लिए 'सिंकिंग ग्रुप' पार्टी ने तैयार की है.
कैडर वोट बैंक अहम
आरजेडी की रणनीति के मुताबिक विधानसभा चुनाव में पिछली बार से अधिक कांटे की लड़ाई इस बार होने की संभावना है. क्योंकि उसके कोर वोटर (यादव और मुस्लिम) पर तमाम लोगों की नजरें हैं. इस बाद एक फैक्टर टीम तेज प्रताप और उसके समर्थित प्रत्याशी भी होंगे. अगर टीम तेज प्रताप कुछ सीटों पर कुछ हजार वोट भी हासिल कर लेती हैं, तो इसका सीधा नुकसान आरजेडी को होगा.
ओवैसी पर भी रहेगी तिरछी नजर
आरजेडी के मूल कैडर को प्रभावित करने वाला दूसरा फैक्टर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) भी है. पिछली बार उसने 25 सीटों पर आरजेडी को नुकसान पहुंचाने का काम किया था. फिर महागठबंधन में शामिल करने पर आरजेडी की रजामंदी न मिलने से एआईएमआईएम बौखलाई हुई है. वह सीमांचल में कुछ नये प्रयोग कर रही है. आरजेडी नेताओं ने उसे अप्रभावी करने मुस्लिमों के अंदर से आवाज उठाने के लिए कह दिया है. पार्टी के ‘थिंक टैंक' सक्रिय हैं.
विरोधियों के लिए लालू फैक्टर बड़ी दीवार
आरजेडी प्रमुख लालू यादव फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से दूर हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी ही पार्टी को जोड़े रखती है. जानकार कहते हैं कि लालू फैक्टर ही वह सबसे बड़ी दीवार है जो किसी भी अंदरूनी खेल को नाकाम कर देता है.
किसे कितना मिला था वोट
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को एक करोड़ 56 लाख 12 हजार मत मिले थे. महागठबंधन को एक करोड़ 56 लाख वोट मिले थे. इस तरह दोनों गठबंधनों के बीच केवल करीब 12 हजार मतों का अंतर रह गया था.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020: कहां-कहां से बहुत कम वोटों के अंतर से हारी थी आरजेडी और गठबंधन के सहयोगी
1. हिलसा विधानसभा: RJD के शक्ति सिंह यादव को सिर्फ 12 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. JDU के कृष्ण मुरारी शरण (प्रेम मुखिया) ने 61,848 वोट प्राप्त किए, जबकि शक्ति सिंह यादव को 61,836 वोट मिले थे.
2. बरबीघा विधानसभा: इस सीट पर जेडीयू के सुदर्शन कुमार ने 113 वोटों से जीत हासिल की थी. सुदर्शन कुमार को 39,878 वोट हासिल हुए थे जबकि उनके सामने लड़े कांग्रेस के गजानंद शाही को 39,765 वोट प्राप्त हुए. इस सीट पर एलजेपी प्रत्याशी मुधकर कुमार को 18,930 वोट मिले थे.
3. मटिहानी विधानसभा: मटिहानी में भी 2020 में एलजेपी, जेडीयू और सीपीआईएम के बीच करीबी मुकाबला रहा था. इस सीट पर एलजेपी के राज कुमार सिंह ने जीत हासिल की. उन्हें 61,364 वोट मिले. जबकि दूसरे नंबर पर रहे जेडीयू के नरेंद्र कुमार सिंह को 61,031 और तीसरे स्थान पर रहे सीपीआईएम के राजेंद्र प्रसाद को 60,599 वोट मिले.
4. भोरे विधानसभा: इस सीट पर जेडीयू के सुनील कुमार ने 74,067 वोट हासिल कर 462 वोटों से जीत हासिल की. यहां दूसरे नंबर पर सीपीआई (एमएलएल) के जितेंद्र पासवान रहे. उन्हें 73,605 वोट मिले. इस सीट पर 8,010 मतदाताओं ने नोटा को चुना. जबकि एलजेपी की पुष्पा देवी को 4,520 वोट मिले.
5. बछवाड़ा विधानसभा: बछवाड़ा विधानसभा सीट पर बीजेपी के सुरेंद्र मेहता ने 54,738 वोट हासिल कर सीपीआई के अबधेश कुमार राय को 484 वोटों से हराया था. सीपीआई प्रत्याशी को यहां 54,254 वोट मिले जबकि तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी शिव प्रकाश गरीब दास को 39,878 वोट मिले. यह हार और जीत के अंतर से बहुत ज्यादा है. इसके अलावा भी कई प्रत्याशी कम वोटों से हारे थे.