अमेरिका ने कहा 'बेस्ट ऑफर'… तो साइन किस बात का इंतज़ार? पीयूष गोयल का तराशी हुई चोट वाला सवाल!
भारत और अमेरिका के बीच जारी व्यापार समझौता वार्ता एक बार फिर सुर्खियों में है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा भारत के प्रस्तावों को अब तक का 'सर्वश्रेष्ठ ऑफर' बताने के बाद केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है.
भारत और अमेरिका के बीच जारी व्यापार समझौता वार्ता एक बार फिर सुर्खियों में है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा भारत के प्रस्तावों को अब तक का 'सर्वश्रेष्ठ ऑफर' बताने के बाद केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने संकेत दिया कि अगर अमेरिका भारत के प्रस्ताव से इतना खुश है, तो फिर उसे जल्द से जल्द ट्रेड डील को अंतिम रूप देना चाहिए.
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गुरुवार को गोयल ने कहा, 'उनकी खुशी हमारे लिए स्वागत योग्य है और मेरा मानना है कि अगर वे इतने खुश हैं, तो उन्हें तुरंत समझौते पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए.' यह बयान तब आया है जब अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर नई वार्ता के लिए देश में मौजूद है. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्यापार और रक्षा सहित कई मुद्दों पर बात की.
अमेरिका खुश, तो डील पर साइन क्यों नहीं?- गोयल का बड़ा सवाल
अमेरिकी ट्रेड रिप्रज़ेंटेटिव जेमीसन ग्रीयर ने वॉशिंगटन में कहा था कि भारत ने अमेरिका को “अब तक का सबसे बेहतरीन प्रस्ताव” दिया है. इस पर गोयल ने चुटकी लेते हुए कहा कि अगर प्रस्ताव इतना पसंद है तो अमेरिका को समझौते पर हस्ताक्षर करने चाहिए. गोयल के अनुसार भारत-अमेरिका के बीच अब तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि इस समय भारत आए अमेरिकी डिप्टी ट्रेड रिप्रज़ेंटेटिव रिक स्विट्ज़र की यात्रा वार्ता का हिस्सा नहीं बल्कि "आपसी समझ बढ़ाने" के लिए है.
FTA के मोर्चे पर भारत की सक्रियता
पीयूष गोयल ने बताया कि भारत इस समय कई देशों चिली, इज़रायल और न्यूज़ीलैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर तेज़ी से काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि कोई भी समझौता तभी पूरा माना जाता है जब दोनों पक्षों को लाभ मिले… और डेडलाइनों के दबाव में आकर कभी समझौते नहीं करने चाहिए या hard stops के साथ बातचीत नहीं करनी चाहिए, इससे गलतियां होती हैं.'
अमेरिका बोला-'भारत मुश्किल दाना, पर ऑफ़र बेस्ट'
अमेरिकी अधिकारी ग्रीयर ने कहा कि भारत अमेरिकी रो क्रॉप्स और मीट प्रोडक्ट्स के लिए कठोर रुख अपनाता रहा है, लेकिन इस बार भारत की तरफ़ से बेहद सकारात्मक ऑफ़र मिले हैं. ग्रीयर का बयान कि 'वे सचमुच बेहद मुश्किल पक्ष रहे हैं… लेकिन उन्होंने जो तरह-तरह के प्रस्ताव हमें दिए हैं, वे अब तक मिले सबसे बेहतरीन प्रस्ताव हैं.' उनका मानना है कि भारत, अमेरिकी निर्यात के लिए एक बड़ा विकल्प बाजार बन सकता है.
बढ़ते शुल्क, गिरती रुपये की कीमत और भारतीय निर्यातकों की चिंता
अमेरिका ने भारतीय आयात पर 50% तक की भारी-भरकम ड्यूटी लगा रखी है, जिसने भारतीय निर्यातकों पर बड़ा असर डाला है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इन ड्यूटीज़ के कारण अमेरिकी बाज़ार में भारत के शिपमेंट कमजोर हुए हैं, रुपये पर भी दबाव बढ़ा है और वह 90 प्रति डॉलर के स्तर से ऊपर पहुंच चुका है. निर्यातक चाहते हैं कि व्यापार समझौता जल्द पूरा हो, क्योंकि अमेरिकी बाजार भारत के कुल निर्यात का लगभग 18% हिस्सा है.
टैरिफ हटे बिना नहीं आगे बढ़ेगी डील
अमेरिका ने पहले व्यापार घाटा बढ़ने का हवाला देकर 25% शुल्क लगाया था. बाद में भारत द्वारा रूसी कच्चा तेल खरीदने के बाद अतिरिक्त 25% दंडात्मक शुल्क भी जोड़ दिया गया. भारत साफ कह चुका है कि पहले इन टैरिफ़ मुद्दों का समाधान होगा, तभी ट्रेड डील का पहला चरण पूरा हो सकता है.





