बिहार चुनाव में स्टार वॉर! खुद की जगह मां को मैदान में उतार रहे पवन सिंह, किस पार्टी से लड़ने जा रही सुशांत की बहन दिव्या?
बिहार विधानसभा चुनाव में अब स्टार पावर की नई कहानी लिखी जा रही है. भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए अपनी मां प्रतिमा सिंह को टिकट दिलाने की तैयारी शुरू की है, वहीं बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन दिव्या गौतम दीघा सीट से उतरने जा रही हैं. बीजेपी और महागठबंधन दोनों खेमों में यह दो चेहरे चुनाव को नया मोड़ दे रहे हैं. एक तरफ परिवार और फैनबेस की रणनीति है, तो दूसरी तरफ संवेदनशील छवि और महिला सशक्तिकरण का नया चेहरा.

बिहार की राजनीति एक बार फिर चमक और रणनीति के संगम से गुजर रही है. एक ओर भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह ने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर सबको चौंका दिया है. बताया जा रहा है कि वह चुनाव में अपनी मां को उम्मीदवार बना सकते हैं. वहीं दूसरी ओर बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन दिव्या गौतम के चुनावी मैदान में उतरने की खबर ने सियासी माहौल गरमा दिया है.
दोनों घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि बिहार में चुनाव अब सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि भावनाओं, लोकप्रियता और पारिवारिक छवि का संगम बन चुका है.
मां को मैदान में उतारने की तैयारी
11 अक्टूबर की सुबह पवन सिंह ने अपने X (ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “मैं भोजपुरिया समाज को बताना चाहता हूं कि मैंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ज्वाइन नहीं किया था. मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं और रहूंगा.” इस बयान के साथ यह साफ हो गया कि पवन सिंह अब खुद नहीं, बल्कि अपनी मां प्रतिमा सिंह के माध्यम से राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं. सूत्रों के अनुसार, भाजपा के साथ उनकी बातचीत में यह तय हुआ है कि प्रतिमा सिंह को काराकाट या आरा सीट से टिकट दिया जा सकता है.
भोजपुरी स्टार की राजनीति – रणनीति या सौदेबाज़ी?
भाजपा में 30 सितंबर को उनकी वापसी के बाद से चर्चा थी कि पवन सिंह सीधे चुनाव मैदान में उतरेंगे. उन्होंने बिजनेस टायकून अशनीर ग्रोवर के शो ‘राइज एंड फॉल’ को छोड़ दिया था, जिससे राजनीति में उनकी सक्रियता लगभग तय मानी जा रही थी. लेकिन अब यह साफ है कि पवन सिंह पर्दे के पीछे रहकर एक ‘राजनीतिक स्क्रिप्ट’ लिख रहे हैं, जिसमें खुद की जगह वह अपनी मां को नायक बनाना चाहते हैं.
‘बैकडोर एंट्री’ प्लान- पहले मां, फिर बेटा!
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, अगर प्रतिमा सिंह को टिकट दिया जाता है और वे जीत जाती हैं, तो पवन सिंह उन्हें बाद में इस्तीफा दिलवाकर उपचुनाव के ज़रिए खुद चुनाव मैदान में उतरेंगे. यह रणनीति उन्हें विवादों से दूर रखते हुए पार्टी के साथ मजबूत गठजोड़ बनाए रखने में मदद करेगी. भाजपा भी जानती है कि भोजपुरिया बेल्ट में पवन सिंह की फैन फॉलोइंग किसी नेता से कम नहीं है.
Y कैटेगरी सुरक्षा- भाजपा का भरोसे का संकेत
9 अक्टूबर को पवन सिंह को Y कैटेगरी की सुरक्षा दी गई. पत्नी से विवाद और चुनावी चर्चाओं के बीच सुरक्षा में यह बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि भाजपा पवन सिंह को अभी भी अपनी “महत्वपूर्ण राजनीतिक पूंजी” मानती है. पार्टी के अंदर यह भी माना जा रहा है कि यदि पवन नाराज़ हुए तो 2024 की तरह भाजपा को भोजपुर क्षेत्र में फिर नुकसान उठाना पड़ सकता है.
2024 की बगावत का असर अब भी याद है
लोकसभा चुनाव 2024 में पवन सिंह ने काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 2.74 लाख वोट हासिल किए थे जो एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा से 21 हजार वोट ज्यादा थे. हालांकि वह दूसरे नंबर पर रहे, लेकिन उनकी बगावत ने भाजपा को आरा, बक्सर और पाटलिपुत्र जैसी सीटों पर नुकसान पहुंचाया. अब भाजपा चाहती है कि आगामी विधानसभा चुनाव में ऐसी गलती दोहराई न जाए.
सुशांत सिंह की बहन दिव्या गौतम की एंट्री
वहीं दूसरी ओर, सीपीआईएमएल (CPI-ML) ने पटना की दीघा विधानसभा सीट से दिव्या गौतम को उम्मीदवार बनाने की तैयारी कर ली है. वे 15 अक्टूबर को नामांकन करेंगी. दिव्या गौतम न सिर्फ सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन हैं, बल्कि एक शिक्षाविद और युवा चेहरा भी हैं. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में स्नातक किया है और 64वीं बीपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की थी, हालांकि उन्होंने नौकरी नहीं की.
महागठबंधन में सीट बंटवारे पर टकराव
महागठबंधन में अभी तक सीटों का औपचारिक बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन सीपीआईएमएल ने अपने संभावित उम्मीदवारों को हरी झंडी दे दी है. कांग्रेस और वीआईपी पार्टी के बीच बातचीत फंसी हुई है. 2020 के चुनाव में दीघा से बीजेपी के संजीव चौरसिया ने जीत दर्ज की थी, जबकि सीपीआईएमएल की शशि यादव दूसरे स्थान पर थीं. इस बार दिव्या गौतम को टिकट देकर पार्टी महिला और युवा वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है.
भोजपुरी और बॉलीवुड का संगम
एक तरफ भोजपुरिया स्टार का राजनीतिक रणनीति से पीछे हटना, और दूसरी तरफ बॉलीवुड की शख्सियत से जुड़ी महिला का आगे आना यह बिहार की राजनीति को नए मोड़ पर ले जा रहा है. जहां पवन सिंह परिवार की प्रतिष्ठा को प्राथमिकता दे रहे हैं, वहीं दिव्या गौतम सुशांत की स्मृति और महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में उभर रही हैं. आने वाले चुनावों में यह तय होगा कि बिहार की जनता लोकप्रियता को चुनेगी या संवेदनशील नेतृत्व को.