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राहुल गांधी की यात्रा से मिली कांग्रेस को संजीवनी, पटना के सदाकत आश्रम में CWC की बैठक के सियासी मायने

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने बिहार कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नई ऊर्जा का संचार किया है. संगठन में नई जान फूंक दी है. इसी ऊर्जा के बीच पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक होने जा रही है. बिहार की राजनीति में यह कदम न केवल कांग्रेस की सक्रियता का संकेत हैं बल्कि 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है.

राहुल गांधी की यात्रा से मिली कांग्रेस को संजीवनी, पटना के सदाकत आश्रम में CWC की बैठक के सियासी मायने
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बिहार की राजनीति में 35 साल से ज्यादा समय से हाशिए पर रही कांग्रेस अब अपने पुराने जनाधार को वापस पाने की कवायद में जुटी है. राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने जहां पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाया है, वहीं पटना के सदाकत आश्रम में होने वाली CWC की बैठक ने सियासी हलचल और तेज कर दी है. कांग्रेस इस बैठक के जरिए न केवल अपनी रणनीति तय करेगी बल्कि विपक्षी एकजुटता के बड़े संदेश भी देने की कोशिश करेगी. इसका सबसे ज्यादा लाभ पार्टी के नेताओं को मिलेगा.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की बिहार में हाल की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों को एक नई उम्मीद दी है. उनकी जनसभाओं और पदयात्राओं से कार्यकर्ताओं में जोश लौटा है, वही जोश अब संगठन को सक्रिय कर रहा है. इस यात्रा का ही नतीजा है कि बिहार जैसे राजनीतिक रूप से अहम राज्य में पार्टी के जिला स्तर तक के नेता सक्रिय हो गए हैं. प्रदेश की जनता से कांग्रेस के नेता सीधा संपर्क कर रहे हैं. कांग्रेस अपने जनाधार को फिर से वापस पाने की कोशिश में जुट गई है.

85 साल बाद पटना के सदाकत आश्रम में CWC बैठक क्यों?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस पार्टी राज्य में पूरी ताकत झोंक रही है. 24 सितंबर को राहुल गांधी बिहार पहुंचेंगे. इतना ही नहीं, कांग्रेस की सबसे ऊंची निर्णय-लेने वाली समिति सीडब्ल्यूसी की बैठक भी पटना के सदाकत आश्रम होगी. पटना में होने वाली यह बैठक इसलिए खास है क्योंकि पिछली बार सीडब्ल्यूसी की बैठक बिहार में आजादी से पहले साल 1940 में ही हुई थी. यानी 85 साल के बाद कांग्रेस की सबसे बड़ी बैठक फिर से बिहार आ रही है. 1940 की पटना CWC बैठक में जिन बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया था, उनमें महात्मा गांधी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, प्रोफेसर अब्दुल बारी, श्रीकृष्ण सिन्हा (बिहार के पहले मुख्यमंत्री) और उस दौर के अन्य प्रमुख कांग्रेस नेता भी शामिल थे.

सीडब्ल्यूसी की बैठक को लेकर पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और विधानमंडल दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा था कि कांग्रेस नेताओं ने नीतीश सरकार के साथ केंद्र की मोदी सरकार को भी घेरा. प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने कहा कि पटना में सीडब्ल्यूसी की विस्तारित बैठक बिहार और पूरे देश के मुद्दों पर राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बनेगी. बेरोजगारी, महंगाई, अपराध, पेपर लीक, महिलाओं पर अत्याचार और किसानों की दुर्दशा जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी. इसके अलावा, पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश के के चुनावी रणनीति भी तैयार करेंगे. ताकि नीतीश सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना संभव हो सके.

सदाकत आश्रम का इतिहास

पटना स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय यानी सदाकत आश्रम प्रदेश की राजधानी के दीघा क्षेत्र की गंगा नदी के किनारे, हवाई अड्डे से लगभग सात किलोमीटर दूर स्थित है. यह भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ . राजेंद्र प्रसाद के आवासों में से एक था, जो सेवानिवृत्ति के बाद यहीं रहे और अपने जीवन के अंतिम दिन वहीं बिताए.

फिर सदाकत आश्रम कांग्रेस की ऐतिहासिक धरोहर है. यहां से स्वतंत्रता आंदोलन और बाद की राजनीति में कई अहम फैसले लिए गए. अब फिर से यही जगह कांग्रेस की भविष्य की रणनीति का गवाह बनेगी. इस बैठक में संगठन की मजबूती, गठबंधन की दिशा और विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है.

बिहार में कांग्रेस की सियासत

देश की आजादी के बाद लगातार चार दशक तक बिहार की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस लंबे समय से आरजेडी आरजेडी की पिछलग्गू पार्टी बनी हुई है. अब पार्टी अपने जनाधार को स्वतंत्र रूप से खड़ा करने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी की सक्रियता और CWC की बैठक से पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस बिहार में केवल सहायक नहीं बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने की क्षमता रखती है.

विपक्षी एकजुटता और संदेश

यह बैठक न केवल कांग्रेस की आंतरिक रणनीति तक सीमित होगी बल्कि विपक्षी एकजुटता का भी मंच बनेगी. पटना की धरती से कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ एकजुट मोर्चा खड़ा करने का संदेश देना चाहेगी.

बैठक के सियासी मायने

सदाकत आश्रम बिहार कांग्रेस की राजनीति का केंद्र रहा है. कांग्रेस यहां से प्रदेश में पार्टी के पुनरुत्थान का संदेश देगी. लंबे समय से कांग्रेस को सहयोगी दल की हैसियत मिली थी, लेकिन CWC की बैठक पटना में कर पार्टी ने दिखाया कि वह 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर देश की सबसे पुरानी पार्टी गंभीर है. राहुल गांधी की यात्राओं और विपक्षी एकजुटता को साधने के बाद कांग्रेस चाहती है कि बिहार में भी उसे 'सिर्फ सहायक दल' नहीं बल्कि 'निर्णायक भूमिका' वाला खिलाड़ी माने.

आरजेडी पर असर

कांग्रेस के एक्टिव होने से आरजेडी को सीट बंटवारे में कांग्रेस की बढ़ी हुई मांग झेलनी पड़ सकती है. तेजस्वी यादव और राहुल गांधी, दोनों की राजनीति 'युवा नेतृत्व' पर आधारित है. कांग्रेस इस नैरेटिव को भुनाकर आरजेडी के वोट बैंक पर सेंध लगाने की कोशिश कर सकती है. अगर तालमेल ठीक से हुआ तो विपक्ष मजबूत होगा. वरना कांग्रेस-आरजेडी में खींचतान एनडीए को फायदा दिला सकती है.

एनडीए का भी बिगड़ेगा खेल

कांग्रेस की सक्रियता और महागठबंधन में आक्रामक भूमिका एनडीए को अतिरिक्त रणनीति बनाने पर मजबूर करेगी. कांग्रेस अगर अल्पसंख्यक और दलित वोटरों को सक्रिय करने में सफल होती है, तो एनडीए के वोट शेयर पर असर पड़ सकता है. एनडीए फिलहाल विकास और स्थिरता के मुद्दे पर जोर दे रहा है, लेकिन कांग्रेस-आरजेडी की आक्रामक राजनीति से जातीय समीकरणों की बहस तेज हो सकती है

खुद बिहार कांग्रेस सीडब्ल्यूसी बैठक को 'कमबैक सिग्नल' के तौर पर देखी जा रही है.महागठबंधन में कांग्रेस अपनी ताकत दिखाना चाहती है ताकि सीट बंटवारे में फायदा मिले. आरजेडी को अब तय करना होगा कि कांग्रेस को कितना स्पेस देती है. एनडीए को यह समझना होगा कि विपक्ष अब बिखरा हुआ नहीं बल्कि चुनाव से पहले संगठित दिखने की कोशिश में है.

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