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चिराग के 'सम्मान' पर भड़की BJP-JDU, कहा- यह सभी की मांग है, तो क्‍या NDA की बढ़ेगी मुश्किलें!

चिराग पासवान ने हाल ही में बिहार में NDA के भीतर सीट बंटवारे को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि वे सम्मानजनक सीटों के मामले में किसी भी दल से समझौता नहीं करेंगे. उनका यह बयान NDA के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही चर्चाओं को और तेज कर दिया है. बीजेपी-जेडीयू ने भी कहा है कि सम्मानजनक सीटें तो सबको चाहिए.

चिराग के सम्मान पर भड़की BJP-JDU, कहा- यह सभी की मांग है, तो क्‍या NDA की बढ़ेगी मुश्किलें!
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चिराग पासवान ने हाल ही में बिहार में NDA के भीतर सीट बंटवारे को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि वे सम्मानजनक सीटों के मामले में किसी भी दल से समझौता नहीं करेंगे. उनका यह बयान NDA के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही चर्चाओं को और तेज कर दिया है. बिहार चुनाव को लेकर राजनीति अब चरम पर पहुंच गया है. महागठबंधन की तरह अब एनडीए में शामिल दलों के बीच भी मतभेद सामने उभर कर आने लगे हैं. लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बड़ा बयान दिया है. खुद को पीएम मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान के मुंह से ये बयान सुनकर उनको चाहने वाले भी अचंभित हैं. दरअसल, उनका यह बयान NDA के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही चर्चाओं को और तेज कर रहा है. उन्होंने 22 सितंबर को साफ कर दिया कि नवरात्र में ही सीटों का बंटवारा हो सकता है. अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो किसी से कोई समझौता नहीं होगा.

चिराग पासवान ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, "चिराग पासवान ने कहा कि वे सम्मानजनक सीटों के मामले में किसी भी दल से समझौता नहीं करेंगे. उन्होंने विपक्षी दलों पर भी तंज कसते हुए कहा कि अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत न कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी में है और न आरजेडी में, जो बिहार की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक है."

चिराग पासवान के इस बयान बिहार की आगामी राजनीति और चुनावी समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है. फिलहाल, कांग्रेस-राजद गठबंधन की अंदरूनी खींचतान और चिराग के तेवर ने एनडीए के भीतर की राजनीति में हलचल मचा दी है.

चिराग की इन सीटों पर दावेदारी से फंसा पेच

चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के लिए कुछ सीटों पर दावेदारी की है. उनकी नजर गोविंदगंज, ब्रह्मपुर, अतरी, महुआ और सिमरी बख्तियारपुर सीटों पर है. इन सीटों पर पहले से ही NDA के अन्य घटक दलों का दावा मजबूत है, जिससे सीट बंटवारे में पेच फंसा हुआ है. सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग के ऐलान के बाद ही NDA में सीटों के बंटवारे का ऐलान होगा. इसमें चिराग पासवान जैसे छोटे घटक दलों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती है.

NDA के भरोसे का क्या होगा?

दरअसल, चिराग पासवान ने एनडीए गठबंधन में बने रहने का भरोसा दे रखा है. मगर उनकी चेतावनी एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर सस्पेंस और टेंशन को बढ़ाने वाला है. इतना ही नहीं, उन्होंने साफ संदेश दिया है कि बिना इज्जत के उनके लिए राजनीति संभव नहीं. चिराग पासवान का नया बयान और उनके तेवर बिहार की राजनीति में बड़ा संकेत कहे जा रहे हैं.

चिराग पासवान ने 2020 में 135 सीट पर अकेले चुनाव लड़ने का उदाहरण देते हुए विपक्ष और सहयोगियों को संदेश दिया था कि वे अपने दम पर राजनीति करना चाहते हैं. हाल में प्रशांत किशोर से नजदीकियों की खबरों के बीच उनका रुख और बयान एनडीए के भीतर रणनीतिक खींचतान को और गहरा करते दिख रहे हैं.

पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लेगा अंतिम फैसला - नंद किशोर यादव

बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंद किशोर गर्ग का कहना है कि चिराग पासवान हर रोज अपना बयान बदल रहे हैं. उनका बयान स्थायी हो तो कुछ कमेंट किया जाए. सम्मानजनक सीट को लेकर वह आये दिन बयान देते रहते हैं. उनके स्टैंड पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को विचार करना है. वहीं, से अंतिम फैसला सामने आएगा.

सम्मानजनक सीटें सभी को चाहिए - परिमल कुमार

जेडीयू बिहार के प्रवक्ता परिमल कुमार का कहना है कि चिराग पासवान ने जो बातें कही है, उसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है. गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने वाली हर पार्टी की इच्छा होती है कि उसे अच्छी संख्या में सीट मिले. यही बात वह कह रहे हैं. उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की है. एनडीए गठबंधन दल की बैठक में उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जाएगा. सम्मानजनक सीट केवल एलजेपीआर को ही नहीं, गठबंधन में सभी को चाहिए. इस मसले में कोआर्डिनेशन कमेटी विचार करेगी.

चिराग के 'सम्मान' का मतलब

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का ‘सम्मानजनक सीट’ वाला बयान महज सीट बंटवारे पर नाराजगी नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक पहचान का सवाल है. चिराग पासवान खुद को सिर्फ रामविलास पासवान के बेटे के रूप में नहीं बल्कि बिहार की राजनीति में स्वतंत्र और निर्णायक चेहरा साबित करना चाहते हैं. उनके लिए हिस्सेदारी की सीटें संख्या मात्र नहीं हैं, बल्कि पार्टी की साख और उनकी हैसियत का प्रतीक है. शायद यही कारण है कि उन्होंने खुलकर कह दिया-‘सम्मान से समझौता नहीं होगा.’

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