जगदानंद बनेंगे RJD के नए Boss! बिहार चुनाव से पहले लालू यादव का ब्रह्मास्त्र- एक तीर से कितने निशाने?
राजद की राज्य परिषद बैठक में लालू यादव ने तेजस्वी की मांग पर जगदानंद सिंह की राष्ट्रीय भूमिका की ओर संकेत दिया है. 5 जुलाई को होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव से पहले यह लगभग तय माना जा रहा है कि लालू अब पार्टी की कमान जगदानंद को सौंप सकते हैं. यह बदलाव पार्टी के जातीय समीकरण और नेतृत्व ट्रांजिशन दोनों को साधने की कोशिश है.

बिहार की राजनीति में लालू यादव ने एक नया राजनीतिक संकेत दे दिया है. आरजेडी की राज्य परिषद की बैठक में तेजस्वी यादव की मांग पर लालू ने स्पष्ट रूप से इशारा किया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह को राष्ट्रीय भूमिका दी जाएगी. उन्होंने मंच से जगदानंद की सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी को नई दिशा दी है. ऐसे में जब 5 जुलाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है, यह लगभग तय माना जा रहा है कि अब लालू की जगह जगदानंद सिंह लेंगे.
राज्य परिषद की बैठक में तेजस्वी यादव ने खुले मंच से जगदानंद सिंह को राष्ट्रीय नेतृत्व में लाने की मांग की. उनका यह बयान पार्टी में सत्ता के संतुलन और नेतृत्व की ट्रांजिशन का संकेत देता है. तेजस्वी के सुझाव पर लालू की सहमति ने इस बात को और बल दिया कि पार्टी अब संगठनात्मक बदलाव की ओर बढ़ रही है, ताकि 2025 के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से उतरा जा सके.
कौन हैं जगदानंद सिंह?
राजद के कद्दावर और बेहद विश्वस्त नेता जगदानंद सिंह बिहार की राजनीति में एक साफ़-सुथरी छवि वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं. वे पार्टी की स्थापना के समय से ही लालू यादव के साथ जुड़े हुए हैं और दशकों से संगठन के भीतर एक अनुशासित, शांत लेकिन रणनीतिक भूमिका निभाते रहे हैं. उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के बक्सर ज़िले से आने वाले जगदानंद सिंह, अगड़ी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सामाजिक समीकरणों की दृष्टि से राजद के लिए एक अहम संदेश है. उन्हें लालू परिवार का बेहद करीबी और भरोसेमंद माना जाता है, और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने संगठन में अनुशासन और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद में खास भूमिका निभाई.
जगदानंद सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना एक राजनीतिक रणनीति भी है, जिसके ज़रिए राजद गैर-यादव और गैर-मुस्लिम वोट बैंक, खासकर सवर्ण समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है. वरिष्ठ नेता को यह पद सौंपकर पार्टी यह संकेत देना चाहती है कि अगड़ी जातियों को भी नेतृत्व में सम्मान और भागीदारी दी जाएगी. इस बदलाव को जहां आरजेडी की नई पीढ़ी के नेतृत्व की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, वहीं बीजेपी इसे लालू परिवार के भीतर तेजस्वी द्वारा पुरानी पीढ़ी को किनारे लगाने की चाल करार दे रही है.
लालू का साफ संदेश- मेहनती को मिलेगा मौका
लालू यादव ने बैठक में स्पष्ट किया कि अब पार्टी में पद उसी को मिलेगा जो जमीन पर काम करेगा. उन्होंने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे नेता जो गरीबों और दलितों के लिए समर्पित हैं, वही अब पार्टी की पहचान होंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कभी कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं के खिलाफ बात की, उन्हें भी अब जवाब देना होगा.
संगठन मजबूत, लक्ष्य तेजस्वी को सीएम बनाना
लालू यादव ने अपने संबोधन में एक बार फिर कहा कि पार्टी का अंतिम लक्ष्य तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है. उन्होंने साफ किया कि इसमें अब कोई शक की गुंजाइश नहीं है. लालू ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे फील्ड में उतरें, महिला शक्ति और युवाओं को जोड़ें और जनता के बीच जाकर सरकार बदलने की मुहिम चलाएं.
लालू की 28 साल की विदाई की तैयारी?
लालू यादव ने कहा कि वे पिछले 28 वर्षों से राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं और इस दौरान पार्टी को जहां से उठाया, वहां तक पहुंचाया. उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि अब वे संगठन से धीरे-धीरे हटकर एक मार्गदर्शक की भूमिका में जाने को तैयार हैं. इसका उद्देश्य यह भी है कि तेजस्वी के नेतृत्व को अब पूरी तरह स्थापित किया जा सके.
2025 की तैयारी: संगठन से सरकार तक
बैठक का सार यही रहा कि RJD अब चुनावी मोड में है और संगठनात्मक ताकत को पुनर्गठित कर 2025 की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो रही है. बीजेपी और नीतीश कुमार की सरकार को हटाने का आह्वान करते हुए लालू ने स्पष्ट किया कि आने वाला चुनाव ‘गरीब और किसान की सरकार’ के निर्माण का मौका है. अब पार्टी की रणनीति जगदानंद सिंह के नेतृत्व में तेजस्वी को फ्रंटफुट पर लाने की है.