बिहार में तीन से दो चरणों में सिमटा मतदान, क्या बदलेगा चुनावी गणित? जानिए इसका असर
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दो चरणों में वोटिंग कराने की घोषणा की है. जबकि 2020 में तीन चरणों में मतदान कराया गया था. चरणों की संख्या घटने से सुरक्षा व्यवस्था, प्रचार रणनीति और मतदाताओं की भागीदारी पर असर दिख सकता है. सोमवार को चुनाव आयोग द्वारा इलेक्शन कार्यक्रमों की घोषणा के बाद से इस बात की चर्चा है. जानें पिछली बार कब-कब हुए थे चुनाव और इस बार क्या बदला और क्या होगा इसका असर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इस बार राज्य में सिर्फ दो चरणों में मतदान होगा. जबकि 2020 में विधानसभा का चुनाव तीन चरणों में मतदान कराए गए थे. चुनाव आयोग का यह निर्णय राजनीतिक दलों की रणनीति, सुरक्षा बलों की तैनाती और मतदाता टर्नआउट पर सीधा असर डाल सकता है. अब बड़ा सवाल यह है कि चरण घटने से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा? क्या वोटिंग पैटर्न में इससे कमी आएगी. या फिर सियासी दलों, चुनाव आयोग और मतदाता तीनों के लिए दो चरण में मतदान कराना फायदेमंद रहेगा.
चुनाव आयोग द्वारा सोमवार को घोषित बिहार विधानसभा चुनावी कार्यक्रमों के मुताबिक इस बार पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा. 14 नवंबर को चुनाव परिणाम आएंगे.
2020 में चुनावी तीन चरण हुए थे चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दो चरण के बदले पांच साल पहले यानी 2020 में चुनाव आयोग ने तीन चरण में मतदान कराने का फैसला लिया था. पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर 2020 को 71 सीटों पर, दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर 2020 को 94 सीटों पर और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर 2020 को 78 सीटों पर कराए गए थे. वोटों की गिनती 10 नवंबर 2020 को हुई थी और उसी दिन देर रात तक चुनाव परिणाम घोषित कर दिए गए थे.
इस बार मतदान छह नवंबर को होगा, यानी 2020 के पहले चरण के मतदान से तीन दिन बाद होगा. 2020 में अंतिम चरण का मतदान 7 नवंबर को हुआ था. इस बार 11 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा. यानी तीन दिन विलंब से मतदान शुरू होगा और एक दिन विलंब से मतदान समाप्त होगा. 2020 में वोटों की गिनती 10 नवंबर को हुई थी. इस बार चार दिन लेट से 14 नवंबर को होगी.
दो चरणों में मतदान का क्या होगा असर?
बिहार में कम चरणों में चुनाव होने से नेताओं को प्रचार के लिए सीमित समय मिलेगा. इससे पार्टियों को अपने स्टार प्रचारकों और संसाधनों का इस्तेमाल ज्यादा केंद्रित तरीके से करना होगा. दो चरणों में चुनाव कराने से सुरक्षाबलों की तैनाती और प्रशासनिक प्रबंधन आसान होगा. कम चरणों में चुनाव का मतलब है कि मतदाता एक साथ ज्यादा संख्या में मतदान केंद्रों पर जाएंगे, जिससे टर्नआउट पर में भी फर्क पड़ सकता है.
राजनीतिक नफा नुकसान
तेजस्वी यादव और महागठबंधन जैसी विपक्षी पार्टियों के लिए यह एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि उन्हें तेजी से अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचार करना होगा. विपक्षी पार्टियों के पास संसाधनों की कमी होती है. इसलिए, उनके लिए चुनाव प्रचार को कम समय में ठीक से कर पाना मुश्किल भरा होगा. बीजेपी और एनडीए को इसका लाभ हो सकता है, क्योंकि उनका संगठनात्मक ढांचा महागठबंधन की तुलना में मजबूत है.
3 चरण में चुनाव होता तो बेहतर रहता - डॉ. उस्मानी
बिहार कांग्रेस के नेता डॉ. मस्कूर उस्मानी का कहना है कि चुनाव आयोग ने इस बार विलंब से चुनावी कार्यक्रमों की घोषणा की है. पांच साल पहले आयोग ने 25 सितंबर को एलान किया था. इस बार 6 अक्टूबर को. यही वजह है कि दो चरणों में ईसी ने चुनाव कराने का फैसला लिया है. तीन चरणों में चुनाव होता तो बेहतर होता. इससे सियासी समीकरणों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. 20 से 25 साल का रिकॉर्ड देखें तो चुनाव 3 से 6 चरणों में संपन्न हुए हैं. इस बार केवल दो चरण में चुनाव हो रहा है. बिहार जैसे बड़े राज्य में कम से कम तीन चरण में चुनाव होने चाहिए. इससे मतदाताओं को सुगमता होती है. खासकर प्रवासी मतदाताओं को कम समय में आने में न तो ट्रेन में टिकट मिलेगी न ही एरोप्लेन में. इससे मतदान संख्या पर आंशिक असर देखने को मिल सकता है.
हमारी पार्टी चुनाव लड़ने को लेकर पहले से तैयार है. महागठबंधन के नेता जल्द चुनावी कार्यक्रमों की घोषणा करने की मांग भी कर रहे थे. जहां तक सियासी नफा नुकसान की बात है, तो चुनाव का एलान अचानक नहीं हुआ है. इसलिए सियासी दलों के समीकरण न तो बिगड़ेंगे, न ही उन पर इसका कोई असर होगा.
बदलता बिहार है, इसलिए 2 चरणों में होगा मतदान : रंजन सिंह
बिहार लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता रंजन सिंह का कहना है कि चुनाव आयोग के फैसले का हम लोग स्वागत करते हैं. पहले कई चरणों में चुनाव इसलिए होता था कि जंगलराज था. बूथ लूट और हिंसा की घटनाएं होती थी. पिछले कुछ वर्षों में बिहार में कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है. ये एनडीए का दौर है, इसलिए चुनाव आयोग ने दो चरणों में चुनाव कराने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग इस बार कितने बेहतर तरीके से सब कुछ कर रहा है वो काबिले तारीफ है. हम लोगों ने एक चरण में चुनाव कराने की मांग भी की थी. बिहार अब पहले वाला बिहार नहीं रह गया कि कई चरणों में वोटिंग हो. इससे सियासी दलों. चुनाव से जुड़ी सभी एजेंसियों को और मतदाताओं को भी कई चरणों में चलने वाले बोझिल चुनाव प्रक्रिया से राहत मिलेगी.