Bihar Election 2025: NDA में हो गया सीटों का बंटवारा! BJP-JDU को मिली इतनी सीटें; चिराग को साधने की है तैयारी
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक तनाव चरम पर है, लेकिन बिहार की सियासत में चुनावी सरगर्मी थमी नहीं. महागठबंधन और एनडीए दोनों ने युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. सीट शेयरिंग, समन्वय बैठकें और रणनीतिक मुलाकातों के बीच चिराग पासवान को मनाने की कोशिश जारी है. पाकिस्तान को जवाब ने एनडीए को बढ़त का भरोसा दिलाया है.

22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले और भारत की सैन्य प्रतिक्रिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पूरे देश में युद्ध जैसे हालात बन गए, लेकिन बिहार की राजनीतिक धरती पर चुनावी मोर्चेबंदी थमी नहीं. एनडीए और महागठबंधन, दोनों ही खेमों ने सुरक्षा के मुद्दे को लेकर सियासी चालें तेज़ कर दीं. जहां एनडीए ने सर्जिकल स्ट्राइक को राष्ट्रवाद से जोड़कर जनता के बीच प्रचार शुरू किया, वहीं महागठबंधन ने इसे संवैधानिक मूल्यों और चुनावी लाभ का मुद्दा बनाने की रणनीति अपनाई.
महागठबंधन के भीतर सीटों का बंटवारा अब रस्साकशी का रूप ले चुका है. आरजेडी अधिक सीटों की दावेदारी कर रही है और वीआईपी भी 60 सीटों की मांग लेकर सामने आई है, जिससे कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है. पिछली बार की तुलना में इस बार कांग्रेस को सिर्फ 50 या उससे कम सीटें मिल सकती हैं. सीपीआई (एमएल) की मजबूत प्रदर्शन के कारण उसे ज़्यादा हिस्सेदारी देने की तैयारी है, जिससे गठबंधन का संतुलन बिगड़ता दिखाई दे रहा है.
एनडीए में सीटों का फार्मूला तय
एनडीए ने जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय कर लिया है, लेकिन छोटे दलों को समायोजित करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी जैसे नेताओं की मांगों के बावजूद उन्हें सीमित सीटें देने की योजना है. जेडीयू ने अपने हिस्से से कुछ सीटें देकर इन नेताओं को मनाने की कोशिश की है, ताकि गठबंधन में असंतोष न बढ़े.
चिराग पासवान को साधने की रणनीति
बीजेपी के कंधे पर अब एक और जिम्मेदारी है चिराग पासवान को साधने की. पिछली बार एनडीए को चिराग के बगावत से भारी नुकसान उठाना पड़ा था. नीतीश कुमार ने चिराग के साथ बातचीत की जिम्मेदारी सीधे बीजेपी पर छोड़ दी है. सूत्रों की मानें तो चिराग को अधिकतम 10 से 15 सीटें देने का ऑफर तैयार है, जिससे वे गठबंधन में बने रहें और एनडीए को भीतर से कोई झटका न लगे.
ऑपरेशन सिंदूर का चुनावी असर
भारत की सख्त सैन्य कार्रवाई ने एनडीए को राष्ट्रवादी भावनाओं के सहारे वोटरों के बीच बढ़त लेने का मौका दिया है. लेकिन अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ सीजफायर एनडीए के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है, जिसे विपक्ष केंद्र सरकार की कमजोरी बताकर भुनाने की कोशिश करेगा. बिहार चुनाव अब केवल जाति समीकरण या घोषणाओं की जंग नहीं, बल्कि सुरक्षा बनाम संवैधानिक संतुलन की लड़ाई में बदल चुका है.