Operation Sindoor: 4 दिन में ही पाकिस्तान का हो गया 'बेड़ा गर्क', भारत ने दिए ऐसे जख्म कि...
ऑपरेशन सिंदूर ने सिर्फ 96 घंटे में पाकिस्तान की आतंकी रीढ़ तोड़ दी. 7 मई को शुरू हुए इस जवाबी हमले में भारतीय सेना ने PoK और पाकिस्तान में 100 से अधिक ठिकानों को तबाह किया. मिसाइल, ड्रोन, एयरस्ट्राइक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के साथ भारत ने पहली बार निर्णायक बढ़त ली और पाकिस्तान को युद्धविराम मांगने पर मजबूर कर दिया.

भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो भारतीय सेना बिना चेतावनी के दुश्मन को धूल चटा सकती है. 7 मई की सुबह शुरू हुआ यह ऑपरेशन पाकिस्तान के आतंकी हमलों का मुंहतोड़ जवाब था, जिसने केवल 96 घंटे में पाकिस्तान की जमीन पर मौजूद आतंक के अड्डों, एयरबेस, हथियार भंडारण और रडार यूनिट्स को खाक में मिला दिया.
PoK से लेकर रफीकी, चकला, रहीम यार खान, सियालकोट और मुरिद तक, हर जगह भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक की गूंज सुनाई दी. इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी बात यह थी कि इसमें हर वार सटीक और जानलेवा था. पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई को भारतीय सेनाओं ने या तो हवा में ही मार गिराया या ज़मीन पर कुचल दिया. बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए, ड्रोन्स गिरा दिए गए, एयर डिफेंस सिस्टम तबाह कर दिए गए, और जब अमेरिका की मध्यस्थता से युद्ध थमा, तब तक पाकिस्तान के पास लड़ने के लिए ना सैन्य ताकत बची थी, ना मनोबल.
सिर्फ चार दिनों में भारत ने पाकिस्तान को उसकी सबसे बड़ी भूल का अहसास करवा दिया. 7 मई की सुबह भारत ने पीओके और पाकिस्तान के अंदर मौजूद आतंकी ठिकानों पर निशाना साधते हुए ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की. यह जवाब था 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी. जवाब ऐसा कि पाकिस्तान की कमर ही टूट गई.
26 मिनट में तबाही: आतंक के 100 ठिकाने साफ
ऑपरेशन की शुरुआत महज़ 26 मिनट में 9 आतंकी कैंप तबाह करके हुई. इनमें से पांच POK में एलओसी के पार 9 से 30 किलोमीटर अंदर थे और बाकी छह आतंकी अड्डे पाकिस्तान के भीतर 6 से 100 किलोमीटर तक फैले हुए थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष को जानकारी देते हुए बताया कि करीब 100 आतंकी इस हमले में मारे गए.
पाकिस्तान के जवाबी हमले हुए नाकाम
8-9 मई की रात पाकिस्तान ने 300 से ज्यादा तुर्की-निर्मित 'सॉन्गर' ड्रोन के ज़रिए भारत के 36 स्थानों पर हमला करने की कोशिश की – लेह, जम्मू, बठिंडा से लेकर पश्चिमी सीमा के सिर क्रीक तक. भारतीय सेना ने अधिकांश ड्रोन को हवा में ही मार गिराया. अगले दिन पाकिस्तान ने 26 और लोकेशनों पर ड्रोन से हमला किया, लेकिन भारत की एंटी-ड्रोन प्रणाली ने सब नाकाम कर दिया.
10 मई को पाकिस्तान की सबसे बड़ी हार
सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान को 10 मई की सुबह लगा, जब भारतीय वायुसेना ने रफीकी, मुरिद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर, चूनियां, पस्रूर और सियालकोट स्थित पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर एयर-लॉन्च प्रिसिशन हथियारों से हमला किया. भारतीय मिसाइलें सीधे उनके एयर डिफेंस, रडार सिस्टम, हथियार डिपो और कमांड सेंटर्स पर बरसीं.
स्कर्दू, सरगोधा, जैकबाबाद, भोलारी – सब राख!
Wing Commander व्योमिका सिंह के अनुसार, “पाकिस्तान को सबसे ज्यादा नुकसान उसके एयरबेस सिस्टम को हुआ. स्कर्दू, सरगोधा, जैकबाबाद और भोलारी जैसे प्रमुख एयरबेस पर भारतीय हमलों से इतनी तबाही हुई कि पाकिस्तान की वायु सुरक्षा व्यवस्था ही ध्वस्त हो गई.” एलओसी के पार बने उसके सैन्य लॉजिस्टिक्स और नियंत्रण केंद्रों को भी पूरी तरह तबाह कर दिया गया.
पाकिस्तान की हार, भारत की जीत
चार दिन में पाकिस्तान को जो नुकसान हुआ, वह न केवल सैन्य बल्कि मनोवैज्ञानिक भी था. पाकिस्तान की आतंकी संरचना, एयरबेस नेटवर्क और आक्रामक क्षमता लगभग ठप हो गई. उसके पास न हथियार बचे, न मनोबल. संघर्षविराम की घोषणा तो हो चुकी है, लेकिन ज़मीन पर हकीकत ये है कि पाकिस्तान के पास अब लड़ने लायक न ताक़त बची है, न साहस.